पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१४७

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जेरजामा जेरजामा-महा पुं० [फा० रजामह) १ अधोवस्त । कटिवल। जेल'-सपा पुं० [१०] वह स्थान जहाँ राज्य द्वारा दटित परागी २ घोडे को डीन के नीचे पीठ पर हाला जानेवाला कपड़ा आदि कुछ निश्चित समय के लिय रखे जाते हैं। कारागार । [को०)। वदी गृह। जेरतजवीज-वि० [फा. जेर+० तस्वीज] विचाराधीन [कोग। महा.--बेल काटना, जाना या भोगना =जेल में रहकर दड जेरदस्त-वि० [फा० जेरदस्त अधीन । वशीभूत । प्रसहाय [को० । भोगना। जेरनजर-क्रि० वि० [ फारम नउर] प्रखिो मे 1 दृष्टि में। जेल-सदा पुं० [फा० जेर ] जजाल । हरानी या परेशानी का क्रि०प्र०-पढ़ना ! होना। काम । उ-खेलत सल सहेलिन म पर तेल नवेसी को जेल जेरना--fro सः [ हिजेर तग करना । सताना । उत्पीडित सो लागे -~मतिराम (शब्द०)। करना। जेलखाना-उदा पु० [पं० जेल+मा० खानद] कारागार । वि० जेरपाई-सशास्त्री० [फा० जेरपाई] १ स्त्रियों के पहनने की जूती।। दे० 'जल'। स्लीपर । २ साधारण दूता। जेलर-सा [10] जेनसाने का अध्यक्ष । बेल का अफसर । जेरपेष-सफा पुं० [फा० जेरपेच पगड़ी के नीचे पहनी जानेवाली जेलाटीन-सा सी० [-] जानवरों विशेषत कई प्रकार की छोटी पगडी या टोपी [को०] । मछलियो के मास, इंडो खास मादि को उबालकर तैयार का जेरबद-सा पुं० [फा० जेरबार] घोहे की मोहरी में लगा हुभा वह हुई एक बहुत साफ मोर बढ़िया सरेस जिसका व्यवहार कपहावा चमडे का तस्मा जो उग में फंसाया जाता है। फोटोग्राफी और चिट्टियो मादि की नकल करने के लिये पेज बनाने में होता है। जेरचार-वि॰ [फा० जेरवार] १ जो किसी विशेष मापत्ति के कारण बहुत तग और दुखी हो । ग्रापत्ति या दुख की योग से लदा विशेष-यक्ष पशुमो को पिलाई भी जाती है । पर इसमे पोपक हुमा । २ क्षतिग्रस्त । जिसकी बहुत हानि हुई हो। द्रव्य बहुत ही पोहे होते हैं। खूब साफ की हुई जेलाटीन से जेरवारी-समा स्त्री० [फा० जेरवारी]१ प्रापत्ति या क्षति के कारण मौषधो की गोलियां भी बनाई जाती हैं। बहुत दुखी होने की किया। तगी । २ हैरानी । परेशानी। जेली'-सज्ञा स्त्री० [हिं० जेरी ] घास या भूखा इकट्ठा करने का क्रि०प्र०-होना ।सहना । प्रोजार। पोचा। जेरिया-सशस्त्री० [हिं०] दे॰ जेरी' २. भोर ३.।। जेली-सधा स्त्री० [म. एक प्रकार की विदेशी मिठाई या गादी जेरी-समा स्त्री० [?] १.दे० 'जेर"। २ वह लाठी जो चरवाहे मोठी पटनो जो फलो पादि द्वारा चीनी के साथ उबालकर कटीली झाडियाँ इत्यादि हटाने या दवाने के लिये सदा बनाई जाती है। इसे गाढ़ा या कड़ा कर देते है। अपने पास रखते हैं। उ०-उतहि सखा कर जेरी लीन्हें जेचदी-सहा श्री [हि.] ६० 'जेवरी। गारी देहि सकुच तोरी की। इतहि सखा कर बौस लिए जेवना-क्रि० स० [हिं०] दे० 'जीमना' । बिच मारु मची झोरा मोरी की। -सूर (शब्द०)।३ जेवनार--ससा सो• [हिं० जैवना ) १ बहुत से मनुष्यो का एक साथ खेती का एक प्रोजार जो फरुई के आकार का काठ का होता बैठकर भोजन करना । भोज । २ रसोई । भो नन । है। इसका व्यवहार प्रन्न दौवने के समय पुमाल हटाने मे जेवर-सपु० [फा० जेवर } धातु या रस्नो प्रादि को बनी हई होता है। सिचाई के लिये दोरी चलाने में भी यह काम में वह वस्तु जो शोभा के लिये प्रगो मे पहनी जातो है। गहना। भाता है। भामुषण । अलकार । भाभरण। जरेखाक-क्रि० वि० [फा. जेरेखाक ] १ मिट्टी के नीचे । २ जेवर-.-~[ देश ] एक प्रकार का महोस पक्षी जिसे जघी या पद्र मे [को०)। __सिंघ मोनाल भी कहते है। क्रि० प्र०-जाना ।—होना । विशप-यह शिमले में बहुत पाया जाता है। जेरेनजर-क्रि०वि० [फा० जेर+म० नजर ] दे० 'जेरनजर'। जेवर - सौ . हि.] दे० 'जेवरी'। जेरेसायावि० [फा० जेरेसायह ] किसी का माश्रित । किसी की छाया में [को०)। जेवरा--सपा पुं० [हिं० ] दे० 'ज्योरा। 'जेरे हिरासत-वि० [फा० जेरे+म. हिरासत] गिरफ्तारी में पड़ा जेवरात-सा पुं० [फा० जेवरात ] जेवर फा बहुवचन । हुमा को जेवरी-मा सो सं० जीवा ] रस्सी। क्रि० प्र०—होना । जेष्ठ-सचा पुं० [सं० ज्येष्ठ] १ जेठ मास । २ जे पति का बटा जरे हुकूमत-वि० [फा० जेर+प० हुकमत ] शासन के मधीन। भाई। मातहत देश फो। जेष्ठ-वि० [सं० ] प्रग्रज । जेठा । वडा । रोजवर--कि० वि० [फा. जेरोजवर ] नीचे ऊपर उपल पुपल । जेष्ठा-सदा स्त्री० [सं० ज्येष्ठा] दे० 'ज्येष्ठा'। अस्तव्यस्त (को०)। जेह-सरा स्त्री॰ [फा० जिह (=चिन्ला), तुलनौम मज या] १. कमान कि.मा करना होना। को डोरी मे वह स्थान जो ग्रांस के पास लगाया जाता है पौर