पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२२८

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गुन. मागन गुना अपराधी मुहा०--नाँखें गुद्दी में होना. या चली जाना= सुझाईन देना। गुनावना--संशा पुं० [सं० गुणन] १. सोच विचार । २.सलाह देख न पड़ना। समझ में न पाना । किसी वस्तु के प्रत्यक्षा मशविरा। होते हुए भी उसे न देखना या न समझना या न मानना। गुनाह-संशा पुं० [फा०] १. पाप । २. दोप। कसूर । अपराध। ." गुद्दी नापना- गुद्दी पर धौल : लगाना । गद्दी की नागिन = गनाहगार-वि० [फ०] १. गुनाह करनेवाला । पाप करनेवाला।' गरदन के पीछे वालों की भौंरी जिसे लोग अशुभ समझते हैं। २. अपराध करनेवाला । कसूर करनेवाला । दोषी। .... . गुद्दी से जीभ खींचनाम्जवान खींच लेना । बहुत कड़ा दंड गुनाहगारी- संज्ञा स्त्री [फा०] गुनहगार का भाव । अपराधी या देना। (गाली)। दोषी होने का भाव। . ३. हथेली का माँस । गनाही-संचा पुं० [फा०] १.पाप करनेवाला । पापी । २. अपराध .. गु --संज्ञा पुं० [सं० गुण दे० 'गुण' । करनेवाला। दोपी ! कुसूरवार। .. गुनकारी -वि० [हिं० गुणकारी] दे० 'गुणकारी' । गुनिया - संज्ञा पुं० [हिं० गुन+इया (प्रत्य॰) ] वह व्यक्ति जिसमें गुनगाहका-संज्ञा पुं०, वि० [सं० गुणग्राहक] दे० 'गुणग्राहक'। . गण हो। गणवान । गुनगुना'-वि० [अनु॰] नाक में बोलनेवाला । गुनिया--संज्ञा स्त्री० [हिं० कोन, कोनिया) राजों, वढ़इयों और गुनगुना-वि० [हिं० कुनकुना] दे० 'कुनकुना'। संगतराशों का एक प्रौजार जिससे वे कोने की सीध नापते हैं। ::: गुनगुनाना--क्रि० अ० [अनु॰] १. गुनगुन शब्द करना । २. नाफ साधन । दै० 'गोनिया'। मे बोलना । ३.अस्पष्ट स्वर में गाना। गुनिया-संश पुं० [सं० गुण, हिं० गुन+इया (प्रत्य॰)] वह मल्लाह गनगौरि--संज्ञा पुं० [हिं० गणगौरि] १.पतिव्रता स्त्री। सौभागिनी। " जोना की Titar

उ०-धनि धनि तुव वहियाँ ए गुनगौरि । कंकन की जहँ कोमत गनियालाft If गण गणवाला गिरणी। .... लाख करोरि 1-सेवक (शब्द०)। २. दे० 'गुणगौरि'। गुनी--वि० संज्ञा पं० [हिं० गुरणी] दे० 'गुगी । गनग्राम@-संज्ञा पुं० [सं० गुणग्राम] गुणों का समूह । उ०—जग मनोबर-संज्ञा पुं० [फा० सनोबर | एक प्रकार का देवदार या' :. मंगल गुनग्राम राम के । दानी मुकुति धन धरम धाम के । सनोबर का पेड़। ' - मानस, १। ३२ . विशेष-यह उत्तर पश्चिमी हिमालय में ६००० से १००० गुलनाg+--- क्रि० प्र० [सं० गुरगन] १. मनन . करना। विचार फुट की ऊंचाई तक होता है। इसकी लकड़ी बड़ी मजबूत और करना। जैसे,- पढ़ना गुनना। २.समझना। सोचना । कड़ी होती है। पर उसका कोई विशेष उपयोग नहीं होता। ": "" उ०-(क) सुनि चितउर राजा मन गुना ।' विधि संदेस मैं चिलगोजा नाम का मेवा.इसी का फल है। इस वृक्ष को चोरी. कासौं सुना।-- जायसी (शब्द०) (ख) सुमति महामुनि भी कहते हैं। सुनिए । तन धन कै मन गुनिए ।--केशव (शब्द०)। गुन्नी----संशा सी० [सं० गुण, हिं० गून रस्सी] एक प्रकार का कोड़ा.." गुनमंता-वि० [हि० गुनवंत] दे० 'गुनयंत'। . जिससे ब्रजमंडल में होली के अवसर पर स्त्री पुरुष एक दूसरे गुनरखा---संक्षा पुं० [हिं० गून] १. दे० 'गोनरखा'। २. दे० 'गुनिया को मारते हैं। . . .. ... .... गुनवंता-वि० [हिं० गुन+वंस (प्रत्य॰)] [वि० सी० मुनवतो] गुप'-वि० [हिं० धुप। दे० 'धुप' । जिसमें कोई गुण हो। गुणी। उ०--जो कह झुठ मसखरी गुप-संज्ञा पुं० [अनु०] सुनसान होने का भाव । सन्नाटा। जाना । कलिजुग सोइ गुनवंत बखाना । —मानस, ७ . गुपचुप'-क्रि० वि० [हिं० चुप-चुप] बहुत गुप्त रीति से । छिपाकर।...' गुनवंतिन@t- वि० श्री [हिं० गुनवंती] गुणवाली। गुंगवती। . चुपचाप । चुपके से । जैसे,- तुम अपना काम करके वहाँ से : गुनवान:---वि० [सं० गुणवत्] दे॰ गुणवान्'। चुपचुप चले आना। गनहगार--वि० [फा०] १. पाप । २. दोपी। अपराधी । गुपचुप- संमा सी० १. एक प्रकार की मिठाई जो मुह में रखते ही गुनहगारी-संक्षा की० [फा०] १. पाप । २. दोष । अपराध । घुल जाती है। गुनही --संधा पुं० [फा० गुनह+हिं०'ई (प्रत्य॰)] गुनहगार विशेष--यह खोवे और मैदे या सिंघाड़े के आटे को घी में पकाकर ..... 'अपराधी । उ०-जी गुनही ती मारिए अखिन माहि अगोटि। और शीरे में डालकर बनाई जाती है। -बिहारी (शब्द०)। ...: २.लड़कों का एक खेल जिसमें एक गाल फुलाता है और दूसरा :: गुना --संज्ञा पुं॰ [सं० गुरगन] १.. एक प्रत्यय जो केवल संख्यावाचक उसपर घूसा मारता है। ३..एक प्रकार का खिलौना। शब्दों के अंत में लगता है। यह जिस : संख्या. के . अंत में लगता, गुपाल सं धा पुं० [सं० गोपाल] दे० 'गोपाल'। .. . है उतनी ही बार कोई मात्रा, संख्या या परिमाण सूचित गपिल-संधा पुं० [सं०] १. राणा । २. रक्षक [को०] | .. करता है। जैसे,- दुगुना, : चौगुना, दसगुना,. बीसगुना । गपूत---वि० [सं० गुप्त] २० 'गुप्त' । उ०--सूझहि रामचरित मनि . २: गुणा। (गणित)। .... ...... मानिक । गुपुत प्रकाट जहूँ जो जेहि खानिक |--मानस, शा... गुना--संप्ता पुं० [देश॰] गेह के घाटे और, गुड़ से बना हुया एक गुप्त --वि० [सं०] १. छिपाहुप्रा । पोशीदा। .. . पक्यान। . . यो०--गुप्तचर गुप्त गोष्ठी । गुप्तदान. . . . . . . . 2.