पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/११७

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(१) जो चाहना । इच्छा होना । (३) जो माना। चित्त मोहित होना। जी चला=(१) वीर। दिलेर। बहादुर । गुर । शूरमा । (२) दानवीर । दाता । दानी । उदार दान- शूर । (३) रसिक । सहृदय । जी चलाना%3D(1) इच्छा करना । मन दौष्ठाना । चाह करना । (२) हिम्मत बांधना। साहस करना । हौसला बढ़ाना । जो चाहना = मनोमिलाप होना । मन चलना । इच्छा होना। जी चाहे= यदि इच्छा हो । यदि मन में प्रावे । जी चुराना=किसी काम या बात से बचने के लिये होला हवाली करना या युक्ति रचना। किसी काम से भागना । जैसे,--यह नौकर काम से जी चुराता है। जो छुपाना = (१) है. 'जी चुराना' । जी छूटना=(१) हृदय की दृढता न रहना। साहस दूर होना । ना उम्मेदी होना। उत्साह जाता रहना। (२) थकावट मान।। शिथिलता पाना । जी छोटा करना =(१) हृदय का उत्साह कम करना । (२) हृदय समुचित करना । मन उदास फरना । दान देने का साहस कम करना । उदारता छोडना । कजूसी करना। जी छोड़ना=(१) प्राण स्थाग करना। (२) हृदय की दृढ़ता खोना । साहस गंवाना । हिम्मत हारना। जी छोड़कर भागना-हिम्मत हारकर बडे वेग से भागना । एकदम भागना । ऐसा मागना कि दम लेने के लिसे भी न ठहरना। जी जलना = (१) चित्त सतप्त होना । हृदय में सत्ताप होना । चित्त में कुढ़न और दुख होना । क्रोध माना । गुस्सा लगना (१) ईया होना । शाह होना । जी जलाना = (१) चित्त सतप्त करना । हृदय में क्रोध उत्पन्न करना 1 फुकाना । चिढ़ाना । (२) हृदय में दुख उत्पन्न करना। रज पहुँचाना। दुस्खी करना । चित्त व्यथित करना। सताना (३) ईा या सह उत्पन्न करना । जो जानता है-हृदय ही अनुभव करता है, कहा नहीं जा सकता । सही हुई कठिनाई, दुख या पीटा वर्णन के बाहर है। जैसे,—(क)मार्ग मे जो जो कष्ट हए कि उसे जी ही जाजता होगा। ('जी जानना होगा' भी बोला जाता हैं।) जी जान से लगना-हृदय से प्रप्त होना । सारा ध्यान लगा देना। एकान चित्त होकर तत्पर होना । जैसे, यह जी जान से इस काम में लगा है। किसी को जी जान से लगी है = कोई हृदय से सत्पर है। किसी की घोर इच्छा या प्रयत्न है। कोई सारा ध्यान लगाकर उद्यत है। कोई बरावर इसी चिता पौर उद्योग में है। जैसे, उसे जी जान से लगी है कि मकान बन जाय। जी जान साना = मन लगाना । दत्त चित्त होना। जी जुगोवा - (१) किसी तरह प्राणरक्षा करना । कठिनाई से दिन बिताना । जैसे तैसे दिन काटना । (२) बचना । अलग रहना । तटस्थ रहना या होना। जो जोड़ना=(१) हिम्मत बांधता या करना । (२)तैयार होना । उद्यत होना । जी टंगा रहना या होना- चित्त मे ध्यान या चिना रहना। जी मे खटका बना रहना । चित्त चितित रहना । जैसे,—(क) जब तक तुम नहीं मापोगे, मेरा जी टेंगा रहेगा। (ख) उसका कोई पत्र नहीं पाया, जो टेंगा है। जी टूट जाना-उत्साह भग