पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१२१

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लीना लीकाद उ.-ताते लोमस नाम है मोरा। करौ समाष जीतव है जीकाद-सज्ञा पुं० [अ० जीकाद ] हिजरी सन् के ग्यारहवें महीने का नाम [को०] 1 घोरा ।-फबीर सा०,१०४३ जीको- स हित जिसका । उ०-ताहि जतावत मरम हिये जीता-वि० [हि. जीना ] [ वि०सी• जीती] १ जीवित । जो को निपट मन मिली जीको ।-घनानद, पू०४६४ । भरा न हो । २ तोल या नाप में ठीक से कुछ बढा हुमा । जैसे-जरा जीता तोलो । जीगन -सहा पुं० [सं० ज्योतिरिक्षण, देशी जोइगण, हि० जीगन] दे० 'जुगनू'। 30-विरह जरी लखि जीगननु कहो न उहि जीतालू----या पुं० [सं० मालु ] प्रारारोट । के बार। परी पाठ भजि भीतरी बरसतु भाज अंगार। जीता मोहा-सदा पुं० [हिं० जीना मोहा ] घुचक | मैफतानीस । -बिहारी (शब्द०)। जीति-समाग्री० [ देश• ] एक लता का नाम । जीगा-सधा पुं० [फा० जीग्रह.] १ तुर्रा । सिरपेच । फलेंगी । २ विशेष- यह जमुना किनारे से नेपाल तक तया प्रवध, विहार पगडी में बांधने का एक रलजटित प्राभूषण (को०)। ३ । पौर छोटा नागपूर मे होती है । इसके रेशो बहुत मजबूत होते है कोलाहल । शोर (को०) । भोर रस्सी बनाने के काम पाते हैं। इन रेगों को टोगुस वाहते जीजा-सहा पुं० [हिं० जीजी ] वसी बहिन का पति । बडा बहनोई । है। इन रेशो से धनुष की ढोरी यनती है। जीजी-सक्षा ली [सं० देवी, हिं० देई, प्रा. दीदी अथवा देश (बडा जीति-सहा स्त्री० [सं०] १ विजय ! उ०-जीति उठि जागी वहिन) उ.-कीजै कहा जीजी जू 1 सुमित्रा परि पायें है मजीत पर पूतनि की, सूप दुरजोपन की भीति उठि जाएगी। तुलसी सहावै विधि सोई सहियतु है।-तुलसी (शब्द०)। -रत्नाकर, भा० २. पृ० १४२ । २.दाय । हानि (को०)। ३. जीजूराना-सक्षा पुं० [देश॰] एक चिहिया का नाम । हास की अवस्था । वृद्धावस्था (को०)। जीटी-सहा स्री० [हिं०] डीग । लवी चोटी बात । जीनसमा पु० [फा. जीन] १ घोरे की पीठ पर रखने की मुहा०-जीट उडाना=ढीग हाफना उ०--अपनी तहसीलदारी गद्दी । पारजामा । फाठी। की ऐसी जीट उहाई कि रानी जी मुग्ध हो गई।-काया, यो०-जीनपोश। पु०५८ 1 जीट मारना= दे० 'गप मारना'। २. पलान । काजावा। ३ एक प्रकार का पहत मोटा सूती कपड़ा। जी -सहा पुं० [सं० जीवन] जीवन । उ०- सरसति सामणा तू जीन-वि० [सं०] १ जीएं। पुराना । मर्जर । कटा फटा। जग जीण । हंस बढ़ी लटकाचे वीण। -वी०, रासो, पृ० ४।। २ वृद्ध । ३ क्षीण (को०)। जीत-सहा स्त्री० [सं० जिति, वैदिक जीति ] १ युद्ध या सहाई में जीन-सा पु० चमटे का थैला [को० ॥ विपक्षी के विरुद्ध सफलता । जय । विजय । फतह । जीनत-सपा सी० [अ० जीनत] १ घोमा। छथि । खूबसूरती। कि०प्र०-होना। २. सजावट। शृगार। २ किसी ऐसे कार्य में सफलता जिसमें दो या अधिक विरुद्ध मि०प्र०---देना = शोभा देना |-----दस्शना = शोभा या सौंदर्य पक्ष हो 1 जैसे, मुकदमे मे जीत, खेल मे जीत, बाजी में बढ़ाना। बीत । ३ लाभ । फायदा । जैसे,—तुम्हारी तो हर तरह जीनपोश-सम्मा पुं० [फा० जीनपोश लोन के ऊपर ढफने का फपहा । से जीत है, इघर से भी, उधर से भी। काठी का ढंकना। जोत-सचा त्री० [१] जहाज में पाल का बुताम ।-( लश)। . जीनसवारी-सहा सी० [फा० जीन+ सवारी] घोटे पर जीन रखकर जीत-सक्षा स्त्री० [हिं०] दे० 'जीति' । चढ़ने का कार्य । जैसे,—यह घोडा जीनसवारी में रहता है। जीवनहार-वि० [हिं० जोतना+हार (प्रत्य॰)] जीतनेवाला । विजय जीनसाज-सफा ५० [फा० जीनसाज ] जीन बनानेवाला कारीगर करनेवाला। उ०--क्यो न फिरें सब जगत मे करत दिग्बिजे पारजामा बनानेवाला। मार । जाके ग सामत हैं कुवलय जीतनहार । -मतिक जीना-कि० स० [म. जीवन] १ जीवित रहना । सजीव रहना। म०, पृ० ३६६ । जिंदा रहन्ग । न मरना । जैसे,—यह घोदा अमी मरा नहीं है जीसना-क्रि० स० [हिं० जोत+ना (प्रत्य॰)] १ युद्ध या जीता है। (ख) वह प्रमी बहुत दिन जीएगा। 30-अरविंद लड़ाई में विपक्षी के विरुद्ध सफलता प्राप्त करना । शत्रु फो सो मानन रूप मरद अनादित लोचन भृग पिए। मन मों न हराना। विजय प्राप्त करना । जैसे, लडाई जीतना, शत्रु को बस्मो ऐसो बालक जो तुलमी जग में फल फोन जिए ?- जोतना । उ०—रिपु रन जीति सुजस सुर गावत । सीता तुलसी (शब्द०)। पनुज सहित प्रभु मावत 1-मानस ७।२। २ किसी ऐसे कार्य में सफलता प्राप्त करना जिसमे दो या दो से अधिक संयो०क्रि०-उठना 1----जाना। परस्पर विरुद्ध पक्ष हो । जैसे, मुकदमा जीतना, खेल मे जीतना, २. जीवन के दिन बिताना। जिंदगी काटना । जैसे,—ऐसे बाजी जीतना, जुए में रुपया जीतना । जीने से तो मरना अच्छा। जीव -सहा पुं० [सं० जीवितव्य ] जीवन ! जीवित रहना । मुहा० - जोना भारी हो जाना = जीवन कष्टमय हो जाना । जीवन