पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५७८

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छैला १६५६ छोटा चांद छैला--संथा पुं० [सं०छवि+प्रा. इल्ल (प्रत्य॰), प्रा. छबिल्ल, छयल्ल, छइल्ल ] सुदर और बना ठना प्रादमी । सुदर वेश- विन्यासयुक्त पुरुष । जो अपना अंग खूब सजाए हो। सजीला । बांका । रंगीला । शौकीन । छो कर संक्षा पुं० [सं० शङ्करा] शमी का वक्ष । सफेद कीकर। उ०-छोंकर के वृक्ष बटुमा झुलाइ दियो, कियो जाय दरशन सुख भयो भारिए --भक्तमाल, पृ. ५६६ । छों करा-संक्षा पुं० [सं० शङ्करा] दे० 'छोंकर'। छोड़ा@f-संज्ञा पुं० [सं० श्वेड] वह लकड़ी जिससे दही मथा जाता है। मथानी। छोड़ा--संज्ञा पुं० [सं० शावक] [श्री० छोडि, छोडी] दे० 'छौंडा' । छौ डि'–संहा सी० [सं० वेडिका] मथानी । छोड़ि--संज्ञा स्त्री० [सं० क्षोरिण] बड़ा बरतन । छोता-संज्ञा पुं० [हिं०] छिलका । उ०—ोगण सह कर एकठा, विदर वणाया वेह । ज्याँ मझ कांदा छोत जिम, छिदरी रो नहि छह 1-बाँकी० ग्रं॰, भा० ३, पृ०६१। छो-संधा पुं० [सं० क्षोम, हिं० छोह] १. छोह । प्रेम । प्रीति । चाह । २. दया । कृपा ३. क्रोधजनित दुःख । क्षोभ । कोप । गुस्सा। क्रि० प्र०--करना।--होना ।—रखना। छोइसार-संज्ञा स्त्री॰ [देशी०] दे० 'छोई। छोड़ी-संक्षा श्री० [देशी छोइया, अथवा हिं० छोलना] १. ईख की पत्तियां जो उसमें से छीलकर फेक दी जाती हैं । २. गन्ने की वह गड़ेरी या गन्ना जिसका रसचूसकर या पेरकर निकाल लिया गया हो। विना रसकी गड़ेरी । सीठी । खोई। उ०--गाँड़े की सी छोई कर डाले, रहन न देत मिठाई ।-कबीर० श०, पृ०७ । छोकड़ा-संज्ञा पुं० [सं० शावक, प्रा. छावक+रा (प्रत्य॰)] [बी० छोकड़ी] लड़का । बालक। अनुभवशून्य या अपरिपक्व बुद्धि का युवक । लौंडा । (प्राय: बुरे भाव से)। छोकड़ापन-संज्ञा पुं० [हिं० छोकड़ा+पन (प्रत्य॰)] १. लड़कपन २.छिछोरापन | नादानी। छोकड़िया - संज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'छोकड़ी। छोकड़ी--संज्ञा स्त्री॰ [हिं० छोकड़ा] लड़की । कन्या। बेटी। छोकर --संज्ञा पुं० [सं०] दे० 'छोकड़ा'। छोकरा-संज्ञा पुं० [हिं०] [स्त्री० छोकरी] दे० 'छोकड़ा'। छोकरिया:--संज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० छोकरी'। छोकरी--संज्ञा स्त्री॰ [हिं०] दे० 'छोकड़ी'। छोकला --संज्ञा पुं० [सं० छल्ल छोल । छिलका । वक्कल । छोगाला---० दिश०] हला । उ०--विदर वुराई वींटिया, विदर बड़ वाचाल! विदर पटा लावै सुरत, छोगाला चिरताल |- - बाँकी. ग्रं०, भा०२, पृ० ८५। छोट:-वि० [सं० क्षुद्र हिं० छोटा, अयवा देशी छुट्ट] । दे० 'छोटा'। उ०--को वड़ छोट कहत अपराधू । सुनि गुन भेद समुझिहहिं साधू ।