हो जाना। उमग या हौसला न रह जाना । नैराश्य होना। उदासीनता होना । जैसे,—उनकी बातों से हमारा जी दुट गया, पब कुछ न करेंगे। जी ठढा होना = (१) चित्त मांत मौर सतुष्ट होना। प्रमिलाषा पूरी होने से हृवय प्रफुल्लित होना। चित्त में सतोष पौर प्रसन्नता होना । जैसे,—वह यहाँ से निकाल दिया गया, मव तो तुम्हारा जी ठढा हमा? जी ठुकना = (१) मन को सतोष होना। चित्त स्थिर होना। (२) चित्त में दृढ़ता होना । साहस होना । हिम्मत बँधना । ६. 'छाती ठुकना"। जी हरना= शका या माशका होना । भ होना। जी बासना-(१) शरीर में प्राण डालना। जीत करना (२) प्राण रक्षा करना। मरने से बचाना। (३ हृदय मिलाना । प्रेम करना (४) उत्साहित करना। बढ़ावा देना । जी एवना = (१) बेहोशी होना । मूर्छा पाना। चित्त विह्वल होना । (२) चित्त स्थिर न रहना । घबराहट पौर वैचैनी होना। चित्त व्याकुल होना। जी डोलना=(१) विचलित होना। चचल होना। (२) लुब्ध होना। मनुरक्त होना । (३) मन न करता न चाहना । जी दहा बाना- दे० 'जी बैठा जाना'। जो तपना-चित्त कोष से सतप्त होना। जी जलना । क्रोध चढ़ना। उ०-सुनि गज वह अधिक जिउ सपा। सिंह जात कहूं रह नहि छपा। -जायसी (शब्द॰) । जी सरसना=किसी वस्तु या वात में प्रभाव से वित्त व्याकुल होना । किसी वस्तु की प्राप्ति के लिये चित्त धीर या दुखी होना। किसी बात की इच्छा पूरी न होने का फष्ट होना । जैसे,—(क) तुम्हारे दर्शन के लिये जी तरसता था। (ख) जब तक बगाल मे पे, रोटी के लिये जी तरस गया। जी तोर काम, परिश्रम या मिहनत करना = जान की बाजी लगाकर किसी काम को करना। जी तोरना=(१) दिल तोडना । निराश करना। हतोत्साह करना । (२) पूरी शक्ति से काम करमा। काम करने में कुछ भी न उठा रखना। जी दह- लना= भय या मायका से पित्त डांवाडोल होना। पर से हृदय कोपना । डर के मारे जी ठिकाने न रहना । अत्यत भय लगना। जी-दान-प्राण दान। प्राण रक्षा। जी दार= जीवटवाला । दृढ़ हृदय का । साहसी। हिम्मतवर । बहा- दुर । कडे दिल का। जी दुखना=पित्त को कष्ट पहूँचना । हृदय मे दुख होना । जैसे,-ऐसीपात क्यो बोलते हो जिससे किसी का जी दुखे। जी दुखाना-चित्त व्ययित करना। हृदय को कष्ट पहुंचाना। दु.ख देना । सताना । जैसे,-व्यर्थ किसी का जी दुखाने से क्या लाभ ? जी देना%3D (१) प्राण खोना | मरना । (२) दूसरे की प्रसन्नता या रक्षा के लिये प्राण देने फो प्रस्तुत रहना । (३) प्रारण से बढ़कर प्रिय समझना । मत्यत प्रेम करना । जैसे,—वह तुम पर जो देता है मौर तुम उससे भागे फिरते हो। जो दौड़ना-मन चलना । इच्छा होना । लालसा होना। जी घसा जाना= दे० 'जी बैठा जाना'। जी धडकना = (१) भय या माशका से चित्त स्थिर न रहना । कलेजा धक धक करना । डर के मारे हृदय में बराहट होना। र लगाना । (२) चित्त में दृढ़ता न होना । साहस न पड़ना। हिम्मत न पड़ना । जैसे.--चार पैसे पास से निकालते जी धड-