पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१८६

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गांकर १२६३ - गांठ गांकर-संघा सी० [सं० प्रार+कर, पुं० हिं० अगाकरी, अगाकरि] गांझी-संज्ञा स्त्री० [देश॰] भेड़ । उ०-दादू गांझी ज्ञान है मंजन है १.अंगाकड़ी। बाटी । लिट्टी। २.अरहर की लिट्टी। सब लोक । राम दूध सब भरि रहयाँ, ऐसा अमृत पोख।- दादू, पृ०.१५१। . । गाँग@-संशा स्त्री॰ [सं० गङ्गा दे० 'गंगा' । उ०-गाँग जउन जी गांठ--संज्ञा स्त्री० [सं० अन्यि, पा० गठि] [वि० गंठोला] १.रस्सी, लहि जल ती लहि अम्मर माथ ।---जायसी ग्रं० (गुप्त), डोरी तागे आदि में पड़ी हुई मुद्धी की उलझन जो खिंचकर पृ०१५। कड़ो और दृढ़ हो जाती है। वह कड़ा उभार जो तागे, रस्सी, गांगट--संज्ञा पुं० [सं० गाङ्गट] केकड़ा। डोरी आदि में उनके छोरों को कई फेरे लपेटकर या नीचे गांगन--संज्ञा ली. [ ? या देश. ] एक प्रकार की फोड़िया। ऊपर निकालकर खींचने से बन जाता है। गिरह । ग्रंथि। गांछना -क्रि० स० [सं० गुत्तन] गूधना । गौथना । जैसे--माला जैसे,—रस्सी में गाँठ पड़ गई है। ____ गाँधना, नारा गांछना। क्रि० प्र०-खोलना ।---डालना ।—देना ।—पड़ना ।- गांज-संज्ञा पुं० [फा० गंज] १. राशि । । ढेर । अंबार । २.डंठल, बांधना ।लगाना। खर, लकड़ी आदि का वह ढेर जो तले ऊपर रखकर लगाया यौ०-गाँठ गठीला-गाँठों से भरा हुआ । गाँठवाला। जिसमें गया हो। जैसे,--लकड़ी का गाँज, खर का गाँज, पयाल का उलझन और गांठ हो। गांज इत्यादि। महा०-गांठ खुलना=उलझन मिटना। किसी भारी समस्या गांजना-क्रि० स० [हिं० गांज, फा० गंज] १. राशि लगाना । · का समाधान होना । कोई भारी प्रश्न हल होना । गांठ सोलना ढेर करना । २.घास, लकड़ी, डंठल आदि को तले ऊपर या छोरना = उलझन मिटाना । अड़चन दूर करना । कठिनाई .. मिटाना । उ०-कहनि रहनि एक विति विवेक नीति वेद । रखकर ढेर लगाना। बुधसं मत पथन निरवान की। गांठि विनु गुन की कठिन जड़ गाँजा--संज्ञा पुं० [सं० गजा] भाँग की जाति का एक पौधा। चेतन की छोरी अनायास साधु सोधक अपान की।-तुलसी विशेष-यह देखने में भाँग से भिन्न नहीं होता, पर भांग की ग्रं॰, पृ० ३१५ । (मन या हृदय को) गाँठ खोलना%D तरह इसमें फूल नहीं लगते । नेपाल की तराई, बंगाल आदि (१) खोलकर कोई बात कहना। मन में कोई वात गुप्त में में यह भांग के साथ आपसे आप . उगता है; पर कहीं कहीं रखना । मन में रखी हुई बात कहना । (२) अपनी भीतरी इसकी खेती भी होती हैं। इसमें बाहर फूल नहीं लगते, पर इच्छा प्रकट करना । (३) अपना हौसला निकालना । लालसा वीज पड़ते हैं । वनस्पति शास्त्रविदों का मत है कि भाँग के पौधे के तीन भेद होते हैं-स्त्री, पुरुप और उभयलिंगी। इसकी पूरी करना। (मन