--मानस, १ । २१ । छोटका:--वि० [हिं० छोटा+का (प्रत्य॰)[वि. स्त्री० छोटकी ] . छोटा। विशेष-पूरबी प्रत्यय (का. की,) ऐसी विशेष वस्तुओं के लिये __ पाता है जो सामने होती है, जिनका उल्लेख पहले हो चुका ___रहता है, या जिनका परिचय सुननेवाले को कुछ रहता है। छोटपन - संज्ञा पुं० [हिं० छोटा+पन (प्रत्य॰)] छोटापन । छोटाई छोत्रफनी -संज्ञा स्त्री० [हिं० छोटा-+फन कम चौड़े मुहवाली मटकी। छोटे मुह को ठिलिया। तंग मुंह की गंगरी । छोटभैया-संक्षा पुं० [हिं० छोटा+माई] पद या. मान मर्यादा में छोटा आदमी । कम हैसियत का आदमी। छोटा-वि० [सं० क्षुद्र या देशी छुट्ट, छुट] वि० श्री. छोटी] १. जो बड़ाई या विस्तार में कम हो । आकार में लघु या न्यन । डील डोल में कम । जैसे-छोटा योड़ा. छोटा घर, छोटा पेड़, छोटा हाथ। यो०-छोटा मोटा छोटा । जैसे, छोटा मोटा घर। २. जो विस्तार या परिधि में भी कम हो। जिसमें फैलाव न हो । उ०-प्रसवार चलते पान घलते पुहवो भए जा छोटी। -कीति०, पृ० ६४ । ३. जो अवस्था में कम हो। जिसका वय प्ररूप हो । जो थोड़ी उम्र का हो। जैसे, छोटा भाई । उ०-हम तुमसे तीन वरस छोटे हैं ।३. जो पद और प्रतिष्ठा में कम हो। जो शक्ति, गुण, योग्यता मान मर्यादा आदि में न्यून हो । जैसे, बड़े आदमियों के सामने छोटे नादमियों को कौन पूछता है ? उ०-प्ररि छोटो गनिए नहीं जातें होत विगार । तिन समूह को छिनक में भारत तनक अंगार ।--द (शब्द॰) । यौ०-छोटा मोटा। ४. जो महत्व का न हो। जिसमें कुछ सार या गौरव न हो। सामान्य । जैसे,-इतनी छोटी बात के लिये लड़ना ठीक नहीं । ५. जिसमें गभीरता, उदारता या शिष्टता न हो। जिसका प्राशय महत या उच्च न हो । अोछा । क्षुद्र । जैसे,-- (क) किसी से कुछ मांगना बड़ी छोटी बात है। (ख) वह बड़े छोटे जी का आदमी है। महा०-छोटे मुह बड़ी बात-साधारण या प्रोछे व्यक्ति द्वारा किसी श्रेष्ठ या शिष्ट के प्रति अनुचित एवं निदात्मक बात कहना। यौ०-छोटा श्रादमी-पोछा व्यक्ति । छोटाई · संज्ञा स्त्री० [हिं० छोटा+ई (प्रत्य॰)] १. छोटापन । लघुता । २. नीचता । क्षुद्रता । यो०-छोटाई बड़ाई। छोटा कचूर-संज्ञा पुं॰ [हि छोटा+कचूर] कपूर कचरी । गंधपाली। छोटा कपडा-संशा पुं० [हिं० छोटा+कपड़ा] अगिया । चोली। छोटा कुवार-संज्ञा पुं० [हिं० छोटा+सं० कुमारी] एक जाति का " र घीकुमार। विशेष-इसके पत्ते छोटे होते हैं मोर चीनी में मिलाकर दस्त की बीमारी में खाए जाते हैं। यह मैस र प्रांत से अधिक होता है। छोटा चांद-संज्ञा पं० [हिं० छोटा+चाँध] एक लता. जिसकी जड़. सावित्री उमाननादी जाती है । इस लसा की जड़.