पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/५८

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1- खरघातन ११३४.. खरपत 'खरघातन--संशा [सं०] नागकेशर । नागचंपा (को०] | .:. खरतुग्रा-संशा पुं० [हिं० खर+युना] बथुए की तरह की एक खरच--संज्ञा पुं० [फा० ] टे० 'ख'। . . . घास जो पंजाब और मध्य प्रदेश में अधिकता में होती है । इसे " मुहा:-खरच कर डालना@: समाप्त करना। नपा डालना चमरवथुप्रा भी कहते हैं । उ०-खेत बिगारयो खरतुमा, J... मार दालना । २०-यह वनियां कौन की हिमायत सौं बोलत : सभा विगारी कर । भक्ति विगारी लालची, ज्यों केसर में " हैं। ताते.याको तुरत ही सारव करि हारो।-दो सौ वावन०, धूर :- कबीर सा० सं० भा०१, पृ० ३६ |... भा० १, पृ० २४५। . . . . खरदंड-संजा खरदण्ड पदमा कमला . . . . 'खरचनहार--वि० [हिं० खरचना+हार (प्रत्य॰)] खरच करने खरदनी-संशा स्त्री० [हिं० खरादना] खरादने का प्रौजार । खराद । | बाला । व्यय करनेवाला । सं०-माया तो है राम की, मोदी ... जनी। .. . मब संसार । जा को चिट्ठी ऊतरी सोई सारचमहार ।- खरदला-संज्ञा की० [सं०] एक प्रकार का गूलर । कठूमर [को०] । संतवाणी० मा १, पृ०. ५७। . खरदा-संवा पुं० [देश॰] अंगूर का एक रोग जिसमें उसकी डालियों | खरचना- क्रि० स० [फा० सार्च, हि. खरच या झर्च +ना (प्रत्य०) - १. व्यय करना । करन जाना लगाना। २. पवहार पर लाल रंग की बुकनी बैठ जाती है और पौधे को बाढ़ नष्ट . में लाना वतना। ___ हो जाती है। . खरचर्मा- संझा पुं० [सं० सारचर्मन् ] मगर । न को०] '... खरदिमाग-वि० [फा० खरदिमाग] गधे की तरह बुद्धिवाला । नितांत . खरचा संज्ञा स्त्री० [फा० ह] ३० 'खर्चा' । मूर्ख। उच्ड्ड [को०].. । खरची--संशा खी० [हिं० सरच+] दे० 'खी ०-ता पाछे ससदमागासचा नाफा० मुरादमाम] नासमझा ।। जापाखरदिमागो-संवा स्त्री० [फा० खरदिमागः] नासमझी । मूर्खता । जब वैष्णवन जावें की कहे तव कृष्ण भट रात्रि को उनकी ... उजड्डपन (को०] I - नाठि खड़िया खोलि खरची बांधि देते।-दो सौ बावन०, ..खरदुका- संदा पुं० [सं० क्षिरोदक, हिं० खीरोयक] प्राचीन काल का भा० १, पृ० २७॥ एक प्रकार का पहनावा । उ०-चंदनीता को खरटक भारी। खरचर पु-संचा मो." [सं० साजर] एक प्रकार की चाँदी रजत.. बासपूर झिलमिल कसारी!जायसी न०, पृ० १४५ । -राणा के मंहार मह, ग्रन और दरंब लपूर । पूरन सरदपण---संज्ञा पुं० [सं० खर और दपण नामक राक्षस जो रावण ... . 'रतन पदारय, गुलिक कनक खरवूर ।--इंद्रा०, पृ०८1 के भाई थे । १. धतूरा । ३.फरवरी [को०] । । अन्न छद-संक्षा पुं० [सं०] १. भूमिमह वृक्ष २. कुंदर नामक तृण। .. . : ३.नक । मकर (को०] । 'खरदूषण - वि० जिसमें बढ़त दोष हो। . सरज-संहा पुं० [सं० पंड्ज] दे० 'गज' उ०-खरज साधे गाळसरपणासमा पु० [सं० खर तयण+ोपन् बाहु] तीखे . . मैं श्रवणन सुनह सुनाऊँ।करी०, पृ० १०५। .. .. करोंवाला सूर्य । उ०-वृप के खरपण ज्यों खरदूपण। 'खरजर-मंझा पुं० [सं० खर० दे० 'खजूर' । सब दूर किए रवि के कुलभूपण -रामचं०. पृ०७२। | खरजूर२- संथा मी० [सं० साजूर ] एक प्रकार की चाँदी 1 10- खरधार-संसा पुं० [सं०] तेज धारवाला अस्त्र । खासा पट खर जूर, सुभूपणा. सारन । दीघो दीलट पूर बधाई खरंबावा- संडा पुं० [हिं०क्षर+धब] धव या धाव का पेड़ जिमफी . : दारनै ।- रघु०. ८०, पृ० ६३। . .. लकड़ी नाव आदि बनाने के काम में प्राती है । दि० दे० 'ब'। . . | खरतनो-संज्ञा स्त्री० [हिं० खरादना दे० 'सरदनी खरध्वंसी-संथा पं० [सं० खरध्वंसिन् ]] १. रामचंद्र । २.कृष्णचंद्र। खरतर@t- वि० [हिं० सार+तर] (प्रत्य०).] १. अधिक तीक्ष्ण। खरमा-फि० त० [हिं० खरा] ऊन को पानी में उबालकर साफ - वहत तेज । उ०--कया.ताइके खरतर करई। प्रेम कसेंडसी करना। ...पोड़ के घरई --जायसी (शब्द०)। २. लेनदेन में खरा । खरनाद-संज्ञा पुं० [सं०] गधे की आवाज । रेंकना । . .... व्यवहार का का सच्चा या साफ। खरनाद - वि० गधे की तरह अावाजवाला [को०] ....: खरतरगच्छ-संक्षा पुं० [सं०] जैन संप्रदाय की एक शाखा। खरनादिनी-संभाली० [सं०] रेरा का नाम का गंधद्रव्य । खरतला--वि० [हिं० खरा] १.खरा । स्पष्टवादी । २. शुद्ध हृदय- खरनादी-वि० [सं० खरमादिन] रे 'खरनाद - वोला । ३. मुरीवत न हरनेवाला। शील संकोच न करने ....: बाला । ३. साफा स्पष्टं। . " : ..खरनाल-संचा.पुं० [सं०] कमल | पद्म किो क्रि०प्र०--कहना ।-रहना। "" . . खरपत--संसा: पुं० [देश॰] एक प्रकार का वृक्ष । घोगर । .:.:५. प्रचंड उग्र ।... .. ..... विशेष-यह वृक्ष नहेलवंड, अवध, वरमा तथा नीनगिरि में 1. खरतदा-संज्ञा पुं० [हिं० सर+युप्रा] ३० वरतु पा'। उ०- अधिकता से होता है तथा बेड वैसाख में फूलता और कातिक मुक्ति सहा भूप मन जीते घासा सकत गराए । भयित खेत में ... अगहन में फलता है। इसका फर, मकोय के आकार का होता .... अगहन में फनता है। इसका फल .. . सोम डरतया ताफ रहन न पाए।-सहजो०, पृ०.५७१, ... है.और कच्चा खाया जाता है। इसकी पत्तियों को हायी बहुत रुचि से खाते हैं । इसकी छाल से चमड़ा सिझाया जाता