पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२१९

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१२६६ गच्छकरंज-संवा पुं० [सं० गुच्छकरज] करंज का एक प्रकार[को०] । मुहा०-गुजर जाना=मर जाना । जैसे,--कई दिन हुए वे गुजर गुग्छदंतिका-संवा बी. [सं० गुच्छदन्तिका] कदली । कैला। . . गए। गुच्छपत्र--संस पुं० [२०] ताड़ का पेड़। ३. नदी पार करना। ४. निर्वाह होना । पटना । निपटना। गठपुष्प-संवा पुं० [सं०] १. अशोक वृक्ष । २. सतिवन या छतिवन बनना । निमना । जैसे,--तुम चिंता न करो,उन दोनों को

. का पेड़। ३. रीठा। ४. धवई या चाय का पेड़। धातकी । खूब गुजरेगी। ५. ( दन्ति आदि का ) पेश होना । ६. मन

गच्छफल-संथा पुं० [सं०] १. रीठा । २. निर्मली। ३. दोना। में पाना । विचार में माना। . ....... ४. मकोय । काकमाची । ५. अंगूर । ६. कदली। गुजरनामा---संज्ञा पुं० [फा० गुजरनामह, ] फिती मार्ग से जाने का ...गुच्छफला-संदी [सं०] १. द्राक्षा। २. कदली [को०] । अधिकारपत्र । राहदारी का परवाना । पारपत्र । छमुलिका-संशा श्री [सं०] गोंदला घास । गुजर बसर-संज्ञा पुं० [फा०] निर्वाह । मुजारा । कालक्षेप । . गुच्छल-संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार की घास [को०] । क्रि० प्र०—करना ।—होना । -- गुच्छा-संज्ञा पुं० [सं० गुच्छ.] १. एक में लगे या बँधे कई पत्तों, मुहा०—गुजर बसर करना=किसी प्रकार समय व्यतीत करना। ... फूलों या फलों का समूह । जैसे,—अंगूर का गुच्छा, फूलों का गुजर बसर होना=किसी प्रकार समय व्यतीत होना । ....... गुच्छा ! २. एक में लगी, गुथी या वैधौ छोटी वस्तुओं का गुजरवान-संथा पुं० [फा०] १. मल्लाह । पार उतारनेवाला । २.. .: समूह । जैसे,-धुधुओं का गुच्छा, कुजियों का गुच्छा । ३... . वह व्यक्ति जो घाट की उतराई वतूल करता हो। • फुलरा । फुदना । झब्बा। गुजरात-संशा गुं० [सं० गुर्जर+राष्ट ] [वि० गुजराती ] भारत- ... गुच्छातारा-संशा पुं० [हिं० गुच्छा+तारा ] कचपचिया नाम का . वर्ष के पश्चिम प्रांत का एक देश जो राजपूताने के प्रागे ... तारा।... . पड़ता है। गच्छाई', गुच्छाई-संज्ञा पुं० [सं०] चौवीस लड़ी का हार । (किसी गुजराती'-वि० [हिं० गुजराती ] १. गुजरात देश का । गुजरात . किसी के मत से) सोलह लड़ी का हार । का निवासी या रहनेवाला । गुजरात देश संबंधी। गुजरात गुच्छी-संशो -[सं० गच्छ] १. करंज। कंजा । २. रीता । ३. देश में उत्पन्न । जैसे,—गुजराती इलायची । २. गुजरात का एक प्रकार का पौधा । 1 . बना हुआ । जैसे,—गुजराती सेंदुर । विशेप---यह पंजाब के ठंडे स्थानों में तथा कश्मीर में होता है। है गुजराती-संज्ञा स्त्री० १. गुजरात देश की भापा । ३. छोटी इला- यची । जैसे, गुजराती इलायत्री। - इसके फूलों या बीजकोश के गुच्छों की तरकारी बनती है और गुजराती-संश ० गुजरात का निवासी । गुजरात में रहनेवाला। वे सुबाकर बाहर भेजे जाते हैं । गुजरान---संशा पुं० [फा० गुज़रान ] निर्वाह । गुजर | कालक्षेप। गुच्छेदार-वि० [हिं० गच्छा+फा० दार (प्रत्य॰)] जिसमें उ.-केवल कंदमूल पर अपनी गुजरान करना ।-भारतेंदु गुच्छा हो। पं०, भा० ३, पृ० ३८०। गुज-संथा पुं॰ [देश०] बांस की एक कील जो तीखी और परे के गोड़ गुजरानना@-क्रि० स० [हिं० गुजारना] १. उपस्थित या पर ... के छेदों में लगाई जाती है। (रेशम खोलनेवाले)। करना। २. विताना । व्यतीत करना। - गुजर--संघा पुं० [फा० गुजर] १. निकास । गति । जैसे,—उस गजरिया-संज्ञा स्त्री० [हिं० गूजरी] १. गूजर जाति की स्त्री। रास्ते से गुजर मुशकिल है। २. पं० 1 पहुँच। प्रवेश। जैसे,- ग्वालिन । गोपी। २. धोवियों के नृत्य में स्त्री के रूप में वहाँ फरिश्तों तक का तो गुजर नहीं आदमी की कौन चलावे। नाचनेवाला । उ०-लो छन छन, छन छन छन छन छन छन . ३. निर्वाह । कालक्षेप । जैसे,—इतने वेतन में कैसे गुजर हो नाच गुजरिया हरतो मन !-ग्रान्या०, पृ० ३१ । . सकता है। गुजरी'-संशा जी० [हिं० यूजर ] १. कलाई में पहनने की एक यो०-गुजर बसर । गुजरबान । गुजरगाह । प्रकार की पहुंची। .. कि० प्र०-करना । —होना । विशेप-इसके गोल दानों को फोर पर छोटी विदियां रहतीहैं। - गुजरगाह-संशश श्री० [फा० गुजर+गाह (स्थान) ] १. रास्ता। · मारवाडिनें इसे बहुत पहनती हैं। .... वाट । २. पाट जहाँ से कोई नदी पार की जाय। २. दीपक राग की एक रागिनी। गुजरना-कि० अ० [फा० गुजर + हिं० ना (प्रत्य०) १. समय विशेष-कोई कोई इसे मेघ राग की रागिनी मानते हैं। व्यतीत करना । होना। कटना। वीतना । जैसे,-रात तो ३. बह भेड़ जिसके कान न हों या फटे हुए हों । ची। जैसे तैसे गुजरी पर दिन कैसे कटेगा। गुजरी -संशा श्री० [हिं० मूजरो दे० 'गूजरी' । उ०-'गुजरी . . मुहा०-फिती पर गुजरना=किसी पर (संकट या विपत्ति) एक वृदावन माहीं । तिन पुनि कथा सुनी एक ठाहीं।-पट०, . . पड़ना । जैसे, हमपर जो गुजरी, हमीं जानते हैं। पृ० २२६ । .. २. किसी से होकर आनाया जाना । जैसे,-बड़े लाट साहेब गुजरो-संबा श्री हि गुजरना] शाम को समापा मार्ग में शिनला से कलकत्ता जाते समय बनारस से गुजरेंगे। किनारे लगनेवाला बाजार।