पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५१२

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चौडा १५६१ ... चौधन से मोट हारा अथवा बाहे से दोगला या वेड़ी द्वारा निकालकर में मगरण के पहले भेद (5). को संश। जैसे, श्री ::"1"४ पानी गिराते हैं। पानी गिराने की कुएँ की ढाल । चिउलारा। .. झालर । फुदना । उ०—(क) तसइ चौर बनाए ौ घाले. लिलारी। जी"गल झंप । बंधे सेत गजगाह तहं जो देखे सो कंप। -जायसी चौडा---संज्ञा० [हिं० घोंडा]. दे० 'चोंडा'(स्त्रियों के सिर (शब्द॰) । (ख) बहु फल की माल लपेटि के खंभन धूप सुगंध का बाल)। सो ताहि धुपाइए । ताप चह' दिसि ईद छपा से सुसोभित चौड़ा:-संज्ञा पुं० [हिं० चौड़ा] दे० 'चौड़ा"।

चौर-घने लटकाइए। हरिश्चंद्र (शब्द०)।

चौतरा--संवा पुं० [सं०.चस्वर, हि० चौतरा] ३० 'चबूतरा। चौरा-संज्ञा पुं० [सं०चण्ड (गडढा)]:१: अनाज रखने का चौतिस --वि० [सं० चतुस्त्रिशत् प्रा. चतुत्तिसो, पा० चउतीसो] गड्डा । गाड़! २.चौड़ा। जो गिनती में तीस और चार हो। चौरा, संज्ञा पुं० [हिं०] चंवर । चौर । उ० तीन एक चंडोल चौतिसर--संज्ञा पुं० वीस और चार की संख्या जो अंकों में इस .... में, रैदास शाह कबीर । गरीबदास चौरा करे, बादशाह - प्रकार लिखी जाती है-३४ । बलबीर ।-कबीर मं०, पृ० १२१ । चौ तिसवा-वि० [हिं० चौतिस-+वा (प्रत्य०)] जो क्रम में तेंतीसवे के चौरा--संशा पुं० [हिं० चौर+आ (प्रत्य॰)] सफेद पूछवाला उपरांत पड़े। जिसका स्थान तैतीस और वस्तुओं के पीछे हो। बैल। चौतीसा-वि०, संशा गुं० [हिं० चौतिस] दे॰ 'चौतिस' । चौ राना@---कि० [सं० चामर] १ बर इलाना। धर करना। चौघ--संक्षा पी० [सं०/चक ( = चमकना) या ची (=चारो २. चा फेरना । झाड़ देना। बुहारना । उ--चौंरावत पोर)+-अंध] अत्यंत अधिक चमक या प्रकाश के सामने सब राजमग चंदतं जल छिरकाइ । प्रकट पताका घर घरन दृष्टि की अस्थिरता । चकाचौंध । तिलमिलाहट । .. वांधत हिय हरसाई --पद्माकर (शब्द०)। चौधना+-वि० अ० [हिं० चौंध] १. किसी वस्तु का क्षणिक चोरी-संज्ञा स्त्री० [सं० चामर, हिं० चौर+ई (प्रत्य॰)] १. काठ प्रकाशित होना । चमकना । चौंध होना। २. तेज प्रकाश की डांड़ी में लगा हुआ घोड़े की पूछ के बालों का गुच्छा जो आँखों पर पड़ने से अंधकार के अलावा कुछ न दिखाई देना। . मक्खियाँ उड़ाने के काम में प्राता है। घोड़े के सवार इसे प्रायः . चौधा-संक्षा पुं० हि चौध] चकाचौंध । । अपने पास रखते हैं । २. वह डोरी जिससे स्त्रियाँ सिर के बाल चौंधा -संज्ञा पुं० [सं०चतुर+ध्याना सावधानता। जागरूकता। गूथकर बांधती हैं। चोटी या वेणी बांधने को डोरी। सतर्कता । उ०-चौरी डोरी विगलित केश । झूमत लटकत मुकुट यो०--चौथा चाटक-सावधानी और प्रतिभा ...., सुदेश-सूर (शब्द०)। ३. सफेद पुछ्वाली गाय । ४. सुरा" पोधियाना--कि० अ० [हिं० चौध] १. अत्यंत अधिक चमक या ... गाय । ५. किसी चीज के पागे लटकनेवाला फुदना। प्रकाश के सामने दृष्टि का स्थिर न रह सकना । चकाचौंध चौसठ'---वि० [सं० चतुःषष्ठि, प्रा० च उसदि] जो गिनती में होना । जैसे,-नख चौंधियाना। २. दृष्टि मंद होना। चौमारसंडा पं० साठ और चार की संख्या जो अंकों में इस प्रकार साठ और चार हो। आँखों से सुझाई न पड़ना (तिरस्कार) 1 लिखी जाती है-६४। चौघी-संज्ञा स्त्री० [हिं० चौंध] १. चकचौंध । तिलमिलाहट। उ०- चौसठवा-वि० [हिं० चौसठ+वा (प्रत्य०)] जो क्रम में तिरसठवें चितवत मोहि लगी चौंधी सी जानो न कौन कहाँ तें पाए। के उपरांत पड़े। जिसका स्थान तिरसठ और वस्तुमा -तुलसी (शब्द०)। २. आँखों का एक रोग जो दिन में बाद हो। बराबर ताप खाने से या कमजोरी से हो जाता है । इसके रोगी 'चौही-संज्ञा पुं॰ [देश॰] दे० 'गलफड़ा। को रात में केवल रोशनी दिखाई देती है और कुछ नहीं। चोही --संज्ञा स्त्री० [देश॰] हल की एक लकड़ी जिसे परिहारी भी चौपला--संज्ञा स्त्री० [हिं० चोप] दे० 'चोप'। कहते हैं। चौरंगाय-संथा स्त्री० [हिं० चौर+गाय] सुर नाम की गाय। चौ'-वि.० [सं० चतुः, प्रा० चउ चार (संखपा) । . . . . . चौर--संवा पुं० [सं० चामर] १. सुरो या चोरी मृग (= चामर मृग) यौ-चौपहल । चौबगला । चौमासा । चौधड़ा। गाय की पूछ के वालों का गुच्छा जो एक डॉडी में लगा . विशेष--इस अर्थ में इस शब्द का प्रयोग अब समास हा म रहता है और पीछे या वगल से 'रांजा महाराजानों या देव. .....होता है। ..... मतियों के सिरों, पर इसलिये हिलाया जाता है जिसमें ची-संथा पुं० मोती तौलने का एक मान । जौहरियों का एक तोला मक्खियां आदि न बैठने पावें । वर । दे० 'चंबर'। चौर-प्रत्य० [सं० स्य अथवा त्यक, प्रां० चना, तुल० मरा० चा] क्रि० प्र०करना 1डुलाना । —होना । [अन्य रूप चइ, चउ, ची, चो] संबंध कारक की विभक्ति । मुहा०-चौर ढलना=सिर पर चंदर हिलाया जाना। चोर का। उ--सादूली ला ससा, घात करण घिरतहि ___ढालना=सिर पर चौर हिलाना। चौर टुरना-दे० 'चौंर . ..कू भाथल चौ खाय पल, गजमोती घिरताह 1- बाँकी ९. डलना' । चौर दरानो=०. 'चौर ढालना। लना।.. ... भा१, पृ० ३१ । ...२.भडभाड की जड़ । सत्यानाशी की जड़ । चोक । ३पिंगल चौधन-वि०, संक्षा पुं० [हिं० चौवन ] ३० चौवन'। ,