पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१३२

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जुज-मव्य० [फा० जुज]-1 को छोड़कर । के सिवा । बिना। - परस्पर मिली हुई वस्तुएँ। एक साथ के दो मादमी या वस्तु । बगैर को। जोगे । जुग । २. एक साथ,बंधी या, लगी हुई वस्तुमो का जुजदान–सा पुं० [अ० जुज + फा० दान ] बस्ता। वह थैला - - समूह । लाट योक । ३. गुट । मंडली। जत्या। दल । ४. , जिसमे लड़के पुस्तकें मादि रखते हैं। । .. ऐसे दो मनुष्य जिनमे खूब मेल हो। जैसे,-उन दोनों की जुजवदी-सचा त्री० [अ० जुज + फ़ा वदी ] किताब की सिलाई एक जुट हैं । ५. जोड़ का भादमी या वस्तु। .. • जिसमें माठ माठ वा सोलह सौलह पन्ने एक साथ सिए जुटक-सना पु० [सं०] १ जटा । २. गुयी। चोटी । जूठा [को०] 1. जाते हैं। जुटना--क्रि० प्र० [सं० युक्त,प्रा० जुत्त+ना (प्रत्य०) या/सं० जुट कि०प्र०-करना। बना] १ दो या अधिक वस्तुओं का परस्पर इस प्रकार जुजरस-वि० [म. जुजरस ] १. सूक्ष्मदर्शी। तीव्र- बुद्धिवाला। मिना कि एक का कोई पावं या मग दूसरे के किसी '२ मितव्ययी । ३. कजूस । कृपण [को०] । ' पावं था अग के साथ दृढ़तापूर्वक लगा रहे। एक वस्तु जुजरसी-सद्या स्त्री० [ म० जुजरसी] १. सूक्ष्मदशिता ! २. मित- का दूसरी वस्तु के साथ इस प्रकार सटना कि बिना व्ययिता [को०।. . , प्रयास या प्राघात के अलग न हो सके। दो वस्तुभो का जुज व कुल-मज्ञा पुं० [अ० जुड़ व फुल ] पश पौर सपूर्ण। बंधने, चिपकने, सिनने या जड़ने के कारण परस्पर मिसकर . सपूर्ण । कुल [को०] । ' एक होना । सवद्ध होना। सश्लिट होना। जुटना । जैसे,- इस खिलौने का ट्टा सिर गोंद से नहीं जुटता, गिर गिर -वि०म० जुज्वी ] १ बहुत में से कोई एक बहुत कम । कुछ थोड़े से। २. वहुत छोटे प्रश का । जैसे, जुजवी पडता है। . हिस्सेदार। ' संयो० कि०-जाना। । जुजाम-सा पुं० [अ० जज्ञाम ]. कुष्ठ रोग । कोढ़ । उ०—फिल . विशेष-मिलकर एक रूप हो जानेवाले द्रव या चूर्ण पदायाँ फोर हुमा है उसको जुजाम । जीते से किया उसको नाकाम । के सवध मे इस क्रिया का प्रयोग नहीं होता। -दक्खिनी०, पृ० २२६ । . २ एक वस्तु का दूसरी वस्तु के इतने पास, होना कि दोनों के जजीठल -सधा पुं० [सं० युधिष्ठिर ] राजा युधिष्ठिर। , बीच अवकाश न रहे। दो वस्तुओं का परस्पर इतने निकट (हिं.)। होना कि एक का कोई पापर्व दूसरे के किसी पार्श्व से टू जुझg+-सचा बी० [सं० युद्ध,-'प्रा. जुज्झ ] युद्ध । लडाई । जाय । भिडना । सटना । लगा रहना । जैसे,-मेज इस प्रकार उ.-छमा तरवार से जगत को बसि करे, प्रम की जुज्म रखो कि चारपाई से जुटी न रहे । ३. लिपटना। चिमटना । मैदान होई।-पलटू, भा०२, पृ० १५। गुथना । जैसे-दोनों एक दूमरे से जुटे हुए खूब लात घूसे चला जुममानाg+-क्रि० स० [हिं० जुझाना ] १ लखने के लिये रहे हैं। ४ संभोग करना। प्रसग करना। ५ एक ही प्रोत्साहित करना । लडा देना । २ लडाकर मरवा डालना। " स्थान पर कई वस्तुनो या व्यक्तियों का भाना या होना । जुझाऊ-वि० [हिं० जुझ, जूझ+श्राऊ (प्रत्य॰)] १ युद्ध का । एकत्र होना। इकट्ठा होना । जमा होना । जैसे,-भीड़ युद्ध संबंधी। जिसका व्यवहार रणक्षेत्र मे हो। लडाई में जुटना, आदमियो का जुटना, सामान जुटना । ६. किसी कार्य काम मानेवाला । उ-बाजे बिहद जुझाक बाजै। निरस ' में योग देने के लिये उपस्थित होना। जैसे,-आप निश्चित मंग तुरग गज गाजै ।-हम्मीर०, पु०५१, २ युद्ध के रहें, हम मौके पर जुट जायेंगे। ७ किसी कार्य में जी जान लिये उत्साहित करनेवाला । जैसे, जुझारु बाजा, जुझाक " से लगा। प्रवृत्त होना । तत्पर होना। जैसे,-ये जिस काम राग। उ०-चाहिं ढोज, निसान जुमाऊ। सुनि सुनि फे पीछे जुटते हैं उसे कर ही के छोडते हैं। ८ एकमत होय भदन मन चाक ।—तुलसी (शब्द॰) होना । मभिसधि करना । जैसे,--दोनों ने जुटकर यह उपद्रव । । खडा किया है। । । । । । - जुझाना-क्रि० स० [सं० युद्ध, प्रा० जुज्म ] १ लड़ा देना । युद्ध के लिये प्रेरित करना । २ युद्ध में मरवा डालना। जुटली--वि० [सं० फूट ] जूडेवाला । जिसे लवे लवे बालों की जुझार -वि० [हिं० जुज्झ + पार (प्रत्यं०).] लहाका। - लट हो। उ०-सखी री नदनंदनु देखु । धुरि धूसर जटा , गुलाए हर प सरमा। वीर चौकरा । बहादर । १०-सफल सरासर र पाब्द०)। . , जुरहिं जुझारा। रामहि समर को जीतनहारा । तुलसी जुटाना-नि० स० [हिं०, जुटना ] १. दो या अधिक वस्तुओं को (शब्द०)। .-- - . -. " परस्पर इस प्रकार मिनाना कि, एक का कोई पावं या भग जुझावर-वि० [हिं० नु+पावर ( प्रत्य)] जुझानेवाला । दूसरे के किसी पपर्व या धग पो साथ दृढ़तापूर्वक लगा रहे.. - उ-जह बजे जुझावर वाजा, सब कार उठि उठि भाजा। जाडना । । । । । - -फबीर शु०, भा०३, पृ०२०।- संयो० क्रि०-देना। । ।। - .. जुट-सचा श्री० [सं० युक्त, प्रा० जुत्त मथवा स०V जुट ?..] १. यो ।।२ एक वस्तु को दूसरी के इतने पास करना कि एक का' कोई