पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४७८

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बहुत उपजता है जहाँ सारी मिट्टी या खारा पानी मिलता अरा समय चुकाहीं । देख विवारि मातु मन माहीं ।---तुलसी है। समुद्र के किनारे चुकंदर की पैदावार अच्छी होती (शब्द०)।@५.वाली जाना । निष्फल होना । व्यर्थ होना । है। इसके लिये शोरा और नमक मिला पानी खाद गा काम लक्ष्य पर न गहुँचना । उ० -चित्रकूट जनु अचल अहेरी । करता है। चक इन घात मार मुठभेरी 1---मानरा २। १३ । । चुक... संशा पुं० [सं० चुक] दे० 'क' । विशेष.. यह मिया और क्रियानों के साथ समाप्ति का प्रर्य देने चुक'--प्रव्य० [हिं० कुछ] थोड़ा । किचित् । २०-मुख चुक के लिये संयुक्त रूप में भी प्रातो है । जैसे, नुम यह काम कर दिखलाई मिहिर नजर बरसाई।--घनानंद, पृ० ४५६ । चुके ? तुम गाय तक खा चुकोगे? वह अब चल चुके होंगे। चुकचुकाना'---कि० अ० [हिं० चूना+टना] १. किसी द्रव व्यंग्य के रूप में भी इस क्रिया का प्रयोग बहुत होता है। पदार्थ का बहुत बारीक छेदों से होकर सूक्ष्म कमों के रूप में औने, तुम अब पा च . अर्थात तुम अब नहीं प्रापोगे । 'वह बाहर पाना । रस का बाहर फैलना । 30---चमड़ें पर रगड़ देचका' अर्थात वह न देगा। लगने से खून चुकचुका पाया । २. पसीजना । पाई होना। चकना-वि०-चुगनेवाला । अवसर खोनेवाला । भूननेवाला ।। चुचाना। चुकरी मंशः स्पी० [देश॰] रेवंद चीनी। चुकचुकाना- कि० अ० [हिं० चुफना की विरुक्तिबिजननक चुकरेंड- म . [देश॰ दोमुहां सांप जिले 'गूगी भी कहते हैं। जाना। समाप्त होना । जैसे,-अब सारी चीज चुकान पा गई। उ -लेखनि डक भुजंग की रसना अयननि जानि। गज रद सब चुकचुकाने पर तु म पाए । मुख चगार के कक्षा शिक्षा बवानि ।---केशव (शब्द)। चुकचुहिया-संज्ञा गौ [देश॰] १.छोटी चिड़िया जो बहुत तड़के चकवाना कि० स० हिं० चुकाना काप्रे० रूप] अदा कराना । बोलने लगती है। २. कागज या चमड़ों पर बना हपा एक दिला। बेबाक करना। खिलौना णो हिलाने या दवाने से शब्द करता है। चुकट --संक्षा पुं० [हि घुटका) दे० 'धु फटा'। उ, जग में पुकाममा चुकाई-मंशा पो० [हिं० चुकता चकने या चकता होने का भाव । भक्त कहावई चुनाट चुन नहि देय । सिय जोह का रहा चुकाना-मि० स० [हिं० चुना] १. बेयाका धरना । पिसी प्रकार नाम गुरू का लेय 1- संतवाणी०, पृ० ५३ । का देना साफ करना । अदा करना । परिशोध करना । जैसे,- चुकट--संशा पुं० [हिं० चुटमा ] दे० 'चुटका'। दाम चुकाना, रुपया चुकाना, ऋण चुकाना । २.निघटाना। चुकटा-संज्ञा स्त्री० [हिं० चुटका] चंगुल । चुटको । से करना । ठहराना । जैसे,-सौदा चुकाना. झगड़ा चुकाना । मुहा०--चुटका भर=चंगुल भर । उतना (बाटा प्रादि) चुकाय-ममा पु० [हिं० चूफना] चुकने, चुकाए जाने की स्थिति, जितना चंगुल या चुटकी में भावे । क्रिया या भाव [को०)। चुकटी --संक्षा स्त्री० [हिं० चुटकी] दे० 'चुटकी। उ०--सो उह चकावड़ा-संशा पुं० हिं० चुकाब+डा (प्रत्य०) ] बेबाकी। गाम में एक वैष्णव चुटकी मांगती।-दो सौ बावन०, चुकाने की क्रिया या भाव। . भा. २, पृ० २०८। चुकावरा-भाj० [हिं० चुकाना] कर्जा चुका देने की क्रिया या चुकता-वि० [हिं० चुपाना] बेबाक । नि:शेष । अदा (मरण या भाव। रुपए पैसे के हिसाब किताब के संबंध में इसे बोलते हैं) - जैसे,-एक महीने में हम तुम्हारा सब रुपया चुकता कर देंगे। चुकिया -संहा स्त्री० [देश ०] लियों की पानी में पानी देने का बरतन । कुल्हिया । चुकताना--वि० स० [हिं० चुफता+ना (प्रत्य॰)] चुकता करना। चुकीता-संज्ञा पुं० [हिं० चुकाना + श्रौता (प्रत्य)] ऋण का . चुकाना। चुकती--वि० [हिं० चुकता] दे० 'चु कता'। परिशोध । यार्ज की सफाई। .. चुकना--क्रि० अ० [सं० ज्युत्कृ, प्रा० चविका] १. समाप्त होना। मुहा- चुफीता लिखना भरपाई का कागज लिखकर देना। खतम होना । निःशेष होना । न रह जाना । वाकी न रहना। ____कर्जा चुकता पाने की रसीद देना । भरपाई करना । • उ०--(फ) सारी किताब छपने को पडी फागज अभी ले चुक्का -संहा पु० [सं० चक] १० 'चू कर' (पढाई)(को०)।। चुक गया। (ख) प्रान पियारे की गन गाथा साधकों तक चुक्कड़-संशा पुं० [हिं० चखना ?] १.मिट्टी का गोल छोटा बरतन मैं गाऊँ। गाते गाते चकै नहीं वह चाहे मैं ही चुक जाऊँ।-- जिसमें शराब आदि पीते हैं । २.पुरवा । श्रीधर (शब्द०)। २. वेबाक होना । अदा होना । चुकता होना चुक्कार-संक्षा पुं० [सं०] सिंहनाद । गरज । गर्जन । जैसे,—उनका सव ऋण चुकता हो गया। ३. होना। चुक्की ---संज्ञा स्त्री० [हिं० चूरू] धोखा । छल । कपट । निबटना । जैसे,-झगड़ा चकना । @४. चकना । भूल कि०प्र०-साना ।-देना। करना । ग्रुटि करना । कसर करना । अवसर के अनुसार कार्य चुक-संशा पुं० [पं०] १. चूक नाम को खटाई। नुक। महाम्ल । न करना । उ०--(क) काल सुभाउ फरम बरिआई। भलेइ , वृक्षाम्ल । २. एक प्रकार का खट्टा शाक । ३. अमलवेद ।४. ' 'प्रति वस चुकाई भलाई--मानस, १। ७ (प) तेउ न पाइ सड़ाया हुमा अम्लरस । कांजी । संधान ।