पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२६८

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१३४५ ..::वाजिय गोदार गोषिकात्मज गोदा-संज्ञा पुं० [देश॰] कटवासी बांस । . होता है। इसकी चिकनी और चमकीली टहनियों से शीतल- गोदा-सचा पुं० [हिं० गोंजा] १. पेड़ों की नई शाखा । ताजी डाल। पाटी बनाई जाती है जो दूर दूर भेजी जाती है। ..२. किसी पेड़ की लंबी और पतली टहनी। गोदाह-संवा पुं० [सं०] १. गाय का दोहन । २. गाय का दूध । ३. क्रि० प्र०-बनाना ।- मारना। -, गाय के दुड्ने का समय [को०] ! . गोदा--संज्ञा पुं० [हिं० घौद] बड़, पीपल या पाकर के पक्के फल। गोदोहन-संज्ञा पुं० [सं०] १. गाय के दुहने की क्रिया । गाय दुहा . गूलर, पिपरी इत्यादि । जाना 1 २. गाय के दोहन का काल या समय (को०] .... क्रि० प्र०--खाना।चुनना ।-बीनना । गोदोहनी-संज्ञा स्त्री० [सं०] वह बरतन जिसमें गाय का दूध दुहा गोदान--संज्ञा पुं० [सं०] १. गौ को विधिवत् संकल्प करके ब्राह्मण जाता है । दोहनी [को०] ! को दान करने की क्रिया । गोद्रव-संज्ञा पुं॰ [सं०] गाय या बैल का मूघ । गोमूत्र। विशेष- इसका विधान साधारण दान, पुण्य, रोग, विवाह आदि गोध--संशा सी० [सं० गोधा] गोह नामक जंगली जानवर। संस्कार अथवा किसी प्रकार के प्रायश्चित्त के अवसर के गोधन संज्ञा पुं० [सं०] १. गौत्रों का समूह । गौनों का झुड। .. लिये है। उ.- कमल नयन धनश्याम मनोहर सब गोधन को, भूप।- . क्रि० प्र०-करना-देना।-लेना। सूर (शब्द०)। २. गौ रूपी संपत्ति । उ०-गोधन, गजधन, २. एक संस्कार जो विवाह से पहले ब्राह्मण को १६वें वर्ष, वाजिधन और रतनधन खान । जव आवे संतोषधन सब धन . क्षत्रिय को २२वें वर्ष और वैश्य को २४वें वर्ष करना धूरि समान । —तुलसी (शब्द०)।३. एक प्रकार का तोर . आवश्यक है। इसे केशांत या गोदान मंगल भी कहते हैं। जिसका फल चौड़ा होता है। . . . . . उ०--पुनि करवाय मुनिन गोदाना। मंगल मंडित वैद . ___ गोवन @---संज्ञा पुं० [सं० गोवर्द्धन] गोवर्धन पर्वत । उ० - अलि विधाना।-रघुराज (शब्द०)। गोधन पूजा को उमह्यो व्रज मोहि चढ़ी तप सोगन तें।-बेनी । गोदाम- संज्ञा पुं॰ [अं० गोडाउन] वह बड़ा सुरक्षित स्थान जहाँ वहुत सा माल असबाव रखा जाता हो। गोधन-संशा पुं० [देश॰] एक प्रकार का पक्षो। विशेष साधारणतः बहुत बड़े बड़े व्यापारी अपना सारा माल . विशेष—यह पक्षी सारे एशिया, युरोप और अफ्रीका में पाया दूकानों में न रख सकने के कारण एक बड़ा स्थान भी ले जाता है । इसकी चोंच लाल, सिर भूरा और पैर हरे होते लेते हैं जिसमें उनका अधिकांश थोक माल पड़ा रहता है। गोदारण-संज्ञा पुं० [सं०] १. जमीन खोदने की कुदाल। २.हल को०]। ...अंडे देता है। हैं। यह प्रायः जलाशयों के निकट रहता और ५ से तक गोदारुण-संज्ञा पुं० [20] १. कुदाल । २. हल. [को०] ! .. .. गोदावरी-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. दक्षिण भारत को एक नदी जो गोधर--संचा पुं० [सं०] पर्वत । पहाड़। नासिक के पास से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। गोधर्म--संज्ञा पुं० [सं०] पशुओं की भांति समागम करना । समागम २. मदरास को एक जिला । में अपने पराए का कुछ विचार न रखना । ... गोदि -संश बी० [हिं० गोद] दे॰ 'गोद' । उ०-जब इन छल गोघाँ -संज्ञा पुं० [सं० गोधन] गोधन । वैल । उ भूसर झालर करि श्री ठाकुर जी को अपनी गोदि में लिए। दो सौ झल्लही गोधां गावड़ियाँह !--वाकी ०, भा० २, पृ०१५६ । वावन०, भा० १, पृ० १३६ ॥ गोधा'-- संक्षा नी० [सं०] गोह नामक जंतु । ...:- गोदी'--संज्ञा स्त्री० [देश॰] बड़ी नदी या समुद्र में वह घेरा हमा गोधाबु-संज्ञा पुं० [सं०. गोध्न] गोधन। बैल.। उ०—मेरे नाय गोधा स्थान जहाँ जहाज मरम्मत के लिये या'तूफान आदि के उपद्रव अन्न । मेरै ऊँट घोड़ा धन्न।-राम धर्म०. पृ०-१६६ । से रक्षित रहने के लिये रखे जाते हैं । डाक |--(लश)। गोधापदिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] ० 'गोधापदी" [को०] | " यो०-गोदी मजदूर जहाजों पर माल चढ़ाने उतारनेवाले गोधापदी.-संक्षा ली [सं०] १. मसली नाम की ओपधि । २. हतपदा मजदूर। .. ' नाम की लता । गोदी--संज्ञा खीहि गोद देवकोट ..'.. -- गोधावती - संज्ञा स्त्री॰ [सं०J० गोधापदी'। गोदी--संवा पुं० [देश॰] एक प्रकार का बबूल। ...... गोधास्कंध-संज्ञा पुं० [सं० गोधास्कन्ध ] एक प्रकार का बदबूदार 'विशेष-यह वरार, पंजाब और अवध में होता है । यह नहरों खैर । विट् खदिर [को०] । .. ..: के किनारे के वाँधों पर प्रायः लगाया जाता है। , गोधि---संघा पं० [सं०] १. माथा । ललाट। २. मगर। घडियालाका गोदुह--संथा पुं० [सं०].गाय. दुहनेवाला । ग्वाला । उ०-बल्लव गोदुह गोधिका--संज्ञा बी० [सं०] १. छिपकली। मादा घड़ियाल का गोप पुनि कहि अभीर गोपाल ।- अनेकार्थ०, पृ० २६ ।: गोधिकात्मज---संज्ञा पुं० [सं०].१.. एक प्रकार का जानवर जा . गोदूनिका-संवा स्त्री० [40] वैत की जाति का एक वृक्ष ! साँप और मांदा गोह के संयोग से उत्पन्न होता है । २. गोह विशेष—यह पूर्वीय बंगाल और आसाम आदि प्रदेशों में बहुत के साकार का एक प्रकार का छोटा जानवर जो पेड़ के.खाड़र