पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२७१

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गोपालक गोपुटा विशेष-पराशर के मत से 'गोपाल' एक संकर जाति है जिसकी गोपजातीय वे स्त्रियां या कन्याएँ जो बीकृष्ण के साथ प्रेम . उत्पत्ति क्षत्रिय पिता और शुद्रा माता से है। ब्राह्मणों के रखती थीं, और जिन्होंने उनके साग वालक्रीड़ा तया अन्य लिये इसका अन्न भोच्च कहा गया है। लीलाएँ की थीं। ३. सारिखा नाम की लता। ४. छिपाने. वाली स्त्री ३.श्रीकृष्ण । ४. राजा । ५. इंद्रियों का पालनेवाला, मन । . एक छंद जिसका प्रत्येक चरण १५ मात्रामों का होता है और गोपी कामोदी--संवा औ• [सं०] (क संकर रागिनी जो कामोद " और ७ पर यति होती है। जैसे,—दया वैलि की ललित पर पति होती है। जो या लि की ललित और केदारी के योग से बनती है। निकुंजाजत सुख पक्षिन के पुज । गुरु की हानि मिठाई गोपोगोता-संवा मौ० [सं०] श्रीमद्भागवत के दशम स्कंध में .. माह । पापरचित भोजन की चाह ! इसको "भुनंगिनी' भी गोपियों द्वारा की गई कृष्ण जी की स्तुति [को० । गोपीचंद-संज्ञा पुं० [सं० गोपी+हि. चंद] रंगपुर (बंगाल) के एक गोपालक - संचा. पुं० [सं०] १.बाला! गोपाल । ग्रहीर । प्राचीन राजा जो भर्तृहरि की वहन मैनावती के पुत्र कहे जाते हैं। गोपालकक्षा-संचाली० [सं०] महाभारत के अनुसार पश्चिमभारत विशेप--इन्होंने अपनी माता से उपदेश पाकर अपना राज्य छोड़ा का एक प्राचीन प्रदेश । और वैराग्य लिया था। कहा जाता है कि ये जलंधरनाय के गोपालकटी-संचा लौसिं०] एक प्रकार का पौधा (को०] । शिप्य हुए थे और त्यागी होने पर इन्होंने अपनी पत्नी गोपालतापन-संज्ञा पुं० [सं०] एक उपनिपद् जिसकी टीका शंकरा- पाटमदेवी से, महल में जाकर भिक्षा मांगी थी। इनके जीवन चार्य तथा और कई विद्वानों ने की है। की घटनाओं के गीत वनाकर आजकल के जोगी सारंगी पर गोपालतापनीय---जा पुं० [मं० दे० गोपालतापन। गावा करते हैं। • गोपालदारक-संज्ञा पुं० [सं०] नियों के एक प्राचाय का नाम गोपीचंदन-संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार की पीली मिट्टी जिसका गोपालमंदिर-संज्ञा पुं॰ [सं० गोपालमंदिर ] वल्लभ संप्रदाय के वैष्णव लोग तिलक लगाते हैं और जो द्वारिका के एक सरोबर ___ अनुयायियों का एक मंदिर। से निकलती है। गोपाल-मंचा पुं० [सं०] १.एक प्रवर । २.शंकर। विशेष—(क) कहते हैं, श्रीकृष्ण के स्वर्गवासी होने पर उनके गोपालिका - मंधा चौ० [सं०] १. ग्यालिन । ग्रहोरिन । २ सारिवा विरह में अनेक गोपियों ने इसी सरोवर के किनारे अपने ... नाम की घोषधि । ग्वालिन नाम का कीडा । गिजाई। प्राण तजे थे, इसीलिये उसकी मिट्टी का बहुत माहात्म्य कहा घिनौरी। है । (ख) आजकल बाजारों में गोपीचंदन के नाम से एक . भोपाली-संझा की[सं०] १.गौ पालनेवाली। २.कातिकेय को एक प्रकार की बनाई हुई पीली मिट्टी मिलती है जिसका व्यवहार - मातृका का नाम । प्रायः वैरानी करते हैं। - गोपाष्टमी-संक्षा,स्त्री० [सं०] कार्तिक शुक्ला अष्टमी। गोपीजन-संज्ञा पुं० [सं०] गोपियों का समूह । गोपियाँ [को०] । विशेष-इसी दिन श्रीकृष्ण ने गोचारण प्रारंभ किया था। इस । गोपीजनवल्लभ-संद्धा पुं० [सं०] श्रीकृष्ण [को०] ! .. दिन गोपूजन, गोग्रास, गौप्रदक्षिणा, गौत्रों के पीछे चलना गोपीजननाथ- संज्ञा पुं० [सं०] श्रीकृष्ण (को०j । इत्यादि कर्म करने का काफी माहात्म्य कहा गया है। इस गोपीत-संक्षा पुं० [सं०] एक प्रकार का खंजन पक्षी जिसका देखना दिन गायों को खिलाने और सजाने की भी रीति है। पापा का खिलानार समानामा ९ अशुभ समझा जाता है। गोपि@-वि० सं० गोप्य गुप्त । गायव । उ०-(क) गई गोपि तु गोपीता@---संचात्री० [सं० गोपी गोपकन्या। गोपी। (क्व०)। भक्ति प्रागिलो काढ़े प्रगट पुरातम बास ।-सुदर ग्रं०, उ०--उन्ह भौंहनि सरि केउन जीता। अथरी छपी छपी भा० १, पृ० १५३ । (ख) ० गोप्य । उ०-गोपि कह सौ गोपीता ।-जायसी (शब्द०)। अगोपि कहा।-सुंदर ग्रं, भा०२, पृ०६१७ । गोपीथ- संज्ञा पुं० [सं०] १. वह सरोवर जिसमें गौएँ जल पीती हों। गोपिका-संमा श्री. [सं०] १. गोप की स्त्री। गोपी । २.अहीरिन। २. एक प्राचीन तीर्थ । ३. रक्षरा । रक्षा। ४. राजा। ३. छिपानेवाली। गोपोनाय - सच्चा पुं० [सं०] गोपियों के स्वामी श्रीकृष्ण । ८०-इहि - गोपित- वि० [सं०] छिपा हुया । गुप्त । २. रक्षित। न होई गिरिको धरियो हो सुनहु कुवर गोपीनाथ । पापुन को . गोपिनी-वि० [सं० छिपानवाली। र०-गोपिनि भक्ति तुम बड़े कहावत कांपन लाने हैं दोउ हाथ । —सूर (शब्द०)। बिलोपिनि ज्ञान की तैसि विराग पै कोपिनि गाई।- गोपीयंत्र-संज्ञा पुं॰ [सं० गोपी+यन्त्र1 सारंगी।-नाथ सिद्धों - रघुराज (शब्द०)। पृ०२२। या त्रिकों की एक गोपुच्छ-संश पुं० [सं०] १. गौ की पूछ । गौ की दुम । २. एक - नायिका। प्रकार के वंदर जिनकी दुम गाय की दुम.की तरह होती है। गोपिया--संथाली.हि. गोफन] गोफना। डेलवांस । ३. एक प्रकार का गावदुना हार। ४. एक प्रकार का बाजा गोपिल-वि०सं०] १. छिपानेवाला । २. रक्षा करनेवाला किो०] जिसका व्यवहार प्राचीन काल में होता था। . . .गोपी-संत्रा की सिं०] १. ग्वालिनी। गोपपत्नी। २. बज की गोपुटा-संथा की [सं०] बड़ी इलायची।