पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२१

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क्षामाई १०६७ क्षयकासी मनुष्य दूसरे द्वारा पहुँचाए हुए कष्ट को चुपनाप सह लेता है अकुलाव ।-सूर (शब्द०)(ख) कहो कौन कीन्हों अपराधा। और उसके प्रतिकार या दंड की इच्छा नहीं करता। यह वृत्ति काह क्षमावहु केहि की बाधा ।-रघुराज (शब्द०)।:: तितिक्षा के अंतर्गत मानी गई है । क्षति । २. सहिष्णु ता। क्षमावान्---वि० [सं० क्षमावत् ] [श्री० क्षमावती] १. क्षमा सहनशीलता । ३. खैर का पेड़ । ४. पृथिवी। ५. एक की करनेवाला । माफ करनेवाला। २. सहनशील 1 सहिष्णु ।' संख्या । ६. बेत्रवती या बेतवा नदी का एक नाम । ७. दक्ष गमखोर । की एक कन्या का नाम। ८. दुर्गा का एक माम। ६. क्षमाशील-वि० [स०] १. 'माफ करनेवाला । क्षमावान् । २.. ब्रह्मावत' के अनुसार राधिका की एक सखी का नाम । १०. शांतप्रकृति। तेरह अक्षरों की एक वर्ण वृत्ति का नाम, जिसमें क्रम से दो क्षमाष्ट-संज्ञा पुं० [सं०] संगीत में चतुर्दश ताल का एक भेद। . नगण, एक जगण, एक तगण, और अंत में एक गुरु (न न ज क्षमित-वि० [सं०] क्षमाप्राप्त । जो क्षमा किया गया हो। .... त गु) होता है और सातवें तथा छठे वणं पर यति होती है। क्षमितव्य--वि० [सं०] क्षमा करने योग्य । जो क्षमा किया जा सके। जैसे-न निज तिगम सुभाव छाँई खला । यद्यपि नित उठ पाव क्षमिता-वि० [सं० क्षमित] क्षमा करनेवाला । क्षमाशील (को०]i ताको फला । तिमि न सुजन समाज धार तमा। जग जिनकर क्षमी-वि० [स० क्षमिन J१. क्षमाशील । क्षमावान् । माफ करने- सुसाज नीती क्षमा । ११. चंद्रशेखर के अनुसार प्रार्या वाला । उ०-सुर हरि भक्त असुर हरि द्रोही । सुर अति क्षमी . मामक छद का एक भेद, जिसमें २२ गुरु और १३ मधु मात्राएं असुर अति कोही।—सूर (शब्द०)। २. शांतप्रकृति । ३.. होती हैं। समर्थ । सशक्त । उ-मदन बदन लेत लाज को सदन देखि, क्षमाईg-संघा बी० [हिं०क्षमा+ई (प्रत्य०) क्षमा करने की यदपि जगत जीव मोहिबे को है क्षमी।-केशव (शब्द०)। क्रिया । उ०-केवल चरण गिरचो उत धाई । करहु नाथ । क्षम्य--वि० [सं०] माफ करने योग्य । जो क्षमा किया जाय । .. अपराध क्षमाई।- रघुराज (शब्द०)। क्षयंकर-वि० [सं० क्षयर] नाश करनेवाला । क्षयकारी । नायक। क्षमाज-संज्ञा पुं० [सं०] पृथवी से उत्पन्न-मंगल ग्रह (को० ॥ क्षय-संज्ञा पुं० [सं०] [भाव० क्षयित्व] १. धीरे धीरे घटना। क्षमातल-संत्रा पुं० [सं०] पृथ्वीतल । जमीन की सतह [को०) । हास । अपचय। २..