पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३१८

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पर्तमी पहनाना' (२)महरी नींद में सोना । पर्राटा लेना==१० 'घर्राटा घसत-संश यु० [?] बकरा । अज़ । (डि.)। घसन-संज्ञा पुं० (घर्षण] रगड़। उ०-छरा हू उतारि धरे पायर। मररामी- हि. पर-मामो (प्रत्य॰)] छप्पर छाने घसन ते ।-नट०, पृ०७३ । का काम करनेवाला परवंद। घसना" -क्रि० अ० [सं० घर्पण 1 रगड़ना । घिसना । उ० --.. धां-मंशा०] १. घाण । २. पीसना । चूर्ण करना।। मुह धोवति एंडी घसति हरसति अनंगवति तौर । धसति न भर्षका [सं०] १. रगड़नेवाला। पीसनेवाला । मांजने, चमकाने इंदीवर नयनि कालिंदी के नीर ।-बिहारी (शब्द०)। .. या पालिग करवाला (दे०] । घसना—कि० स० [सं० घसन] खाना। भक्षण करना ।-(fi०) अपग-ting. [सं०] १. रगदा चिस्सा । २. पेपण। चीकरण। घसिटना-कि० अ० [सं० धषित+ना (प्रत्य॰)] किसी वस्तु का. धरणी-संशा को [#०] हरिद्रा । हनदी। इस प्रकार खिंचना कि वह भूमि से रगड़ खाती हुई एक .. पषित-10[सं०] Nो पिता] १. घिसा, पिसा अथवा रगड़ा स्थान से दूसरे स्थान पर जाय। मा । २. अच्छी तरह साफ किया हुग्रा । मांजा हुमा [को०] । या घसियारा--संशा पुं० [हिं० पास-पारा (प्रत्य॰)] [ी घसियारी घलना - ० [हिं० पालना] १. छटकर गिर पड़ना । फेंका या घसियारिन] घास वेचनेवाला। घास छीलकर लानेवाला। जाना। २. हथियार का चल जाना । चड़े हुए तीर या भरी घसियारिन-संवा श्री० [हिं० घसियारा] पास बेचनेवाली स्त्री। - दुई गोली का बूट पड़ना । जैसे,-तीर पल गया। उ०-इका उ०-क्या रानी क्या दोन घसियारिनी ।-प्रेममन० : पोर चानन की जमवली मरि लिन तुरतहि पली--पद्मा भा०, २, पृ० ३३५। । कर पं०, पृ. १३ । ३. मारपीट हो जाना । जैसे-माज घसियारी-संज्ञा स्त्री० [हिं० घसियारा] पास बेचनेवाली स्मी। . बाजार में उन दोनों से चल गई। घसीट–संधा मी० [हिं० घसीटना] १. जल्दी जल्दी लिखने का भाव। : नयोति -जाना-पड़ना । २. जल्दी का लिखा हुघा लेख । ३. घसीटने का भाव । ४. पलाहल--संधासी हि. घलना] १. मारपोट । प्राघात प्रति वह मोटा फीता या इसी प्रकार की और कोई पट्टी जिसकी । पान । 30--दही की पलाचल के धने घायल को कछु तेल सहायता से हवा में उड़ते हुए पालों को मस्तूल आदि से नहीं फिर |पपाकर०, पृ० १५६ । २. डालना। बांधते हैं।--(ला)। फेंगना । 30-लाल गुलाल घसाघल में दुग ठोकर दै गई प्रयोगमा कप पगाधा |--पाकर ग्रं॰, पृ० २०६) घसीटना-कि० स० [सं० घृष्ट, प्रा० धस्ट+ना (प्रत्य॰)] १. किसी .. पलाधली-संभा सी० [हिं०] ३० 'धलापल' । उ०-घर बान तीर . यस्तु को इस प्रकार खींचना कि वह भूमि से रगड़ खाती ४६. सुगास वोपन की भई जु पलापली ।-पद्याकर पं०, पृ० १७ ॥ एक स्थान से दूसरे स्थान को जाय । कढोरना । 10---गुनि' घनुमा-संध पु० सहि० पाल या मेक लघुक लघुधा] वह अधिक रिपुहन लविनय सिख खोटी । लगे घसीटन धरि धरि . वस्तु जोपरीदार को उचित तोल के अतिरिक्त दी जाय । झोटी।---तुलसी (शब्द०)। प्रेलोना । पाल। यौ०-घसीटापसीटो= खींचातानी। खींचतान । खीचायोची। . प्रवदल-संघा सी० [हिं०] १० गोद', 'योद'। २. जल्दी जल्दी लिखना । जल्दी जल्दी लिखकर चलतो मारना। परिल-संधा श्री० [ म० गहर ] फलों या पत्तियों का गुच्छा। जैसे,—चार अक्षर घसीट दो। ३. किसी मामले में डालना। पौरा। 30--घिरचं कनकमयमगंभ अचंभ परमणिपात किसी काम में जबरदस्ती शामिल करना । जैसे,-तुम्हारे भू। तिमि परि पनि फरिण पोहि लोहित सुमन मंजु लयात जो जी में पाए करो, अपने साथ औरों को क्यों पसीटते हो। का-विधान (शम्द०)। (प) डेम वौर मरकत घरि ४. खींचकर ले जाना। इच्छा के विन्द ले पाना । उ-- असत पाटमग डारि।-तुलसी (शब्द०)। राजभवन से अपने डेरे में घसीट लाए।-प्रेमघन॰, भा०२, .. पवहा - [हि पायहा (प्रत्य॰)] चोटीला । पायल । पृ०४३८ । . 30--शागत मोर पबहा कुत्ते की तरह यह भोंकने लगा।- घस्मर-वि० [सं०] १. पेटु । भक्षक। २. विध्वंसक। विनाशक [को०] नई, पृ. ५। घन'-वि० [0] क्षतिकारक । हानिकर । पावक को०) घवाहिता- हिJ३. 'पबहा' । घन्न'-- पुं० [सं०] १. दिन । दिवस । २. सूर्य । ३. गर्मी। ४... पर्यन- fr.] ६० पयहा' : 30-तब नकली वम हो चाहे शिव । ५. मुकुम मिto1 प्रगतीमान ने छुट जाने पर कुछ न कुछ पल तो जरूर घस्सासमा एम० घण्ट] ६० घिस्सा । घसा--संपा पं० [म० पृष्ट] दे॰ 'भिस्सा। करेगा (मेटा०, पृ. २६५।। घहपहल:-- '० [सं० घर घहर पहर को ध्वनि । ३०- असकता [ भिमाना। गहगह गुगोरिय गंग घयह मुघनदि तरंग.1--१० रासो पमा पार मोदना] १. पमिदारा। वह व्यक्ति पृ०००। वाम काटनान करे। पासधारनेवाला। २. अनादी पहनाना:-शिम० [अनुध्व.] धातुपंड परप्रापात सगन । पामत शब्द होना। घंटे मादि को ध्यान निकलना । पहराना।