पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५०६

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चोटिका १५८५ चोदास थोड़ा थोड़ा मुचलना । कुचकुचाना ( कच्चा पाम प्रावला खुशामद से भरी हुई (नास)। २. भाठी या बनायटी प्रादि)। ( बात ) । इधर उघारगी (यात) । उ०तुम जान ति राधा... चोटिका- संज्ञा जो० [सं०] लहँगा (को०)। है छोटी । चतुराई अंग अंग भरी है परम ज्ञान न बुद्धि की . चोटियाल-वि० [चोट-- इयल (प्रत्य॰)] चोट करनेवाला। चुटेल । मोटी । हम सौ सदा चुनावति सो यह बार याहत मुन्य चोटी .." चोटिया'-संशा सी० [हिं० चोटी-इया (प्रत्य॰)] दे॰ 'चोटी' । पोटी।-सूर (शब्द) चोटिया--संता पुं० चोटीधारी। चोटीवाला ! छात्र। चोटीवाला--संघा. ft चोटी---बाला] भूत, प्रेत या पिशाच । चोटियाना-क्रि० स० [हिं० चोट से नामिफ धातु] चोट लगाना होगा चोट्टा-संसा पुं० [हिं० चोर-टा(प्रत्य)] [at चोटी] वह जो वा मारना। चोरी करता हो । चोर । चोटियाना-क्रि० स० [हिं० चोटो ] १. चोटी पकड़ना । २. बल- यो०-पोडो का या चोट्टी वाला एक प्रकार की गाली। .... प्रयोग करना। चोटियाल@t-संथा पुं० [देश॰] एक प्रकार का गीत । चोड़-सा पुं० [ मं चौड] १. उत्तीय बन्न। २. चोग नाममा विशेष--गरवत गीत के दो दो पदों के बाद दस मात्राएँ रखकर प्राचीन देश । ३. पुरती । मिया । चोली (फोc) 1 चोड़क-संभा पुं० [ir चौदपः ] एक प्रकार फा पहनने का कपड़ा। तुकांत करने से चोटियाल गीत बनता है । जैसे,~-गरबत पीज गीत, पद दुय, दुय रे ऊपर । मोहरा दसपल गीत, चोटियाल । चोड़ा-संगा . [ में चोदा बही गोन्मु टो। तिणनू च ।-- रघु० रू०, पृ० १३० । चोड़ी--मंदा मी० [ मे० घोडी] १.रियों के पहनने की सादी। चोटियाल --वि० [हिं चोटी] [वि० श्री चोदियाली ] लंबे .. पुरता । चाता (ताल | केशवाला। चोढ़ी-संपा ० ? ] उमंग । ३०---गू ज गरे सिर मोरपखा , चोटियाल-संक्षा पुं० भूत । प्रेत । पिशाचादि । मतिरान हों गाय चरायत गोडे। मतिराम पं०, पृ० ३४८ चोटी-संशा सो [सं० चूडा ] १. सिर के मध्य में थोड़े से पोर चोतक---मंठा पुं० [सं०] १. दालचीनी: २ छाल । बस्याल । ..: कुछ बड़े वाल जो प्रायः हिंदू नहीं मुड़ाते या काटते । शिखा। चोथ---मंघम पु० [हिं०१० चोंध। चुदी। चोथना--वि० स० [हिलोचना]१.नौचना । २. फाड़ना।.. महा०-चोटी पाटाना=(१) साधु या संन्यासी होना । (२) नोशारों (२) चोथाई संशाली [हिं० चॉय-प्राई (प्रत्य)]१. गोपने का .. बस में होना (ला०)। चोटी पतिरना-बस में करना । चोटी माम या स्थिति । २. चोदने की ममदुरी। . खाना-दे० 'चोटी हाय में होना । चोटी रखना= चोट to fo12. नायक। २. वह संबी लकड़ी जिसके चोटी के लिये सिर के बीच के बाल बढ़ाना । (किसी ती) ii) सिरे पर कोई तेज और नुकीला लोहा लगा हो। . चोटी (किसी के हाथ में होना=किसी प्रकार के दबाव चोदर-वि०प्रेरक (को०)। में होना । काबू में होना । जैसे, · अब वे यहां जायगे उनकी चोदक-वि० [सं०] चोदना पारनेवाला । प्रेरणा करनेवाला। र चोटी तो हमारे हाथ में है। यो०-चोटीवाला। ___ कोई काम करने के लिये उयासानेवासा । २. एक में गुथे हुए स्त्रियों के सिर के बाल । चोदकर-सा कार्य में प्रवृत्त करानेवाला विधि वापय (को०)। : यो०--चोदकवारय । महा०-घोटी करना=सिर के बालों को एक में मिलाकर . गूथना । वि० २ 'कंघी चोटी करना। चोदक्कड़ --संशा 'पु. [ हि० चोदना बहुत अधिक स्त्रीप्रसंग क्रि० प्र०-धना-बांधना । करनेवाला । प्रत्यंत कामी ।-(बाजारू ३. सूत या ऊन प्रादि का वह डोरा जिराका व्यवहार स्त्रियों को चोदक्कड़ --संदा सी० [हिं० चुदना या चुदकार] बहुत चोदवाने-':.. चोटी गूधने और अंत में बालों को बांधने में होता है। ४. पान वाली स्त्री। के प्राकार का एक प्रकार का प्राभूपण जिसे स्त्रियाँ अपने जूड़े चोदन----संज्ञा पं० [सं०] दे० 'चौथना"। में खोंसती या बांधती हैं। ५. पक्षियों के सिर के वे पर जो चोदना'-- संज्ञा सी[सं०] १. वह वाक्य जिसमें कोई काम करने . . आगे की ओर ऊपर उठे रहते हैं। कलगी। ६. सबसे ऊपर का या विधान हो। विधि वाक्य । २. प्रेरणा । ३. योग प्रादि .:. ठा हया भाग। शिखर । जैसे,-पहाड़ की गोटी। मकान पो संबंध का प्रयत्न । की चोटी। चोदना--वि० स० समीपसंग करना । संभोग करना। .. महार-चोटी का सबसे बढ़िया। अच्छा । सर्वोत्तम । संयो. क्रिडालना-देना । ७ चरम सीमा । जैरो,--अाजकल दाल का भाव चोटी पर है। चोदवासा-संसाधी [हिं०] दे० 'चोर' । . चोटी२-- संत श्री [सं०] लहँगा । साया । पेटीकोट (को चोदवासा--वि.हि.][वि.सी० चोदवासी दे० 'चोदासा' । चोटीदार-वि० [हिं० चोटी-+-फादार (प्रत्य०) ] जिसके चोटी . पोदाई-संशा भौहि चोदना+ई (प्रत्य॰)] १. बोचने को हो। चोटीवाला। मिया। संभोग । २.चोदने का भाव।। चोटीपोटी -यिक की | देश०] १. सिकनी गाड़ी (बात)। चोदास संशास्त्रीय [हिं० चोदना-मास (प्रत्य॰)] स्त्री को ...