पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/११९

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जो की इच्छा न रह जाना। जैसे,—(क) मय जी भर गया पौर न खाएंगे। (ख) तुम्हारी बातों से ही जी भर गया, पव जाते हैं। (व्यग्य) । (२) मन फी भभिलाषा पूरी होने से प्रानद और सतोष होना । जैसे,-लो, मैं, माज यहाँ से चला जाता है, भव तो तुम्हारा जी भरा। (३) रुचि के मनुकूल होना। मन में घृणा न होना । जैसे, ऐसे गदे बरतन में पानी पीते हो, न जाने कैसे तुम्हारा जी भरता है। जी भरकर-जितना पौर जहाँ तक जी चाहे । मनमाना । यथेष्ट । जैसे,-तुम हमे जी भरकर गालियाँ दो, कोई परवाह नहीं। जी भरना ( क्रि० स०)-चित्त विश्वासपूर्ण फरना । पित्त से किसी बात की बुराई या घोसा मादि खाने की माशंका दूर करना । खटका मिटाना। इतमीनान करना। दिलजमई करना । जैसे,-यो तो घोरे मे कोई ऐब नही है पर माप वस प्रावमियों से पूछकर अपना जी पर नीजिए । जी भर थाना = हृदय का फरणा या शोक के पावेग से पूर्ण होना। चित्त में दुख या करुणा का सरेक होगा। दुख या क्या उमड़ना । हृदय में इतने दुख या क्या का वेप उठना कि पांचों में प्राप्त मा जाप । हवय का करुणा से बिह्वल होना । जी भरभरा उठना = रोमांच होना । हृदय के किसी प्राकस्मिक पावेग से चित का विह्वल हो जाना । (पपना) जो भारी करमा-पित्त खिन्न पा दुखी फरमा । जी भारी होना= तबीयत अच्छी होना । किसी रोग या पीड़ा धादि के कारण सुस्ती जान पड़ना । शरीर पच्छा न रहना । जी भुरभुराना = किसी की भोर चित्त पापित होना । मन लुभाना । मन मोहित होना। जी मचलना- किसी वस्तु या या व्यक्ति की पोर भाकृष्ट होना । जी मचलाना = दे० 'जी मतखाना' । जी मतलाना = चित्त में उलटी या के करने की इच्छा होना। वमन करने को जी चाहना । जी मर जाना = मन में उमगन रह जाना। हृदय का उत्साह नष्ट होना। मन उदास हो जाना। जी मलमलाना-चित में दुख या पछतावा होना। अफसोस होना । जैसे,-गांठ के चार पैसे निकालते जो मलमलाता है। जी मारना=(1) चित्त की उमग को रोकना । हवप का उत्साह न करना । (२) सतोष धारण करना। सन फरना। जी मिचलाना=दे. 'जी मतनाना' । (किसी से ) षी मिन्नमा = चित्त के भाव का परस्पर समान होना। हृदय का भाव एक होना। समान प्रवृत्ति होना। एक मनुष्य के भावों का दूसरे मनुष्य के भावों के अनुकूम होना। पित्त पटना । जी में धाना= (१) मन में भाव उठना। चित्त में विचार उत्पन होमा। (२) मन में इच्छा होना । जी चाहनाइरादा होना। सकल्प होना। जैसे, तुम्हारे जो जी में मावे, करो । जी में घर करना= (१) मन में स्थान करना । हृदय में किसी का ध्यान बना रहना । (२) याद रहना। कोई बात या व्यव- हार मन में बराबर रहना । जी में गहना या युभना - (१) चित्त में जम जाना। हृदय में गहरा प्रभाव करना। मर्म भेदना । (२) हृदय मे भकित हो जाना। चित्त मे, ध्यान बना रहना। उ०-माधव मूरति जी मै खुभी।- सूर (शब्द०)।जी में जलना=(१) हृदय में क्रोध के कारण सताप होना । मन में कुढ़ना। मन ही मन ईष्या करना। डाह करना । जी में जो पाना=चित्त ठिकाने होता। चित्त की घबराहट दूर होना। चित्त शात और स्थिर होना । चित्त की चिता या व्यग्रता दूर होना। किसी बात को मायका या भय मिट जाना । जैसे,- जब वह उस स्थान से सकुशल लौट माया तब मेरे जी में जी माया । जो में जो डालना- (१) चित्त सतुष्ट और स्थिर करना । चित्त का खटका दूर कराना । चिता मिटाना । (२) विश्वास दिलाना । इतमीनान मरना । दिलजमई कराना । जी मे डालना-मन में विचार लना । सोचना । जैसे,—तुम्हारे साथ कोई बुराई करूंगा ऐसी धात कभी जी मे न डालना। जी मे धरना=(१) मन में लाना । चित्त मे किसी बात का इसलिये ध्यान बनाए रहना जिसमे मागे चलकर कोई उसके अनुसार कार्य करे। ख्याल करना। (२) मन में बुरा मानना । नाराज होना। बैर रखना। जी मे पैठना% (१) चित्त में जम जाना । हृदय पर गहरा प्रभाव फरना । मर्म भेदना । (२) ध्यान मे पकित होना। घरापर ध्यान मे बना रहना। चित्त से न हटना या मूजना । जी में बैठना- (१) मन मे स्थिर होना। चित्त मे निश्चय होना । चित्त में निश्चित धारणा होना। मन मे सत्य प्रतीत होना । जैसे, उन्होंने जो बातें कही ये मेरे जी में बैठ गई । (२) हृदय पर गहरा प्रभाव करना । (३) हृदय पर अकित हो जाना। ध्यान में बराबर बना रहना । जी मे रखना = (१) चित्त में विचार धारण करना। स्पान बनाए रखना जिसमें मागे चलकर उसके अनुसार कोई कार्य करें। (२) मन में बुरा मानना। वैर रखना। देष रखना। कीना रखना। जैसे,—उसे चाहे जो कहो वह कोई बात जी मे नहीं रखता। (३) हृदय में गुप्त रखना। हृदय के भाव को बाहर न प्रकट करना ! मन में लिए रहना । जैसे,—इस बात को जी में रखो, किसी से कहो मत। (किसी का ) जी रखना- ( किसी का ) मन रखना । किसी के मन की बात होने देना। मन की मभिलाया पूरी करना । इच्छा पूरी करना। उत्साह भग न करना। प्रसन्न करना। सतुष्ट करना । जैसे,-जब वह दार वार इसके लिये कहता है तो उसका जी रख दो। जी रुकना = (१) जी घबराना । (२) जी हिचकना । चित्त प्रवृत्त न होना । जी लगना% चित्त तत्पर होना । मन का किसो विषय में योग देना । चित्त प्रवृत होना। दत्तचित्त होना । जैसे,-पढ़ने में उसका जी नहीं लगता। (किसी से) जी लगाना =चित्त का प्रेमासक्त होना । किसी से प्रेम होना । जी लगाना - चित्त तत्पर करना। किसी काम में दत्तचित्त बनना। जी लगा रहना या लगा होना = (१)चिन मे ध्यान बना रहना। (२) जी में खटका लगा रहना । चित्त चितित रहना यर होना । जैसे,-बहुत दिनों से कोई पत्र नही पाया, जो लगा है। ( किसी से ) जी लगाना = किसी से प्रेम करना । जी लटना = पस्त होना । हिम्मत टूटना । उ-इस