पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१३४

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जुबान जुतवाना जुतबाना-क्रि० स० [हिं० जोतना] १. दूसरे से जोड़ने का काम करवाना। दूसरे से हल चलवाना । जैसे, जमीन जुतवाना, खेत जुतवाना। संयो० क्रि०-देना। २ बैल, घोड़े मादि को गाडी, हल प्रादि में खींचने के लिये लगवाना । नधवाना। विशेप-इस क्रिया का प्रयोग जो पशु जोते जाते हैं तथा जिस वस्तु मे जोते जाते हैं, दोनों के लिये होता है। जैसे, घोडे जुतवाना, गाड़ी जुतवाना। संयो० कि०-देना। जुताई-सबा खी• [हिं॰] दे॰ 'जोताई। जुताना-क्रि० स० [हिं० ] दे० 'जोताना'। जतियाना-क्रि० स० [हिं० जूता से नामिक पात] १. जूता मारना। जुतो से मारना। वे लगाना। २. मत्यत निरावर करना। अपमानित करना। जतियोथल-सक्षा श्री० [हिं० जतियाना+ौवल । प्रत्य) परस्पर जूतों की मार। क्रि०प्र०-होना। जुत्थ -सया पुं० [सं० यूथ ] दे॰ 'यूय । जुथौली-सपा स्रो• [ देश० ] एक छोटी पिडिया। विशेष-इसकी छाती भौर गरदन का कुछ अंश सफेद पोर बाकी भूरा होता है। जुदा-वि० [फा०] [ औ० जुदी] १ पृथक् । प्रनग! क्रि० प्र०-करना ।—होना । मुहा०-जुदा करना- नौकरी से छुड़ाना । काम से अलग करना २भिन्न । निराला। ३ मन्य । दूसरा (को०)। ४ विरही। विरहग्रस्त (को०)। जुदाई-सधा सी० [फा०] विछोह। वियोग। दो व्यक्तियों का एक दूसरे से अलग होने का भाव । विरह । क्रि० प्र०-होना। जुदागाना-क्रि० वि० [फा० जुदागानह.] अलग अलग। पृथक पृथक् । उ.-हर मुल्क की चाल चलन, लिवास, पोशाक पौर रस्मो रिवाज जुदागाना होता है। -प्रेमघन, भा०२, पृ० १५७ ।। जुदी-वि० सी० [फा० जुदी ] दे० 'जुदा'। जुद्ध- सदा पुं० [सं० युद्ध] दे० 'युद्ध' 1 30-साहव दी सुरतना माह गज जुद्ध निरष्पिय ।-पु. रा०, १९ । १०२ जध -सया पुं० [सं० युद्ध दे० 'युद्ध'। 30-हौं ब्रह्म राय जुष करन जोग । जुध माजि जाट तो परै सोग।-पू० रा., १४४५। जुधवान -सम पु० [सं० युद्ध+हिं• वान (प्रत्य॰)] योद्धा । युद्ध करनेवाला व्यक्ति । जुनवीgf-सा श्री० [अ० जनव ] जनब नगर की निर्मित तलवार। 10-गि जोर जुन फहरत फन्चे सुंडनि गन्नै फर पाद ।-पाकर प्र० पू०२७ । -- जुना-वि० [हिं० जूना ] दे॰ 'जीणं' । उ०—जो जुने थिगले सिया है इस बजा। कुछ प्रजब तेरी कदर है भी कजा। -दक्खिनी०, पृ. १७५। जुनारदार-वि० [प्र. जुन्नार+फा० दार] १ ब्राह्मण। २. जनेऊ धारण करनेवाला। उ०—केसोवास मारू मरि हरम कमठ कटी जैन खां जुनारदार मारे इक नोर के।-अकबरी. पृ० ११६ । जुनिपर -सका पं० [अ०] एक प्रकार का प्रप्रेजी फूल जो कई रगों फा होता है। सुन-सधा [40] दे० 'जुनून'। उ०-जजीर जुनू कठीन पड़ियो। दीवाने का पांव दरमिया है। -प्रेमघन, भा॰ २, पु०४०६। जुनून-सा पुं० [40] पागलपन । सनक । झक । उन्माद । जुन्नी-वि .] विक्षिप्त । सनकी । उन्मत्त [को०] । जुनूब-सा पुं० [म.जनूव ] दक्षिण । दक्खिन [को०] । जुन्नार-सक्षा पुं० [१०] यज्ञोपवीत । बनेऊ । उ.-चा तजरवये तसबीहो जुन्नार झुका ।-कबीर म०, पृ० ४६८।। जुन्हरो-सञ्ज्ञा श्री० [सं० यवनाल ] ज्वार नाम का मन्न । जुन्हाई-समा [सं. ज्योत्स्ना, प्रा. जोन्हा ] १. चाँदनी । चद्रिका । उ०-सुमन बास स्फुटत कुसुम निकर तैसी है शरद जैसी रेन जुन्हाई !-अकबरी०, पृ० ११२ । २ चद्रमा । । जुन्दारी-सक्षा स्त्री॰ [ सं० यवनाल ] ज्वार नाम का मन्न । जुन्हैया–समा श्री[ सं० ज्योत्स्ना, प्रा. जोन्हा, हिं. जोन्ही ऐया (प्रत्य॰)] १ चाँदनी। चद्रिका । चद्रमा का उजाला। २. चद्रमा । उ०प्रहित मनेसो ऐसो कौन उपहास याते सोचन खरी मैं परी जोवति जुन्हैया को।-पद्माकर (शब्द०) जुफ्त-सचा पुं० [फा० जुफ्त] १ युग्म । जोड़ा। २ सम संख्या जो दो से बट जाय । ३ जूता [को०] । जुबक -सञ्ज्ञा पुं० [सं० युवक ] दे० 'युवक'। उ०-प्रात समय नित न्हाय जुबक जोधा जित भाए।-प्रेमघन, भा० १, पृ. २३। जुबति -सद्धा बी० [हिं०] दे० 'युवति'11.-प्रवलि निम्न जातीय जुवति जन जुरि जहँ जाहीं।-प्रेमघन॰, पृ० ४८ । जुबन -सज्ञा पुं० [सं० यौवन ] दे० 'यौवन'110-जुवन रूप संग सोभा पावै। सोह कुरूप संग बदन दुरावै ।-नद० ग्र०, पु.११७। जुबराज -सहा पुं० [सं० युवराज] दे० 'युवराज'। जुबली-मया सी० [म. या इबरानी योवल ] किसी महत्वपूर्ण घटना का स्मारक महोत्सव । जश्न । बड़ा जलसा । जबा -सचा पुं० [स० यूवन 1 युवावस्था। उ०-बानपना भोले गयो, मोर जुवा महमत ।-कबीर सा., पृ०७६ । जुवाद -सहा [म. जबाद] एक प्रकार का गधद्रव्य जो गध- - मारि से निकाला जाता है [को०] । जुबान-सका सी० [फा० जबान 1दे० 'जवान'।