पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३४३

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१४२० घोलना ..पास . . . घा .. होते हैं। ७. जुलाहों का एक औजार जिसमें दोहरे पायों के घोरदर्शन'-वि० [सं०] विकराल । भयानक हो ... बीच में एक इंडा लगा रहता है। घोरदर्शन-संज्ञा १. उल्लू । उलूक । २. चीते को जाति का एक .. विशंप-कपड़ा बुनते वुनने जब बहुत थोड़ा रह जाता है, मांसाहारी पशु चि०] 1 तद वह झुकने लगता है। उसी को ऊंचा करने के लिये यह घोरना --क्रि० स० [हिं० घोलना] - 'घोलना'। उ०-(क) काम में लाया जाता है । ८. हाथीदांत आदि का वह छोटा जो गिरि पति मति योरि उदधि मैं, ले सुरतरु विधि हाय । लंबोतरा टुकड़ा जो तंदूर, सारंगी, सितार आदि में तू वे के ममकृत दीप लिदै बसुधा भरि तक नहीं मिति नाथ।-सूर०, ...ऊपर लगा हुया होता है और जिस पर से होते हुए उसके तार १११११ । (क) ताकुर कहत देखो याके राखिये के हैत नीम .: टिके रहते हैं। जवारी। . कर भेपज सुपोरि पीजियतु है। ठाकुर०, पृ०३६। घोणसंशा पुं०दिशा बहत प्राचीन काल का एक बाजा जिसमें घोरना-कि० अ. भारी शब्द करना। गरजना। उ०--फिर ....: तार लगे रहते थे। उन्हीं तारों को छेड़ने से यह बजता था। फिर सुंदर बौदा नोरत ! देखन रथ पाछे जो घोरत । घोणसंञ्चा[सं० घोणा] नासिका । नाक ।-(डि०)। ---गकुंतला, पृ० ७॥ घोणस संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का साँप [को०] । घोरपुष्प-संज्ञा पुं० [सं०] दे॰ 'पोरपुरप' । घोणा-संवा की [सं०] १. नासिका । नाक । २. घोड़े या सूअर का घोररास, घोररासो--संज्ञा पुं॰ [सं.] शृगाल । गीदड़ [को० । यूयन । ३. उल्लू पक्षी की चोंच । ४. एक पौधा [को०] । घोररूप---संज्ञा पुं० [सं०] शिव को । घोणी-संवा पुं० [सं० घोरिएन] शूकर ! सूपर (को०। घोरवास, घोरवासी-संश्च पुं० [सं०] शृगाल । गीदड़ को०) । घोनस--शा पुं० [सं०] दे० 'घोरणस'। घोरसार -संवा पुं० [हिं०] दे० 'घुड़सार' । उ०- हाथी हथिसार जरे घोरे घोरसार ही। तुलसी ग्रं०, पृ० १७७ । घोमना-संशा [देश॰] एक प्रकार की घास । घोरा'--संशा बी० [सं०] १. अक्षरा चित्रा, धनिष्ठा और शतभिषा धार-वि० [सं०] भयंकर 1 भयानक । डरावना । विकराल । २. नक्षत्रों में बुध की गति। २. रात्रि । रात (को०)। .. संघन । घना । दुर्गम । जैसे-घोर वन । ३. कठिन । कड़ा। घोरा@--संज्ञा पुं० [हिं० घोड़ा] १. घोड़ा। उ०-जहि लन्च जैसे-घोर गर्जन, घोर शब्द । ४. गहरा । गाढ़ा : जैसे- बोर घोरा मना हजारी।