प्रलय । कल्पांत । ३. नाश । ४. घर । क्षमादंश-संशा पुं० [सं०] सहिजन का पेड़ । मकान । ५. निवासस्थान । रहने की जगह । ६. यक्ष्मा नामक क्षमाना -फि० स० [हिं० क्षमना] क्षमना को प्रेरणार्थक रोग । क्षयी ७. रोग। बीमारी। ८. अंत । समाप्ति । ६. रूप । क्षमा कराना । माफ कराना । उ०-संत जाय सिगरे नीति शास्त्र के अनुसार राजा के ऋषि, बस्ती, दुर्ग. सेतु, सिर. नाये । निज अपराध अगाध क्षमाये ।-रघुराज हस्तिबंधन, खान, करग्रहण और सेना के समूह (अष्टवर्ग ) (शब्द०)। का ह्रास या नाश । १०. साठ संवत्सरों में से अतिम संवत्सर क्षमाना -क्रि० स [हिं० क्षमा क्षमा करना । माफ करना । का नाम । यह वर्ष बहुत भयानक और उपद्रवकारी होता है। उ०-व हरि उनके दोप क्षमाए ।-सुर (शब्द०)। उ०-इस बारहवें युग के पिछले वर्ष का नाम क्षय है । यह क्षमान्वित-वि० [सं०] दे० 'क्षमावाम्' [को०] । क्षयकारक है।-वृदत्, पृ०५४।११. ज्योतिष में एक प्रकार क्षमापन -संज्ञा पुं० [सं०] १. क्षमा करने का काम । माफी । का मास जो शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होकर अमा- २. माफ कराने का काम । उ०—(क) इस नगर को वस्या तक रहता है । परित्याग कर दूसरी और इससे उत्तम रीति से कालयापन विशेष-इस मास में दो संक्रांतियाँ होती हैं और इससे तीच करें और परमेश्वर से स्वापराध क्षमापन के लिये प्रयत्न मास पहले और तीन मास पीछे एक एक अधिमास पड़ता है। करें ।-हरिश्चंद्र (शब्द॰) । (ख) सकल जय ताके कार्तिक, अगहन और पूस के अतिरिक्त और कोई महीना पद परहू । निज अपराध क्षमापन करहू ।-रघुराज क्षयमास नहीं हो सकता। सिद्धांत शिरोमणि के अनुसार यह मास प्रायः १४१ वर्ष के मंतर पर पड़ता है। इस मास में . किसी प्रकार का मंगलकार्य करना निषिद्ध है। कोई कोई इसे क्षमाभुक-संज्ञा पुं० [सं० क्षमाभुज] पृथ्वीपशि भूपति । राजा [को०] । अंहंस्यति भी कहते हैं। ... क्षमाभुज-संशा पुं० [सं०] १. मंगल ग्रह । २. दे० 'क्षमाभू' [को०] । १२. जाति । वंश (को०)। १३. यमलोक। यस्यति (को०) 1१४. क्षमाभत्-संशा पुं० [सं०] १. पर्वत । भूभृत् । २. राजकुमार [को०] । गणित में ऋण का चिह्न या राशि (को०) । १५. हाथी के ' क्षमामंडल-संघा पुं० [सं० क्षमामण्डल] पृथ्वी का घेरा । अवनि घुटने का एक भाग (को०)। । मंडल [को०] । ... . . क्षयकर-वि० [सं०] दे० 'क्षयंकर' [को०) । क्षमालु-वि० [सं०] क्षमाशील । क्षमावान् । क्षयकाल---संधा पुं० [सं०] प्रन्य काल । संहार का समय [को०] । क्षमावना-क्रि० स० [हिं० क्षमता का प्र० रूप] क्षमा करना। क्षयकास--संशा पुं० [सं०] क्षयो रोग में होनेवाली खांसी । माफ कराना । उ०-(क) परी पाँच अपराध क्षमावत सुनत क्षयकासी-वि० [सं० क्षयकासिन् ] क्षय रोग की अवस्था में खांसी " . मिलंगी घाय। सुनत बचन दूतिका बदन ते श्याम चले से पीड़ित । क्षयरोग से. ग्रस्त । .