पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१७८

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गवना १२५५ गवाशन (प्रत्य॰)] पेशेवर गानेवाली स्त्री। गायिका । उ०-- गृहस्थिनों के गाने से मधुरी लय गवनहारिनों की होती। प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ०३५३ । गवना--संज्ञा पुं० [सं० गमन ] दे० 'गौना। गवय--संज्ञा पुं॰ [स०] [स्त्री० गवयो ] १. नील गाय । उ०--इधर उस नाद को सुनकर गवय और गज भी भीत होकर पलीत के भौति चिक्कार मारकर भागते हैं। श्यामा०, पृ०७। २. एक बंदर जो रामचंद्र जी की सेना में था। ३. एक छंद का नाम जिसके प्रथम चरण में १६ मात्राएँ होती हैं और ११ मात्राओं पर विराम होता है। दूसरे चरण में दोहा होता है । जैसे--सुरभी केसर वस नील नद माह । मनो नगर सुग्रीव को सोहत सुदर छह । गवरी'--संज्ञा स्त्री० [सं० गौरी ] अंबिका । गौरी। गवरी --संज्ञा पुं० [फा० गोरी-गोर का निवासी ] गोरी। मुहम्मद गोरी । उ०-सात वेर प्रथिराज गेह गवरी गहि मेले। ह० रासो, पृ०६५। गवर्नमेंट--संञ्चा घी०[अं०] १. राज्य । शासनपद्धति । २. शासकमंडल । सरकार । गवर्नमेंटी--[अं॰] गवर्नमेंट संबंधी । गवर्नर-संबापुं० [अं०] १. शासक । हाकिम । २. किसी प्रांत का वह प्रधान हाकिम जिसे उस पद पर राजा या प्रजा ने चुना हो। ३. वह प्रधान शासक जिसे राजा या मंत्रि- मंडल किसी देश में शासन करने के लिये नियुक्त करे । राज्यपाल । ४. भारतवर्ष में किसी प्रेसिडेंसी (प्रांत) का वह प्रधान हाकिम जो इंगलैंड के बादशाह या मंत्रि- मंडल द्वारा गवर्नर जनरल के अधीन रहकर शासन करने के लिये नियत किया जाता था । भारतवर्ष में बंबई, मद्रास और बंगाल में गवर्नर रहते थे। लाट । यौ०-पावर्नर जनरल । गवर्नर जनरल--संज्ञा पुं० [अं॰] किसी देश का सबसे बड़ा वह हाकिम जिसे राजा या मंत्रिमंडल ने नियत किया हो और जिसके नीचे कई एक गवर्नर और लेफ्टिनेंट गवर्नर हों। वाइसराय । बड़े लाट । विशेष---जैसे भारत वर्ष के गवर्नर जनरल, जो संपूर्ण भारतव का शासन करते थे और जिनके मातहत बंबई, मद्रास और बंगाल के गवर्नर तथा संयुक्त प्रांत, पंजाब आदि के गवर्नर अथवा लेफ्टिनेंट गवर्नर थे । गवर्नरों की नियुक्ति इंग़लेंडेश्वर, स्वयं करते थे; पर लेफ्टिनेंट गवर्नर जनरल द्वारा नियुक्त होते थे। बाद में लेफ्टिनेंट गवर्नर का पद समाप्त कर दिया। गवर्नर जनरल एक कौंसिल या मंत्रिमंडल द्वारा शासन फरते थे । स्वतंत्र भारत के संविधान के अनुसार अब यह पद समाप्त कर दिया गया है। श्री सी० राजगोपालाचारी भारत के अंतिम गवर्नर जनरल या बाइसराय थे। गवर्नरी--संञ्चा श्री [अं० गवर्नर-+ई (प्रत्य॰)] १.जहाँपर गवर्नर शासन करता हो। प्रेसिडेंसी। प्रांत । २. शासन । अविकार। गवर्मेंट----संशा खी० [अं॰ 'गवर्नमेंट' ] दे० 'गवर्नमेंट'।. . गवर्मेटी-वि० [अं० गवर्नमेंट ] सरकारी। गवर्नमेंटी। ... गवल-संन्या पुं० [सं०] १. जंगली भैसा। परना। २. मैंसे की सींग (को०)। गवहियाँ-संज्ञा पुं० [सं० गोन=अतिथि ] अतिथि । मेहमान । गवहियाँ-वि० [हिं० गवहीं ] ग्रामीण । गांव का । उ०- बिचारे भोले गवहियें और अपढ़ ठग लिए जाते हैं। प्रेमधन, भा॰ २, पृ०५३। . गवाना--कि० [सं० गमन, हिं• गवन' का प्रे०. रूप] खो देना। खोना। गवाg -संज्ञा सी० [हिं० गो-गाय] उ०- नाना वर्ण गवा ___उनका एक वर्ण दूध।-दक्खिनी, पृ० १८ । गवाक्ष-संक्षा पुं० [सं०] १. छोटी खिड़को । गौवा । झरोखा । २. एक बन्दर का नाम जो रामचंद्र की सेना का सेनापति या। गवाक्षित-वि० [सं०] खिड़की या झरोखे से युक्त ! खिड़कियों बाला [को०] । गवाक्षी--संज्ञा स्त्री० [सं०] १. इंद्रायन । २. एक प्रकार की ककड़ी। ३.सहोरा या सिहोर नाम का पेड़। ४. अपराजिता लता। विष्णु कांता। . ... गवाख@-संश पुं० [सं० गवाक्ष ] दे० 'गवाक्ष'। गवाख्या -संश पुं० [सं० गवाक्ष ] दे० 'गवाक्ष'। उ०-पुरं मंदिरं चौहट प्रो गवाव्यं ।-ह० रासो, पृ० १६. . . गवाची-संज्ञा स्त्री० [सं०] एक प्रकार की मछली को .. गवाछ -संज्ञा पुं० [सं० गवाक्ष ] दे॰ 'गवाक्ष। गवादन-संज्ञा पुं० [सं०] १. गोचर भूमि । चरागाह । २. घास [को०] । गवादनी--संज्ञा सी० [सं०] १. धास । २. चरागाह । ३. पशुनों को चारा देने का पात्र । बोर । नांद (को०) । गवाधिका-संज्ञा झी० [सं०] लाह । लाक्षा | लाख [को० 1 गवाना क्रि० स० [सं० गमन, हिं० 'गवन' का प्रे० रूप] बोना । गवामयन-संज्ञा पुं० [सं०] प्राचीन काल का एक प्रकार का यज्ञ - जो एक वर्ष में समाप्त होता था। दस या बारह महीने में पूरा होनेवाला एक वैदिक यज्ञ। . .. गवार-प्रत्य० [फा०] रुचिकर । सह्य । अनुकूल। जस खुशगवार, नागवार ।। गवारा -वि० [फा०] १. मनभाता। अनुकूल । पसंद । २. सह्य । अंगीकार । क्रि० प्र०—करना ।—होना । गवारिश-संज्ञा स्त्री० [फा०] प्रोपधियों का चूर्ण जिसका प्रयोग पाचन के लिये किया जाय। गवालीक--संधा पुं० [सं०] जैन शास्त्रानुसार वह मिथ्या भाषण . जो गो आदि चौयायों के लिये किया जाय। गवालक--संज्ञा पुं० [सं०] नील गाय । गवय (को०] 1 . गवाशन'--वि० [सं०] गोमांस खानेवाला । गोभक्षी।