- द पोर होता होती है, तब कम्मा
. गर म पानी नमन में कोच के दाहिने भाग में पाई की निरमी है | पुष उत्पन्न करने की होनी गर्म-मंडामग, प्रा है, और वा भाग में कन्या रद करने की गसिपाडा . .ारहना है। मानक समय गर्भाग्य में दिन पदार्थ . कोधिकता हो जाती है, इसके अनुसार कन्या या पुर की मंदिर मनुमप्रसनीशा के अनुसार पुरमा कन्या महान करने में समर्थ हो सकता हूँ। पाश्चात्य जोर इस विप में बत गमनीयां रहते हैं, जो मदम रोगों के सहारेर वृक्ष है। नोरिएरो स्त्री के रजारा कुछ बड़े और मोदी के प्रकार करणा रा के हो । पुष्ट होने पर ही गावागाड कहलाने गर्भरता- कामना इनका व्यागमन होता और लमंदर पाग गर्न कार संथ[.12.हिनावान. ... रत रहता है। पर समोर वीर्य का नंमोग होता है, तब मूक्ष्म नागोर गुलाना पकादमरे को प्राकादन करके किन पार और रिमा मिनमा।इम पाकर्षण का कारण प्रारा पा समानुभव ... से मिलती हुननी एक प्रकार की चलना यतलाई आतो. नर्मकारो--(गर्भशारिन गर्नाका म जो इन मुहम पारसारामा पा प्रायकोगों में गोहै। बात कारक से शुभाणा नर्भाग की पोर को और उसने सना गर्भकाल-- [. . म न . शुगरा सिरक बन में पग जाता है, पर गोड र गर्भकसर- को एक मिलीदार पलम हो पाती है और सर रोग मान . प्रदर नक्षी पनने पाने। इस प्रकार इन दोनों पायामा नोवों में संयोग में स्वतंत्र कोग की मुष्टि हामि समिभागमारा पीटार प्रामुकाम । - सादिक मायामों ने बनाना - Eि -रहना ।-ना। मोikarm भरवाया ... निरमाना.! साना! मर्म पिराना:-