पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१२९

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जीवित जुपाचोर . _गया हो (को०)। १३ सजीव या सप्राण किया हुमा (को०)। जुंगितर- वि० नीच जाति का व्यक्ति । चाहाल [को०] | .. ४ वर्तमान उपस्थित (को०) 1 । । जुंडी-सवा नौ हिं० ] दे० 'जुन्हरी', 'ज्वार'। जीवित-- ससा पुं०१ जीवन । प्रारधारण। जुंदर-सचा पु [?] बदर का बच्चा (कलवरो को बोली)! ., यौ०-जोवितेश। , - - , जुबा-वि० [फा० जुबाँ ] कपायमान । हिलता हुप्रा (को॰] । -- २. जीवन अवधि । प्रायु (को०)। ३ जीविका । रोजी (को०)। जुविश–सचा स्त्री॰ [ फा० जु यिश ] चाल । गति । हरकत । हिलना ४.प्राणी (को०)।, - - , -- डोलना। - - ------- जीवितकाल-सा पुं० [स०] जीवनकाल । जीवित रहने का समय ! , मुहा०-जुनिश खाना = हिलना गेलना ।। । -: - आयु [को०] । . . .-, : जुआँ --सबा पुं० [सं० यूका ] दे० 'जू": : - जीवितज्ञा-सचा स्त्री॰ [ स०] धमनी [को॰] ।, .. जॅई-सा स्त्री॰ [हिं०] दे० 'जुई'। । । जीवितनाथ -सचा पुं० [ स० ] पति [को०] - जॅवली-सञ्चा ली. [ हि० दुवा] एक प्रकार की पहाड़ी भेड। । " जीवितव्य-वि० [सं०] जीवित रहने या रखने योग्य (को०)। जु -वि० [हिं०] दे॰ 'जो'। उ० करत लाल मनुहारि पेतून जीवितव्य-सञ्ज्ञा पुं० [से०] १ जीवन । २ जीवित रहने की - लखति इहि मोर। ऐसो उर जु कठोर वो उचितहि उरख . सभावना। ३ पुनर्जीवित होने की सभावना। -- कठोर । --मति० प्र०,०४०८। . , .. जीवितव्यय-सच्चा ई० [0] जीवनोत्सगं । जीवन की माहुति [को०)। जु -सञ्ज्ञा पुं० [हिं० जू ] दे० 'जू। '. जीवितसंशय-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] जान का खतरा [को०] ' जुअती-सच्चा स्त्री॰ [ सं० युवती ] दे० 'युवती'। जीवितक-सञ्ज्ञा पुं॰ [ मै० जीवितान्तक ] शिव । शफर । महा- जुअल -वि० [सं० युगल, प्रा० जुपल } दे० 'युगल'। उ०–एम 'देव को०] । .. कोप्पिन सुनिम सुल्तान, रोमञ्चिा मुमा जुमम ।-कोति., जीवितेश-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ प्राणनाथ। प्यारा व्यक्ति । प्राणो से .. बढ़कर प्रिय व्यक्ति । २ यमराज । ३ इद्र । ४ सूर्य । ५ जुआ - ससा पुं० [सं० यूका, प्रा० जूमा ] [ सी० पल्पा० जुई ] एक देह में स्थित इडा पौर पिंगला नाडी। ६. एक जीवनदायिनी छोटा कीडा जो मैलेपन के कारण सिर के बालों में पड़ जाता . मोपधि जो मृतक को जीवित करनेवाली कही गई है (को०)। हैं । । ढील । जीवितेश्वर--संहा पुं० [सं०] शिव । महादेव [को०] । जुमारी'-सज्ञा स्त्री० [हिं० जुना ] जुना । छोटी जुमा। जीवी-वि० [म० जीविन] १. जीनेवाला । प्रारधारक। २ जीविका जुनारी-मज्ञा स्त्री० [हिं० ] दे० 'ज्वार'। ' करनेवाला । जैसे,-श्रमजीवी। शस्त्रजीवी। - जुआ-सञ्ज्ञा पुं० [सं० द्यूत, पा० जूत ] वह खेल जिसमें जीतनेवाले विशेष-सामान्यतया इसका प्रयोग समस्त पदो के मत में होता । को हारनेवाले से कुछ धन मिलता है। रुपए पैसे की बाजी - है। जैसे, बुद्धिजीवी। .. लगाकर खेला जानेवाला खेल । किसी घटना की संभावना जीवधन-सक्षा पुं० [स. जीवेन्धन] जलती हुई लकडी या इंधन [को०] । पर हार जीत को खेल। द्यूत । उ०-प्राछो जनम प्रकारय जीवेश-सचा पुं० [सं०] परमात्मा । ईश्वर।। गायो। करी न प्रीति कमललोचन सों जन्म जुमा ज्यो हारयो जीवोपाधि-सध्या स्त्री० [सं०] स्वप्न, सुषुप्ति पौर जाग्रत इन तीनो -सूर (शब्द०)। अवस्यामों को जीव की उपाधि कहते हैं। विशेष-जुमा कौडी, पासे, ताश मादि कई वस्तुषों से खेला 'जीव्य-मज्ञा पुं० [सं०] जीवन (को०)। । " जाता है पर भारत में कौडियों से खेलने का प्रचार भाजकल जीव्या-सपा नी[सं०] जीवनोपाय । जीविका [को०] । विशेष है । इसमें चित्ती कीडियो को लेकर फेकते हैं और चित्त जीत-समा स्त्री॰ [फा० जीत जिदगी । जीवन । उ०—जीस्ते पडी हुई कौड़ियो की संख्या के अनुसार दांवों की हार जीत मानते हैं। सोलह चित्ती कौडियो से जो जुमा खेला जाता है , नहीं है सरासर, बस सरगरदानी वह है। -भारतेदु म., ..भा०२, पृ०.५६९।. . तसे सोरही कहते हैं। . . .... क्रि० प्र०-खेलना ।-जीतना। हारना । होना। जोहमशा सी० [ हिं• जीम, सं० जिह्वा] जीभ । जवान । उ.- (क) जन मन मजु कंजु मधुकर से ।, जीव जसोमति हर जुत्रा'-सहा पुं० [सं० युज ( = जोड़ना)] १ गाड़ी, छकड़े, हल प्रादि महिलघर से ।—तुलसी (शब्द) । (ख) राम नाम मनि दीप घर की वह लकड़ी जो बैलो के.कधे पर रहती है। २ जाते की जीह देहरी द्वार. तलसी भीतर बाहरी जो चाहसि उजियार। . चक्की या मूठ। 1 -तुलसी (पाब्द०)। (ग) नाम जोह ,जपि जागहि जोगी। जुमा-सका पुं० [हि० जुवा ] दे० 'युवा' ।, उ.-बाल वृद्ध जुमा तुलसी (शब्द०)। नर नारिन की, एक सग।प्रेमघन॰, भा॰ १. पु. ८६।। जोहिल-मझा औ० [हि: जीह ] ३० 'जीह। ... - . जुमाखाना-सक्षा पुं० [हिं० जुधा+फा० खाना ] वह स्थान जहाँ जुग-मसा पुं० [सं० जुङ्ग ] वृद्धदारक वृक्ष । विधारा। जुमा खेला जाता हो । जुपा खेलने का अड्डा । - जंगित'-सदा पुं० [ सं० जुङ्गित ] परित्यक्त । बहिष्कृत [को०। जुआचोरपा पुं० [हिं० जुमा+चोर] १. वह जुमारी जो अपना 8