पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१३७

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जुलाई १७८३ जुवा ब्रह्मा ने ठाना । जुलहा भूल गया अभिमाना। कबीर सा०, जुल्फ-समा खौ० [फा० जुल्फ़ ] सिर के वे लवे बाल जो पौधे की पृ०८१४ ___ ओर लटकते हैं । पट्टा । कुल्ले । जुलाई-सक्षा श्री० [१०] एक अगरेजी महीना जो बेठ या अपाढ़ जुल्फी-सहा श्री० [फा० जुल्फ ] जुल्फ । पट्टा । मे पडता है । यह अंगरेजी का सातवाँ महीना है और ३१ जल्म-मया पुं० [प्र. जमवि० जुल्मी १ अत्याचार । दिनो का होता है। इस मास की १३वी या १४वी तारीख को पन्याय । पनौति । जबरदस्ती। प्रमेर। कर्क की सक्राति पडती है । क्रि०प्र० करना ।-होना। जलाव-- [भ० जुल्लाव, फ़ा. जुलाव ] १ रेचन । दस्त। यो०-जुल्मदोस्त-प्रत्याचार पसद फरनेवाला। जुल्मपसद%3D कि०प्र०--लगना। अत्याचारी। जुल्मरसीदा: अत्याचार पीडित । जुल्मोसितम- २ रेचक औषय । दस्त लानेवासी दवा। अत्याचार। क्रि० प्र०-देना। -लेना: मुहा०-जुल्म टूटना=माफत मा पड़ना। जुल्म ढाना-(१) मुहा०-जलाव पचना=किसी दस्त लानेवाली दवा का दस्त न प्रत्याचार करना । (२) कोई मदत काम करना । जुल्म- लाना वरन पच जाना जिससे अनेक दोप उत्पन्न होते हैं। तोड़ना=अत्याचार करमा। विशेष-विद्वानो का मत है कि यह शब्द वास्तव में फ्रा. ३ माफत । गुलाव से भरवी साँचे में ढालकर बना लिया गया है। गुलाव जुल्मत-सहा स्त्री० [प्र. जुल्मत ] प्रकार की कालिमा । अंधेरा। दस्तावर दवायो में से है। मधकार । उ०-इस हिंद से सब दूर हुई कुफ की जुल्मत । -भारतेंदु पं०, भा० १, पृ० ५३० । जुलाल - वि० [१०] मीठा पानी। स्वच्छ पानी। नियरा हुआ जल । १०-के डोने में तू है पौ फूलो की फाल । यो कसे जुल्मात-सद्या पुं० [अ० जुल्मात ] [ जुल्मत का वहुव०] १. में जू है पाये जुलाल ।-दक्खिनी०, पृ० १५० । गंभीर मंधेरा। उ०-दूम्या जाके मगरिव के जुल्मात में। लगे दीपने ज्यों विवे रात में 1--दक्खिनी० पू०८३ । २ वह जुलाहा-मक्षा ए० [फा० जौलाह] १ कपडा बुननेवाला । ततुवाय । घोर प्रधकार जो मिकदर को भमृतकुड तक पहुंचने मे पहा ततुकार। था (को०)। विशेष-भारतवयं में जुलाहे कहलानेवाले मुसलमान हैं। हिंदू ह जुल्मी-वि० [अ० जुल्म+फा० ई (प्रत्य० ) ] अत्याचारी । सी कपड़ा वुननेवाले कोली आदि भिन्न भिन्न नागो से पुकारे जुल्लाव-मसा [म. जुलाब,] १ रेचन । दस्त । जाते हैं। क्रि० प्र०—लगना। मुहा०-जुलाहे का तीर=भूठी बात। जुलाहे की सी दाढ़ी- २ रेचक मोषध। पि० दे० 'जुलाब'। छोटी या नोकदार दाढ़ी। कि०प्र०-देना। -लेना। २ पानी पर तेरनेवाली एक पीडा। ३ एक बरसाती कोड़ा। जुच -सपा ० [हिं० ] दे॰ 'युवक' । उ०- बाहर से फगुहार जिसका शरीर गावदुम मौर मुंह मटर की तरह गोल होता है। जुरे जुब जन रस राते ।-प्रेमघन०, मा० १, पू० ३८३ । जुलित-वि० सं० ज्वलित ] जलता हुभा। उ०-जुलित पावक जव -सग औ• [हिं॰] दे० 'युवती' । उ०-परम मधुर मादक तेज लोचन भारी । सके दिए को देव दान सहारी।--पु. सुनाद जिहि बन जुव मोही ।-नद०, ग्र०, पृ.४० । रा., १०११३८ । जुलुफा-सा श्री० [हिं० जुल्फ] दे० 'जुल्फ' । उ०-जुलुफ जुक्तालमा बास युवती १० युवती'-मने फार्थ, पु.१०४। निसैनी पे चढे हग धर पलक पाइ।-स० सप्तक, पृ० १५५ जुवराज्ञ --या पुं० [ मे० युवराज] दे॰ 'युवराज'। उ०-जाह पुकारे ते सव बन उजार युवराज । सुनि सुयोव हरप कपि जुलुफी-सहा बी० [हिं० जुल्फ ] दे० 'जुल्फ' । करि पाए प्रनु काज !--मानस, श२८ ।। जुलुमो-सया पुं० [हिं० जुल्म ] दे॰ 'जुल्म'। उ०—जोर जुलुम जवा -सश पुं० [सं० चूत, हिं जुपा] ६० 'जुमा' 130-जुवा प्रकस मा तोहिं कहो को बचावे |--गुलाल०, पृ० ११७ । खेल खेलन गई जोषित जीवन जोर । क्यों न गई ते मति जुलुमो-वि.हि. जुल्मी ] १ जुल्म करनेवाला। १ अत्यधिक भई सुन सुरही के पोर ।-स० साफ, पृ० ३६४।। प्रभावित या मोहित करनेवाला। जुवा -सुरा बी० [६० युना ] दे० 'युवती' ! उ०-साजि साज जुलूस-सया पुं० [१०] १ सिंहासनारोहण । कुजन गई लत्यो न नदकुमार । रही ठौर ठाढ़ी ठगी जुवा जुवा क्रि० प्र०-करना। -फरमाना । सी हार 1-२० सप्तक, पृ. ३०८। २ राजा या बादशाह की सवारी । ३ उत्सव और समारोह को जुवा -पि० [हिं० जुदा ] दे॰ 'जुदा'। 30-मन मितिमोहा यात्रा । धूमधाम की सवारी। ४. वहुत से लोगों का किसी तिका मादया, जीभ करे खिण माह जुवा ।-चौकी प्र०, विशेष उद्देश्य के लिये जत्या बनाकर निकलता। भा० ३, पृ० १०३ 1 क्रि० प्र०--निकलना । -निकालना। जवा-वि० [हिं०] दे० 'युया'। 30-गापति गीत सर्व मिलि जुलोक सा पुं० [सं० धुलोक ] चैछ । स्दगं । मुदरि, वेद जुवा जुरि वित्र पड़ाहीं।-तुलसी ०,१० १५६।