- कीर्ति०, पृ०६८। २. खूटा । . . . निद्रा। ५. तुरा । प्रति बुरा । जैसे-घोर कर्म, घोर पाप। ३. टोड़ा। ६. बहुत अधिक । बहुत ज्यादा। बहुत भारी। उ०-ॐ घोराकार, घोराकृति--वि० [सं०] भयानक । डरावना [को० । सोनि पोर मंदर के अंदर रहनवारी ऊंचे घोर मंदर के अंदर घोरारा-संघा पुं० [देश॰] एक प्रकार का गन्ना । ... - रहाती है। भूपण (शब्द०)। घोरिया--शा स्त्री॰ [देश॰] दे० 'घोड़िया'। - धार-झा पुं० [सं०] १. शिव का एक नाम । २. विष (को०)! घोरिला -संशा पुं० [हिं० घोड़ी] १. मिट्टी का बना हुआ लड़कों -:: ३. भय । डर (को०) । ४. पूज्य भाव (को०)। ५. जाफरान के खेलने का घोड़ा। उ०-जो प्रनु सनर सुरासुर धावत (को०)। ६. स्कंद के पारिषदगण की उपाधि । उ6---स्कंद के खगपति पीठ सवारा । तेहि घोरिला चड़ाइ नृप रानी करवावे पारिपदगण घोर कहे गए हैं। प्रा० भा०प०, पृ० १०८ ! संचारा - रघुराज (शब्द०)। २. वह डूटा जिसका मुंह घोर-संबा स्रो० [सं० घर शब्द। गर्जन । ध्वनि । आवाज । घोड़े के आकार का होता है। उ०—फूलन के विविध हार उ--(क) कहि काकी मन रहत थवरण सुनि सरस मधुर घोरिलनि उरमत उदार वित्र विच मणि श्यामहार उपमा मुरली की घोर ।--सूर (शब्द०)। (ख) धिर कर तेरे शुक भापी। केशव (शब्द०)। . चारों ओर, करते हैं धन क्या ही धोर। साकेत, पृ० २५५1 घोरी-मंदा बी० [हिं०] १. दै. 'अघोरी'। २. दे० 'घोड़ी'। ३. धार -संशा पुं० [हि० घोड़ा] दे॰ 'घोड़ा'। ३० (क) त्रोर मोर । ३० "अगौरा'। ... घोर पानी पियें बड़े भोर ।—(कहा०)। (ब) हस्ति घोर और घोल-संज्ञा पुं० [२०] १. मया हुवा दही जिसमें पानी न डाला गया कापर सबहिं दीन्ह नव साज !-जायसी ०, पृ.१४६।। घोर --संज्ञा पुं० [फा० गौर कन। समाधि। उ०-परयी हुसेन हो । तक। २. लस्ती। २. घोलकर बनाई हुई वस्तु (को०)। Hi घोल--in j० [हि० घोड़] घोड़ा। उ०-फाई कापल काहु मुपाच सुनि वितिय चित्त इमांन । तर्जी घोर हुसेन सथ करौं । 'धौल, काहु संबल देल थोल!-कीति०, पृ० २४ ।

प्रवंस अपांन ।--पृ. रा०, हा२०८।

'. पार-संथा पुं० [हिं०] दे० 'बोल'। घोलदही-मन पुं० [हिं० घोलना + दही मट्टा। घोलना-फ्रि० स० [हिं० घुलना] पानी या और किसी द्रव पदार्थ धार'- वि० अत्यंत । बहुत । जैसे-घोर निर्दय। में किसी वस्तु को हिलाकर मिलाना । किसी वस्तु को 'घरिघुष्य-संक्षा पुं० [सं०] १. कांत्व । कांसाः । २. पीतल [फो०] । इस प्रकार पानी प्रादि में डालकर हिलाना कि उसके भए घोरपोरतर--संज्ञा पुं० [सं०] शिव [को०। . पृथक पृथक होकर पानी में फैल जाय। हल करना । जैसे,-- धारदंष्ट्र-वि० [सं०] जिसके दांतों को देखकर भय उत्पन्न हो । चीनी घोलना, शरबत घोलना । -

... भयावने दांत्वाला [को०]. ..

संयो• नि:-डालना।-देना। • [*० पुर की मन रहत ) पिर