पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१००

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जामुनी जा १७४४ पढते हैं जो घढने पर दो तीन मगुल लवे देरक भाकार के क्रि० प्र०-लेना। होते हैं । बरसात लगते ही ये फल पकने लगते हैं और पकने जायकेदार-वि० भ० जायकह+फा • दार] स्वादिष्ट । मजेदार ।। पर पहले बैंगनी रग के भौर फिर खूब काले हो जाते हैं । ये जो खाने या पीने मे अच्छा नाम पडे।। फल कालेपन के लिये प्रसिद्ध है। लोग 'जामुन सा काला' जायचा-सज्ञा पुं० [ फ्रा० जायचह ] जन्मकुंडली । जन्मपत्री। प्राय बोलते हैं। फलों का स्वाद कमलापन लिए मीठा होता जायन-वि० [अ० जायज़ ] यथार्थ । उचित । मुनासिव । ठीक । है। फल में एक कही गुठली होती है। इसकी लकडी पानी वाजिव । में सड़ती नहीं पर मकानों में लगाने तथा खेती के सामान बनाने के काम मे भाती है । इसका पका फल खाया जाता है। क्रि० प्र०-रखना। फलों के रस का सिरका भी बनता है जो तिल्ली, यकृत रोग जायजा-सहा पुं० [अ० जायजह. 1१. जाँच। पडताल । प्रादि की दवा है। गोमा मे इससे एक प्रकार की शराब भी मुहा०-जायजा देना=हिसाब समझाना । जायजा लेना- बनती है। इसकी गुठली बहुमूत्र के रोगी के लिये मत्यत पडताल करना । जाँचना । उपकारी है। बौद्ध लोग जामुन के पेड को पवित्र मानते हैं। २. हाजिरी। गिनती। वैद्यक में जामुन का फल ग्राही, रूखा तथा कफ, पित्त मोर जायजरूर-सञ्ज्ञा पुं० [फा. जा+म० जरूर ] टट्टी । पाखाना । दाह को दूर करनेवाला माना जाता है। जायद-वि० [फा० जायद ] १ ज्यादा। पषिक । २ फालतू । पयां-जवू । सुरभिप्रमा। नीलफला । श्यामला । महास्कया । अतिरिक्त। राजाही । राजफला। गुप्रिया । मोदमादिनी । जवुल । जायदाद-सज्ञा ली० [फा०] भूमि, धन या सामान पादि जिस पर सामुनी-वि० [हिं० जामुन ] जामुन के रग का। जामुन की तरह किसी का अधिकार हो । सपत्ति । बैंगनी या काला । जैसे, जामुनी रंग! विशेष-कानून के अनुसार जायदाद दो प्रकार की है, मनकूला जामेय-सका [सं०] भागिनेय | भाजा । बहिन का लडका । और गैरमनकूला। मनकूला जायदाद उसे कहते हैं जो एक जामेवार-सवा पु० [दिश०] १ एक प्रकार का दुशाला जिसकी सारी स्थान से दूसरे स्थान पर हटाई जा सके । जैसे, बरतन, जमीन पर बेलबूटे रहते हैं। २. एक प्रकार की छीट जिसकी कपता, भसवाव मादि । गैरमनकूला जायदाद उसे कहते हैं जो बूटी दुशाले की चाल की होती है। स्थानातरित न की जा सके। जैसे, मकान, बाग, खेत, कुमा जायंट-वि० [सं०] साथ में काम करनेवाला । सहयोगी । सयुक्त । आदि। जैसे, जायंट सेक्रेटरी जायट एडीटर। जायदाद गैरमनकूला-सशौफा जायदाद + अरमनकूलह] जायंट मैजिस्ट्रेट-सचा पुं० [अ० ] फौजदारी का वह मजिस्ट्रेट वह सपत्ति जो हटाई बढाई न जा सके। स्थावर सपत्ति। दे० या हाकिम जिसका दर्जा जिला मजिस्ट्रेट के नीचे होता है 'जायदाद' शब्द का विशेष । और जो प्राय नया सिवीलियन होता है। जट । जायदाद जीजियत-साता स्त्री० [फा० जायदाद+म. जौजियत] जा -फि० वि० [अ० जायम ] व्यर्थ । वृथा। निष्फल । वह सपत्ति जिसपर स्त्री का अधिकार हो । स्त्रीधन । नाय -अव्य० [ फा जा (%3Dठीक)] वाजिब । मुनासिब । ठीक। जायदाद भकफूला-सहा स्त्री॰ [फा० जायदाद+म० मफूलह ] उचित । जैसे,—तुम्हारा कहना जायं है। वह सपत्ति जो किसी प्रकार रेहन या बधक हो। जायरा'-.-अच्य० [अ० जायम (= वृथा)] वृषा । निष्फल । व्यर्थ ।। जायदाद मनकूला- सहा स्त्री० [फा. जायदाद+५० मन्कूलह। वेकार। 10--(क)जाय जीव विनु देह सुहाई। बादि मोर पल सपत्ति । जंगम सपत्ति । दे० 'जायदाद' शब्द का विशेष । सब विनु रघुराई। -तुलसी (शब्द०)। (ख) सात जाय जिन फरह गलानी। ईस मषीन जीव गति जानी 1-तुलसी जायदाद मुवनाजिया-सहा स्त्री० [फा० जायदाद+भ० मूतना- (शब्द०)। (ग) जेहि देह सनेह न रावरे मो ऐसी देह धरा जिमह ] वह सपत्ति जिसके अधिकार प्रादि के विपय में कोई जो जाय जिए। —तुलसी (शब्द०)। झगड़ा हो । विवादास्त सपत्ति । जाया-सदा श्री० [ देश ] चने और उड़द की भूनकर पकाई जायदाद शोहरी-सलामी [फा०] वह सपत्ति जो स्त्री को उसके हुई दाल। पति से मिले। जाय-सक्षा औ० [फा० 'जा' का यौगिक रूप]जगह । स्थान । मौका। जायनमाज-सहा स्त्री० [फा० जायनमाज ] वह छोटी दरी, यो०-जायनमाज । जायपनाह, जायरहाइश = निवास स्थान । फालीन या इसी प्रकार का और कोई विष्टौना जिसपर बैठकर जाय -वि० [ मै० जात ] जन्मा हुमा । पैदा । उत्पन्न । जैसे -- मुसलमान नमाज पढ़ते हैं। बहुधा इसपर बना या छपा हमा चल जा दासीजाय तेरा उत्साह दिलाता निष्फल हुआ। मसजिद का चित्र होता है। मुसल्ला । जायक-सभा पुं० [मं०] पीला चदन । जायपनाह-सा स्त्री॰ [फा०] माश्रय या पनाह का स्थान । पाश्रय- जायका-सहा पुं० [अ० जाइकह, जायकह, ] खाने पीने की चीजों गृह [को०] 1 का मजा । स्वाद । लज्जत । जायपत्री-सद्या स्त्री० [सं० जातिपत्री दे० 'जावित्री'।