में) गाँठ - गफड़ना या करना-भेद मानना । अंतर रखना। बुरा मानना । खिंचा रहना । वर खेती करनेवालों का यह भी अनुभव है कि यदि गांजे के पौधे के पास या खेत में भाँग के पौधे हों, तो गाँजा अच्छा नहीं मानना । कोना रखना। गांठ पर गाँठ पड़ना=(१) उलझन । होता । इसलिये गांजे के खेत से किसान प्रायः भाँग के पौधे वढ़ती जाना। किसी. वात का उत्तरोत्तर कठिन होता जाना। उखाड़कर फेंक देते हैं । गाँजे के पौधे से एक प्रकार का लासा मामला पेचीला होता जाना । (२) मनमोटाव बढ़ता जाना। भी निकलता है । यद्यपि नीचे के देशों में यह यह लासा उतना द्वष बढ़ता जाना । मन में गाँठ चित्त में बुरा भाव । द्वेष . नहीं निकलता तथापि हिमालय पर यह बहुतायत से निकलता भाव । वैर । मन में गांठ रखना जी में बुरा मानना । वर. है और इसी से चरस बनती है। हिंदुस्तान में गाँजा खाया मानना । मन या हृदय में गांठ पड़ना=आपस के संबंध में नहीं जाता; लोग इसमें तमाकू मिलाकर इसे चिलम पर पीते भेद पड़ना । मनमोटोव होना। वैर होना । द्वेष होना । उ०- (क) मन को मारों पटकि के टुक टुक उड़ि जाय । टूटे पाचे हैं। पर अगरेजी दवाओं में इसका सत्त काम में लाया जाता हैं। गांजे की कई जातियाँ है--बालूचर, पहाड़ी, चपटा, गोली, फिर जुर, वीच गांठि पड़ि जाय ।—कबीर (शब्द॰) । (ख). भंगेरा इत्यादि । वालूचर के तैयार होने पर उसे काटकर और . दृग उरझत टूटत कुटम जुरत चतुर सँग प्रीति । परति गांठ. दुर्जन हिये दई नई यह रीति ।-विहारी (शब्द०)। पूला बनाकर पैरों से रौंदते हैं.। इस प्रकार तले ऊपर रखकर. २.अंचल, चद्दर या किसी कपड़े की खूट में कोई वस्तु (जैसे, वैद्यक में गांजे को कडुवा, कसला, तीता और उष्ण लिखा है 1 रुपया) लपेटकर लगाई हुई गाँठ । उ०-राम गाइ औरन और उसे कफनाशक, ग्राही, पाचक और अग्निवर्धक माना :: समझाव हरि जाने विन विकल फिरें। एकादशी व्रता नाह है। यह नशीला और पित्तोत्पादक होता है। इसके रेशे . जान ज्ञान गमाये मुगुध फिर।कबीर (शब्द०)। मजबूत होते हैं और सन की तरह सुतली बनाने के काम में मुहा०-किसी की गांठ कटना=(१) गाँठ में बंधी वस्तु का. आते हैं । नेपाल प्रादि पहाड़ी देशों में इन रेशों से एक प्रकार चोरी जाना । जेब कतरा जाना। (२) सौदे में जट जाना। का मोटा कपड़ा भी बुनते हैं जिसे भेंगरा कहते हैं। . अधिक दाम दे देना । ठगा जाना । गाँठ कतरना या काटना पर्या---गंजा। गंजिका । बनदारु । भंगा। भारिता | गजाशन । (१) गाँठ काटकर. रुपया. निकाल लेना। जेब कतरना। मत्कुणारि। मातुली। गंजाकिनी। माबिनी। शक्राशन । (२) मूल्य से अधिक लेना। लूटना । ठगना। गांठ करना- जया। विजया । तुरंत-प्रानंदा। हषिरणी। (१) संग्रह करना। इकट्ठा करना । अपने पास रख लेना ।