पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/११३

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जिला जज जिल्वा जिला जज-सज्ञा पुं० [अ० जिलम + भ० जज ] जिले का प्रधान जिलिवदार-सहा पुं० [हिं० ] दे० 'जिलेदार'। उ०-मर्जी लिखी न्यायाधीश । जिलाधीश। फौजदार ले पाँच जिसिवदार । जाके देव दरवार चोपदार के जिलाट---सचा पुं० [सं०] प्राचीन काल का एक वाजा जिसपर फहिने -दक्खिनी०, पृ०४६ ॥ चमडा मढा होता था और जो थाप से बजाया जाता था। जिलेदार-सधा पुं० [हिं० जिलादार ] दे० 'जिलादार'। जिलादार-समा पुं० [अ० जिलन + फा० दार (प्रत्य०)] जिलेवी --सहा स्त्री० [हिं० जलेगी ] दे० 'जलेवी'। १ सरवराहकार । सजायल । २ वह अफसर जिसे जमींदार जिलो-सा पुं० १ अनुचर । उ०-प्रथा बादशाहनों वहा नाम- पपने इलाके के किसी भाग में लगान वसूल करने के लिये दार। जिलो में चले उसके कई ताजदार । -दक्खिनी०, नियत करता है। ३ वह छोटा अफसर जो नहर, प्रफीम पृ० १९८। पादि सबंधी किसी हलके में काम करने के लिये नियत हो। ' जिल्द-सहा स्त्री॰ [40] [वि० जिल्दी] १. खाल । चमहा। जिल्लादारी-सज्ञा स्त्री० [हिं० जिलादार+ई (प्रत्य॰)] जिलेदार खलड़ी। २ ऊपर का चमारा स्वचा। जैसे, जिल्द की का काम या पद। बीमारी। ३ वह पट्ठा या दफ्ती जो किसी कितान की सिलाई जिलाधीश-सज्ञा पुं० [अ० शिलप+सं० अघीय ] दे० 'जिला जुजवदी पादि करके उसके ऊपर उसकी रक्षा के लिये लगाई मैजिस्ट्रेट'। जाती है। जिलाना-कि० स० [हिं० जीना का सक रूप ] १ जीवन देना । क्रि० प्र०-धनाना |-बांधना। जी डालना। जिंदा करना । जीवित करना । जैसे, मुर्दा यौ०--जिल्दबद। जिल्दसाज । जिलाना। २. पालना । पोसना । जैसे, सोता जिलाना, कुत्ता ४ पुस्तक को एक प्रति । जिलाना। विशेष-इस शब्द का प्रयोग उस समय होता है जब पूस्तकों का विशेष-इस क्रिया का प्रयोग प्राय ऐसे ही पशुमो या जीवों के ग्रहण सख्या के अनुसार होता है। जैसे,-दस जिल्द पद्मावत, लिये होता है जिनसे मनुष्य कोई काम नही लेता, फेवल एक जिल्द रामामण। मनोरंजन के लिये पालता है। जैसे,—कुत्ता, बिल्ली, तोता, ५. किसी पुस्तक का वह भाग जो पृथक सिला हो। भाग । खड। शेर प्रादि । घोड़े, हाथी, ऊंट, गाय, बैल मादि के लिये इसका जैसे,-दादूदयाल की चानी दो जिल्दों में छपी है। प्रयोग नहीं होता। जिल्दगर-सहा पुं० [अ० जिल्द + फ़ा० गर (प्रत्य॰) । जिल्दवद । ३. मरने से बचाना । मरने न देना। प्राणरक्षा करना । जैसे,- जिल्दवंद-सहा पुं० प्र. जिल्द+फा वद (प्रत्य॰)] वह जो सरकार ने प्रकाल में लाखों प्रादमियो को जिला लिया। किताचो की जिल्द वापता हो। जिल्द बांधनेवाला। ४. धातु के भस्म को फिर धातु के रूप में लाना । मुछित जिन्दवदी-सम्शा स्त्री० [अ० जिल्द फा. बदी (प्रत्य॰)] से घातु को पुन जीवित करना। पुस्तकों की जिल्द धिने का वाम । जिल्द साजी । (ला बोर्ड-सहा पुं० [१० जिला+प्र० बोर्ड ] किसी जिले के । जिल्दसाज-सज्ञा पुं० [२० जिल्द फा० साज (प्रत्य॰)] सशा करदातामों के प्रतिनिधियो की वह सभा जिसका काम अपने .' जिल्दसाजी] जिल्दवद । जिल्द बांधनेवाला। अधीनस्थ ग्रामपोरों की सहायता से गांवों की सड़कों की . मरम्मत कराना, स्कूल और चिकित्सालय चलाना, चेचक के जिल्दसाजी-सग्ना की. [५० जिल्द+फा० साजी (प्रत्य॰)] टोके भौर स्वास्थ्योन्नति का प्रबंध प्रादि करना है। जिल्दवदी। किताबो पर जिरद बापने का काम 1 विशेष-म्यनिसपैलिटी के समान ही जिलाबोर्ड के सदस्यो का जिल्दी-वि० [अ० जिल्द+फाई (प्रत्य०) त्वक सबधी। त्वचा भी हर तीसरे साल चुनाव होता है। या चमहे से सवध रम्यनेवाला । जैसे, जिल्दी बीमारी। जिला मैजिस्ट्रेट-सक्षा पुं० [ + ] जिले का बडा हाकिम जिल्लत--सक्षा स्त्री० [अ० जिल्लत] १ अनादर । अपमान । जो फौजदारी मामलो का फैसला करता है। जिला हाकिम । तिरस्कार । वेइज्जती! विशेष-हिंदुस्तान में जिले का कलक्टर और मैजिस्ट्रेट एक मुहा:-जिल्लत उठाना -१ अपमानित होना । २ तुच्छ ही मनुष्य होता है जो अपने दो दो पदों के कारण दो नामो होना । हेठा ठहग्ना जिम्मत देना=(१)अपमानित करना ।

  • ' से पुकारा जाता है। मालगुजारी सबधी कार्यों का अध्यक्ष (२) लज्जित करना । हतक करना । हेठा उहराना । जिल्लत

(प्रधान ) होने से कलक्टर मौर फौजदारी : मामलो फा पाना = अपमानित होना। फैसला करने के कारण वह मैजिस्ट्रेट कहलाता है। २. दुर्गति । दुर्दशा । हीन दशा। जैसे, जिल्लत मे पडना या जिलासाज-सज्ञा पुं० [अ० जिला+फा० साज] सिकलीगर ।। .. फंसना । हथियारो पर भोप चढ़ानेवाला। जिल्ली-सज्ञा पुं० [दश० ] एक प्रकार का बांस । जिलाह@-सबा पुं० [अ० जल्लाद 1 अत्याचारी। 10.-ज्वाला विशेप-यह मासाम में होता है और घर की छोजन मादि में को जलूसन, जलाक जग जालन को, जोर की जमा है जोम लगता है। जुलुम जिलाहे की।-पद्माकर म०पू० २२८ । जिल्वा--सक्षा पुं० [प० जल्वह, ] दे० 'जल्पा'। उ०-एक दिन ऐसा .