पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५०५

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चौगा। १५८४ - चोटरना चोगा-संमा पुं० [ तु० योगा] पैरों तक लटकता हुआ बहुत ढीला ४. किसी हिंसक पशु का आक्रमण । पिसी जानवर का काटने हाला एक प्रकार का पहनावा जिसका प्रागा बंद नहीं होता __ या खाने के लिये झपटना । जैसे,---यह जानवर यादमियों पर .. और जिसे प्रायः बड़े आदमी पहनते हैं । लबादा। बहुत कम चोट करता है। चोगा'-संहा पुं० [हिं० चुगा] दे॰ 'चुगा'। क्रि० प्र०-करना। पोगाना-संवा पुं० [हिं० चौगान दे० 'चौगाम'। ५. हृदय पर का ग्राघात । मानसिक व्यथा । मर्मभेदी दुःख। चोच- संज्ञा पुं० [सं०] १. छाल । वल्कल । २. चमड़ा । खाल । शोक। संताप । जैसे,—इस दुर्घटना से उन्हें बड़ी चोट ....३. तेजपत्ता। ४. दालचीनी। ५. नारियल । ६. केला। पहुँची। ६. किसी के अनिष्ट के लिये चली हुई चाल । एक ७. फल का वह अश जो खाद्य न हो (को०)। ८. तालफल । दूसरे को परास्त करने की युक्ति । एक दूसरे की हानि के - ताड़ का फल (को०)। लिये दांव पेंच । चकाचकी। जैसे,.--याजकल दोनों में सूत्र चोचक--- पुं० [सं०] वल्कल । छाल (को॰) । चोटें चल रही हैं। चोचलहाई-वि० सी० [हिं० चोचला+हाई (प्रत्य॰)] चोचला त्रि० प्र०-चलना। ... करनेवाली । नखरेवाज । ७. व्यंग्यपूर्ण विवाद। पाबाजा ! बौछार । ताना । जैसे,- चोचला-संज्ञा पुं० [अनु०] १.अंगों की वह गति या चेष्टा जो प्रिय इन दोनों कवियों में खूब चोटें चलती हैं 1 5, विश्वासघात ।

के मनोरंजनार्थ. या किसी को मोहित करने के लिये अथवा धोखा । दगा। जैसे,--यह आदमी ठीक वक्त पर चोट कर

- हृदय की किसी प्रकार की, विशेषता जवानी की, उमंग में जाता है। ६. बार । दफा। मरतबा । 3०-(क) ग्रामी .... की जाती है। हाव भाव । २. नखरा । नाज । एक चोट हमारी तुम्हारी हो जाय । (ख) काल यह बुलबुल ..यो०-चोचलेबाज नखरेवाज । चोचलेवाजी-नखरा या नखरे- कई चोट लड़ा। - बाजी। .. विशेप-इस अर्थ में इस शब्द का प्रयोग प्रायः ऐसे ही कार्यों के मुहा०-- चोंचला दिखाना या वधारना-प्रसन्न करने के लिये लिये होता है जिसमें विरोध की भावना होती है। हाव भाव दिखाना। चाटइल-वि० [हिं० चोट+इल (प्रत्य॰)] ३० 'त्रुटल'। चोज-संज्ञा पुं० [सं०/चुद ..वह चमत्कारपूर्ण उक्ति जिससे लोगों चोटडियाल@ -वि० [हिं० चोटका-याल (प्रत्य॰)] चोटीवाला। .. का मनोविनोद हो। दूसरों को हंसानेवाली युक्तिपूर्ण बात। 30-बहलायण पातुर मेघ बन । जिम चोटहियाल समुद्र - सुभाषित । २. हँसी ठट्टा, विशेषतः व्यग्यपूर्ण उपहास । चले ।--रा००, पृ०१०४।

50-~-फिहि के बल उत्तर दीजै उन्हें सो सुन बन चोज

चोटड़ी-संज्ञा स्त्री० [हिं० चोटी] बुटिया। शिक्षा .... चवाइन को ।--प्रताप (शब्द०)। चोटना--क्रि० स० [हिं० चौटना] दे० 'चकीटना' । ३०-चोटले चोज्य-वि० [देश॰] स्वादु । स्वादयुक्त । ३०-भक्ष्य भोज्य ग्रह लेज्य के समान पीडा होय, यह मांस मेदोगत वायु का लक्षण है। ...चोज्य ओ चोस्य पेय ले अमित भरेंज ग्रं०, पृ० १३८ । ~ माधब०, पृ० १३५ । चोट-संभाली [सं० चट-काटना)]१. एक वस्तु पर किसी दूसरी नोटा.वि . चोट हाt osztlfa

वस्तु का वेग के साथ पतन वा टक्कर । प्राघात । प्रहार ।

प्राधान का चिह्न हो। जिसपर चोट या निशान हो। मार । जैसे,—लाठी की चोट, हथौड़े की चोट । उपत्थर चोटहिला-वि० [हिं० चोट+हिल (प्रत्य॰)] 'चोटाइल'। की चोट से यह शीशा फुटा है।--(शब्द०)। चोटा-मंदा [हिं० बोना सब का दह पसंद को उने कपड़े में क्रि० प्र०-देना ।-पढ़ना-पहचाना--मारना।-लगना। रखकर बयान या छानने से निकलता है। इसका व्यवहार .. -लगाना।-सहना । प्रायः तवायू या देशी शराब या स्पिरिट आदि बनाने में ... मूहा०-चोट खाना-प्राघात ऊपर लेगा । प्रहार सहना । होता लिपटा । चीमा । माठीप्रा। जूसी। २. प्राघात या प्रहार का प्रभाव । धाव। जगम । जैसे,-(क) चोटाना:--क्रि० प्र० हि चौट से नामिक पातु बोट खाना । चोट पर पट्टी बांध दो। (ख) उमे सिर में बड़ी चोट आई। '. यो०--दोट चपेटघाव । जराम । त्रि० प्र०--प्रान-पहुंचना ।-लगना। महा०-चोट उनरना= चौट में फिर से पीड़ा होना । चोट ....खाए हुए स्थान का फिर से दर्द करना। ३.किसी को मारने के लिये हथियार दिलाने की क्रिया । बार । याक्रमण । क्रिप्रकरला-सहना । ...मुहा०-चोट खाली जानावार का निगाने पर बैठना। ':, मानमरा व्यर्थ होना। चोट पचाना चोट न लेंगने देना।