पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४४

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सटिका खटमली-विव० [हिं०.खटमल] खटमल के रंग का । गहरा उन्नावी खटाका-संज्ञा पुं० [अनु०] 'ख' का शब्द । '.. .: . - या खैरा (रंग)। . खटाखट-संवा पुं० [अनु०] 'खट खट' का शब्द। .. खटमिट्टा-वि० [हिं० खट्टा+मीठा] कुछ खट्टा और कुछ मीठा । खटाखट-क्रि० वि० १. खटखट शब्द के साथ । २. चटपट । जैसे, . जिसमें खट्टा और मीठा दोनों स्वाद हों।. . -तकाजा नहीं करना पड़ा, सूरत देखते ही उसने खटावट 'खटमीठा-वि० [हिं०] दे॰ 'खटनिट्ठा' । रुपए गिन दिए। ३. जल्दी। शीघ्र खटमुख -संश्था पु० [सं० पट मुख ] ३० 'पट मुख'1: . खटाना'-क्रि० स० [हिं०खट्टा ] किसी वस्तु में खट्टापन या खटमुत्ता-वि० [हिं० खाट+मूचना] खाट पर मूतनेवाला जाना । खट्टा होना । जैसे,—सिरके का खटाना। ... (बालक)। . .. खटाना-क्रि० प्र० [सं० स्फभ, स्कन्ध, प्रा० खड-उहरा खटरस-वि० [सं० षट्रत ] दे० 'पटस'। हुमा] १. निर्वाह होना । गुजारा होना । टिकना । निमना। खटराग:--संहा पुं० [हिं०] दे० 'पाग'। उ०-(क) सहज एकाकिन के भवन, कबहूँ न नारि खट राग-[सं० खट्राग = कई चीजों का मेल ] १. झंझट । खटाहि-तुलसी (शब्द०)। (ख) ज्यों जल मीन कमल बखेड़ा। 3०-प्यारी की गिलहरी क्या कम खटराग है न मधुपन को छिन नहिं प्रीति खटाति । —सूर (शब्द०)।२. . कि बच्चों का पालना ।-फिसाना०, भा०, ३. पृ०२६० । परीक्षा में ठहरना। उ०--जो मन लागे रामचरन अस । क्रि० प्र०—करना ।--फैलाना !-मचाना । ""."द्वंदरहित गतमान ज्ञानरत विषयविरत बटाय नाना २. अंगद बंगढ़ । काठ कवाड़ ! व्यर्थ और अनावश्यक चीजें । कस।-सुलसी (शब्द०)। क्रि० प्र०-फैलाना। खटाना--क्रि० स० [हिं० खटना] श्रम में प्रवृत्त करना । मेहनत - स्टरिण-संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार का कीड़ा। कराना। - खटलर-संज्ञा पुं॰ [देश॰] सान धरनेवालों का एक प्रौजार जो लकडी खटापट-संज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'खटपट'। । .. को होता है।। खटापटी-संशा सी० [हिं॰] दे॰ 'खटपट'। खटला-संशा पुं० [देश॰] स्त्रियों के कानों का छेद जिसमें वे खटमिठा--वि० [हिं०] दे० खट्टा मिठा' । उ०-खावते जुग सब .. बालियां पहनती हैं। - चलि जावे । बटामिठा फिर पछताये।-दक्खिनी०,१०१०५ खटला--संज्ञा पुं० [सं० कलत्र स्त्री और बाल बच्चे । परिवार खटारना -क्रि० स० [सं० क्षालन या देश०] पखारना। धोना । कुद्व (दक्षिण)। उ०-इतना करि तब चरण खटारो। होय अधीन तव मन खटवांसा--संज्ञा पुं॰ [सं० खट्या+वास ] रुसकर खाट पर पड़ को मारो।--कवीर सा०, पृ० ५५८ । खटाला' संशा पुं० [५० कटाल] समुद्र की ऊंची लहर जो पूर्णिमा जाने की स्थिति । दे० 'खटवा'। उ०—यहाँ वह खटवांस लेकर पड़ी अब पकवान कौन बनाये । काग०, पृ० १२२ । के दिन उठती है। . खटाला-संच पुं० [देश॰] वह स्थान या घेरा जहाँ गाय भैंस प्रादि खटवाट @-संहा बी० [हिं०] दे० 'खटपाटी, उ०-मैं तोहिं - रखी जाती है।

, लागि लेति खव्वाटू । खोजति पतिहि जहाँ लगि धाटू ।-

खटाव--संज्ञा पुं० [हिं० सटाना निर्वाह । गुजर । जैसे,-"तुम्हारी जायसी (शब्द०)। खटवाटी-संत्रा बी० [हिं०] दे० 'खटपाटी'! ऐसी बुरी आदत है कि किसी के साथ तुम्हारा बठाव नहीं हो खटाई-संझा बी० [हि० खट्टा] १. खट्टापन । अम्लता । तुरशी। सकता ।२. खटने या श्रम करने की स्थिति । ३. खट्टापन । . २. वह वस्तु जिसका स्वाद खट्टा हो । जैसे, पाम, इमली खटास। खटाव...-संश पुं० [देश॰] वह खूटा जिसे गाड़कर नाव बाँधते हैं। ... आदि। खटास'-संज्ञा पुं० [सं० खट्वाश] मुश्कबिलाई । गंधविलाद । . मुहा०-खटाई देना या खटाई में देना = गहने प्रादि को साफ खटास-संज्ञा स्त्री० हिं० खट्टा खट्टापन । खटाई । तुरशी।।' करने के लिये खटाई में रखना । खटाई में डालना=बहुत खटिक-संज्ञा पुं० [सं० खटूिटक 1 [खी. खटकिन ] हिंदुओं के दिनों तक व्यर्थ किसी चीज या शाम को लेकर लटकाए रखना। झमेले में डालना। दुविधा में डालना । कुछ निर्णय अंतर्गत एक छोटी जाति जिसका काम फन तरकारी आदि न करना । खटाई में पढ़ना%D दुविधा में पड़ना। अनिश्चित बोना और बेचना है । बुदेलखंड में इस जाति के लोग भंग दशा में होना। और विहार में ताड़ी भी वेचते हैं। विशेष-सोनारों को जब चीज बनाने को दी जाती है, तब. खटिक'--संहा पुं० [सं०] अर्घ विकसित हस्तान । माघी खली मी हकाला करने पर वे कभी कभी कह देते हैं कि वह सभी को खटाई में पड़ी है।.. खटिका--संशा श्री. [सं०] १. दे० 'खड़िया' । उ०-सेष सुकृति, ... सटाक-संघा पुं० [मनु० दे० 'खटाका ...', . ... सुंदि, सरवगुन, संवनि के मन हास । सीपिचून, भोडर फटिक, मुहा०--खटाक से = दे० 'खट से 13०-लगे किवादों को.. सटिका फेन प्रकाश।-केचव , भा० १,५०११२।३. . . हलाक से खोल जोर से टकराना-माना, पृ० १२१॥ काच का बाहरी छिन । कान का छेद (को०)।