पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१३५

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जबानो जुरामा जुबानी-वि० [फा० जवानी] दे० 'जवानी'। जुमेराती-वि० [प्र. जुममरात+फा० ई ( प्रत्य० )] जो पीरात जुव्वन-सज्ञा पुं० [सं० यौवन, प्रा० जुत्वणी दे० 'यौवन को पेदा हुआ हो । 30.--जुधन क्यों वसि होई छक्क मैमत की। -सु दर प्र०, विशेप-मुसलमानों में इस प्रकार के नाम जुमेरात को पैदा बच्चों भा०१, पृ० ३६३ । के रखे जाते हैं। जुवा-संवा पुं० [म. जुब्बह ] फकीरो का एक प्रकार का लबा जुम्मा'-संज्ञा पुं० [अ० जुमम ] दे० 'जुमा'। पहनावा। मुश्वा । लवा अंगरखा। घोगा। उ०--जो एक जम्मा२-सज्ञा जिम्महजिम्मा'। सोजन कु लामो होर तागा। सियो मेरे जुब्बे में यक दो जुम्मा-वि०म० जमप्र ] कृल । सबै । संपूर्ण । टोका। -दक्खिनी०, पृ० ११५। मुहा०---जम्मा जुम्मा आठ दिन - (१) थोड़े दिन। कुछ दिन। जमकना-क्रि० प्र० [हिं० जमना] १ जमकर खड़ा होना । प्रडना। चंदरोज । (२) कुल मिलाकर पाठ दिन । कुल मिलाकर इने २ एकत्र होना । जोम में माना। ३०---जीतत जुमकि पौन गिने दिन । मग सगनि।-पाकर मं०, पृ०६। जुयांग-सचा पुं० [ देश०] एक प्रकार को जंगली जाति । जुमना-सचा पु० [ देश० ] खेत में पास या खाद देने का एक ढग विशेप-इस जाति के लोग सिंहभूमि के दक्षिण उड़ीसा में पाए जिसके अनुसार कटी हुई झाड़ियों और पेड़ पौधों को खेत में जाते हैं और कोलों से मिलते जुलते होते हैं। विछाकर जला देते हैं और बची हुई राख को मिट्टी में मिला जुर@-संशा दे० [सं० ज्वर ] दे॰ 'ज्वर' 130-अपने कर जु चिरह जुर ताते । मठि झुरि पाहि रति तिय याते ।-नंद. जुमनारा२---कि०म०प० डोम] जोश में थाना । मदना । 30- प्र०, १० १३२। ज्वानी जुमी जमाल सूरति देखिप पिर नाहिये।-रेवानी, पु० ३२। जुरबत-सचा स्त्री०म० जुर्मत] साहस । हिम्मत । हिपाव । पचहा। जुरझरी-सक्षा स्त्री० [स० ज्वर या जूति+हि. झरझराना ] १. जुमला'-वि० [अ० जुम्लहू ] सब । कुल । सबफे सव। हलकी गरमी जो ज्वर के मादि में जान पड़ती है। ज्वराय । जुमला'मा पुं०१ वह पूरा वाक्य जिससे पूरा अर्थ निकलता हरारत।२ ज्वर के पादि को फंपकंपी। शीत कप । हो। २. जोड (को०)। जुमहूर-मचा पुं० [अ० जुम्हर] जनता। जनसाधारण जरनाT-कि० स० [हि जुड़ना ] दे॰ 'जुड़ना' । उ.-(फ) पांव रोपि रहे रण माहि रजपूत कोऊ हुप गज गाजत जुरत सर्वसाधारण को । जहां दख है। -सुदर ग्रं, भा॰ २, पृ०१०८। (ख) ग जमहरियत-[म. जुम्हूरियत गएतत्र । जनतंत्र । प्रजातन्त्र [को०] । परमात टूटत कुटुम जुरत चतुर धित प्रीति । परति गठि जुमहूरी-वि० [अ० जुम्हूर+फा०ई (प्रत्य॰)] सार्वजनीन । दुरजन हिप दई नई यह रीति |~विहारी (शब्द०)। लोकसंचालित (को०) जुरबाना--सक्षा पुं० [हिं० जुरमाना ] दे० 'जुरमाना। जुमहरी सरसनत-संशा खो० [म. जुम्हर+फा०ई (प्रत्य०)+4.] जुरमाना-सचा पुं० [अ० जुमं, फा. जुर्मानहू ] अर्थदह । धनवट । सल्तनत गणतंत्र राज्य। अनवत्र शासन। प्रजात राष्ट्र [को०] । यह दर जिसके अनुसार अपराधी को कुछ धन देना पड़े। जुमा-संघा पुं० [अ० जुमम ] शुक्रवार । क्रि०प्र०—करना ।-वेवा।-ना-सगना ।- होना। यौ०-जुमा मसजिद । जरर -सधा पुं० [हि. जुर्रा ] दे० 'जुरी' 1 30---जुरर बाज वह जुमा मसजिद-सचा त्री० [प० जुमय मस्विव] वह मसजिद जिसमें कुही फुहेल ।-५० रासो, १०, पृ०१८ । जमा होकर मूसलमान लोग शुक्रवार के दिन दोपहर की Hntofo जर्ग 11 नमान पढ़ते हैं। तीतर घटेर । पेलत सरित सर यह पवेर।-पु० रा०, १६ । जुमिन-संथा पु० एक प्रकार का घोड़ा । उ०-गुर्रा गुठ जुमिल जुराना+-क्रि प्र० दे० 'जुड़ाना'। उ०-कत पौफ सीमंत को दरियाई ।---रघुनाथ ( शब्द०)। बैठी गांठ जुराइ । पेखि परोसी कों, पिया घुघुट में मुसिक्या। सुमिला -वि० [अ० जुम्लह ] सव ! समस्त । संपूर्ण । १०-- --मति , पु०४४४। मिला के थितिपाल । -भूषण प्र० पू० ५२ जुराना२ -क्रि० सं० [हिं०] दे० 'जुताना' । जमिल्ला-सहा ] वह खूटा जो लपेटन की वाई पोर गड़ा जराफा-सदा पुं० [म. जिराफ़] प्रफरीका का एक जंगली पशु । रहता है और जिसमें लपेटन लगी रहती है। (जुलाहों की विशेष-इससे बुर धैल से, at और मर्दन ऊंट की सी बोली)। लयी, सिर हिरन का सा, पर बहुत छोटे छोटे पौर पूछ जुमुकना-कि० म० [सं० यमक ] १ निकट पा जाना । प.स मा गाय की सी होती है। इसके चमड़े का रंग नारंगी जाना । २ जुड़ना । इकट्टा होना । का सा होता है जिसपर बड़े बड़े काले धन्चे होते हैं। जुमेरात-सा स्त्री म. जुमपूरात] वृहस्पतिवार । गुरुवार । वीफै। संसार भर में सबसे ऊंचा पशु यही है। १५ या १६.