पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/४९५

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१५७४ चूल्हा नहीं जला। चूल्हा न्योतनाघर के सब लोगों को प्रकार का हलका विप चढ़ता है। किसी किसी जाति के है निमंत्रण देना । चूल्हा फूकना-भोजन पकाना । चूल्हे में बहुत लड़ाके होते हैं और आपस में खूब लड़ते हैं। इसकी मादा डालना (१) नष्ट भ्रष्ट करना । (२) दूर करना । चूल्हे एक साथ कई बच्चो देती है। इस देश में बिलायत से मिलते - में जाना=नष्ट भ्रष्ट होना । अस्तित्व मिटना । चूल्हे में जुलते एक प्रकार के सफेद हे भी पाते हैं जिन्हें हिलायती पड़नाः दे० 'चूल्हे में जाना । (इन मुहावरों का प्रयोग क्रोध में चूहा कहते हैं। इनके एक जोड़े से बढ़कर एक साल के अंदर या अत्यंत निरादर प्रकट करने के समय होता है) जैसे,-चूल्हे कई सौ चूहे हो जाते है। इस जाति के चू हे प्रायः अपने में जाय तुम्हारा तमाशा । चूल्हे में डालो अपनी सौगात । बच्चे को जन्मते ही या कुछ दिनों के अंदर खा जाते है। चूल्हे से निकलकर भाड़ या भट्टी में जाना=छोटी विपत्ति से साधारणतः च हे प्रायः कुत्तों और विशेषतः विल्लियों के निकलकर बड़ी विपत्ति मे फसना ।। शिकार हो जाते हैं। पण-मका पु० [सं०] [वि. चपराय, चप्पा चूसन का किया चूहादती"-संज्ञा सौर [हिं०चहा+दाँत] स्वियों के पहनने की एक च परणीय-वि. [सं०] चूसने योग्य । जो चूसा जाय । प्रकार की पहुंची जो चाँदी या सोने की बनती है। पा-सच्चा सौ० [सं०] २. हाथी की कमर में बांधी जानेवाली विशेष-इसके दाने च है के दांत से लंबे और नुकीले होते हैं बड़ी पेटी या पट्टा । २ चपने का कार्य या स्थिति (को०)। ३. पेटी यां कमरबंद (को०) 1. और रेशन या सूत में पिरोए रहते हैं। ।...च प्य-वि० [सं०] चूसने से योग्य । जो चूमा जाय या जो चूसा चूहादती-वि० .हे के दांत के आकार का।। जा सके। चूहादान-संशा पुं० [हिं० चूहा + फा० दान ] [ ली० च हादानी ] च सना- क्रि० स० [सं० च पा] १. जीभ और होंठ के मंयोग च हों को फंसाने का एक प्रकार का पिंजड़ा । च हैदानी । से किसी पदार्थ का रम खींच जींचकर पीना । जैसे.--ग्राम। चूसना, गंडेरी चूसना । २. किसी चीज का सार भाग ले चूही - मंदा व हिं० चहिया दे० 'चहिया' । उ०—कौन नुबुद्धि लगी यह तोकों होत सिंह तं च ही। सुंदर ग्रं॰, भा० लेना। जैसे--किसी स्त्री का पुरुष को चूस लेना । किसी २, पृ० ८३६। बदमाश का भले आदमी को चूसना अर्यात उसका धन प्रादि ...अपहरण करना। चहेदानी-संज्ञा स्त्री० [हिं० चहादानी] दे॰ 'च हादान' । संयो० कि०-डालना। लेना। चै"ज-संज्ञा पुं० [पं० ] १. (एक स्थान से दूसरे स्थान को) वायु- ३किसी वस्तु को चूस चूसकर समाप्त करना जैसे, लेमनत्र त परिवर्तन के लिये जाना। वायुपरिवर्तन । हवा बदलना । का चूसना । .किसी वस्तु का गलपन सोख लेना। जैसे,-डाक्टरों की सलाह से वे चेंज में गए हैं। २.(किसी हड़-संभा पुं० [हिं० च हड़ा] दे० 'च हड़ा। जंकशन पर) एक गाड़ी से उतरकर दूसरी पर चढ़ना। बढ़ा-संवा पुं० [देश॰] (न्त्री० च हड़ी] १. भंगी या मेहतर । वदलना । जैसे, मुगलसराय में चेंज करना पड़ेगा। ३. बड़े ..चांडाल ! श्वपच । २. निम्न प्रकार का या लफंगा व्यक्ति । सिक्कों का छोटे सिक्कों में बदलना । विनिमय । जैसे,—(क) बहर-संशा गुं० [हिं० च ड़ा] दे० 'त्र हुड़ा। आपके पास नोट का चेंज होगा? (ब) टिबाट बाबू को नोट बहरा : नडा पुं० [हिं० च हडा दे० 'च हड़ा' । उ०-जीभ का दिया है, चेंज ले तू तो चलता हूँ। फूहरा, पंथ का च हरा 1 तेज तमा धरै आप खो --कबीर चे संज्ञा स्त्री० [अनु०] चिड़ियों के बोलने का शब्द । जें जें। ...२०, पृ० २! मुहा०--, दोलना-दे० 'ची' के मुहा० में ' बोलना। चह-संवा वीणहिच रिहोरिन] चड़ी बेचने या पहनाने- .... दाली स्यी। डिहारिन । चे गड़ाई-संशा पुं० [अनु॰] [ी गडी] छोटा बच्चा । बालक।. बहरा--संवा बी० देश हडा' का सी० रूप। बैंगना-संशा पुं० [अनु॰] दे० डोंगड़ा' । चेगा:-संहा पुं० [हिं०] दे० 'गड़ा। हा-संवा पुं० [.अनु० च हा (प्रत्य॰)] [खी अल्पा० चू हिया, गा-संशझो० [हिं० चनगा दे० 'चेनगा। चही प्रादि] चार परोंवाला एक प्रसिद्ध छोटा जंतु जो प्रायः

परों या खेतों में बिल बनाकर रहता है । मूना । मूषक।

चोगी--संजा मी० [देश॰] चमड़े की चाकती प्रथदा सन या सुतली का घेरा जिसे पैजनी और पहिए के बीच में इसलिये पहना विशष- यह समस्त एशिया, युरोप और अफ्रिका में पाया जाता देते हैं कि जिसमें दोनों एक दूसरे से रगड़ न खायें। ..", है और इसकी छोटी बड़ी अनेक जातियां होती हैं । साधारणतः "..भारतीय च हों का रंग कालापन लिए खाकी होता है, पर रतीय ज वानोवा पर धीर- संमोचिगी] २० गी'। ती नत्रि के भाग में कुछ सफेदी भी होती है । इश्के दांत बहुत हदि हैं और यह खाने पीने की चीजों के सिवा कपड़ों मार दूसरी चीजों को भी काटकर बहुत हानि पहुंचाता है। कभी कभी यह मनुष्यों को भी काटता है। इसके काटने से एक .