पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१५०

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जैनी जसी के नाम से भी प्रसिद्ध है। स्याद्वाद का अर्थ है अनेकातवाद जैव-सहा पुं० १ बृहस्पति के क्षेत्र में धनु राशि मौर मीन राशि अर्थात् एक ही पदार्थ मे नित्यत्व और अनित्यत्व, साध्य २ पुष्य नक्षत्र । ३ जीव अर्थात् वृहस्पति के पुत्र कच (कोला मोर विरूपत्व, सत्व और असत्व, अभिलाष्यत्व और जैवातृक' -सहा पुं० [सं०] १ कपूर । २. चद्रमा। ३ पौषध । अनभिनाध्यत्व प्रादि परस्पर भिन्न धर्मों का सापेक्ष ४ किसान (को०)। ५. पुन (को०)। स्वीकार। इस मत के अनुसार पाकाश से लेकर दीपक जैवातृक-वि०१ [वि०सी० जेवातृकी ] दीर्घायु । २ दुबला पर्यत समस्त पदार्थ नित्यत्व और भनित्यत्व आदि पतला। ' उभय धर्म युक्त हैं। जैवात्रिक-~~-सञ्ज्ञा पुं० [सं० जैवातृक ] दे॰ 'जवातृक' । २ जैन धर्म का अनुयायी । जनी। जैविक-वि० सं०] दे॰ 'जैव' । जैनी-सया पुं० [हिं० जन] जैन मतावलंबी। जैवेय-67 पुं० [सं०] जीव अर्थात् बृहस्पति के पुत्र कप (को०] । जैनु -सञ्ज्ञा पुं० [हिं० जेवना ] भोजन । माहार । उ०-इहाँ । जैसा-वि०हिसा ] दे॰ 'जैसा'। उ०—(क) घरतिहि जैस रही जहं जूठनि पावै ब्रजवासी के जैनु।-सूर (शब्द०)। गगन पो नहा। पलहि प्राव बरषा ऋतु मेहा ।-जायसी जैपत्र - [ मेक ! 'जयपर'। (शब्द०)। (ख) कोई भल जत धाव तुखारा । कोई जैस बैष जैपाल- सशस० गरिमारा।-जायसी प्र०, (गुप्त) पृ० २२६॥ धो. जैयो -कि. (हि.] दे० 'खाना' । उ०-बनत नही जैसQ-वि. हि जैसा दे० 'जैसा। उ०-भय भाजु काज जमुना को पेयौ । सुपर स्याम घास पर ठाड़े, फही कोन विष न राज ग्राम सों, घससि निजपुर जैसन !-द० सागर, जैयौ । सूर०,१०! ७७६ । पू०.१७॥ जमंगल-सा पुं० [सं० जयमङ्गल ] १. एक वृक्ष जिसकी लफडी जैसवार-सश पुं० [हि. जायम+वाना ] कुरमियो भौर कलवारों मजबूत होती है। का एक भेद। विशेष-इसकी लक्षमी से मेज, फुरसी प्रादि सजावट की चीजें जैसा-वि० सं० यारश, प्रा० जारिस, पैशाची जइस्सो वि०स्त्री जैसी] बनाई जाती है। १. जिस प्रकार का। जिस रूप रग, माकृति या गुण का । २ खास राजा की सवारी का हाथी। ३ संगीत मे एक ताल जैसे,—(क) जैसा देवता वैसी पूजा। (ख) जैसा राजा वैसी (को०)। ४ जयकार (को०)। प्रजा । (ग) जैसा कपडा है वैसी ही सिलाई भी होनी जमाल-सरा सी० [सं० जयमाल ] दे॰ 'जयमाल'। चाहिए। जैमाला -सदा मो० [सं० जयमाला ] दे० 'जयमाल'। मुहा०-जैसा चाहिए = ठोक । उपयुक्त । जैसा उचित हो । जैसा जैमिनि- [सं०] पूर्वमीमासा के प्रवर्तक एक ऋषि जो तैसा= दे० 'जैसे तैसे । जैसे,--काम जैसा तैसा चल रहा है। ___व्यास जी के ४ मुख्य शिष्यों में से एक थे। जैसे का तैसा=ज्यों का त्यों। जिसमें किसी प्रकार की घटती विशेष-कहते हैं, इनकी रपी एक भारतसहिता भी थी वढ़ती या फेरफार प्रादि न हृया हो । जैसा पहले था, वैसा जिसका अब केवल पश्यमेष पर्व ही मिलता है। यह अश्वमेष हो । जैसे—(क) दरजी के यहाँ मभी कपड़ा जैसे का तैसा पर्व व्यास के अश्वमेघ पर्व से बना है, पर कई नई बातों के रखा है, हाथ भी नही लगा है। (ख) खाना जैसे का तैसा समावेश के कारण इमफी प्रामाणिकता मे सदेह है। पड़ा है, किसी ने नहीं खाया। (ग) वह साठ वर्ष का हुया जैमिनीय'-वि० [सं० ] १. बैमिनि सबधी । २ जैमिनि प्रणीत । पर जैसे का तैसा बना हुमा है। जैसे को तैमा=(१) जो जैसा ___३ जैमिचि का अनुयायी (को०] । हो उसके साथ वैसा ही व्यवहार करनेवाला । (२) जो जैसा हो उसी प्रकृति फा। एक ही स्वभाव और प्रकृति का। 30-- जैमिनीय--सा पुं०१ जैमिनिकृत साथ। जैसे को तैसा मिल, मिल नीप को नीच । पानी में पानी निलं, जैयट-सया पु० [देश०] महाभाष्य तिलककार कैयट के पिता। मिल कीच में कीच!-(शब्द०)। यद-वि० [म.] १ बडा भारी । घोर । बहुत बड़ा । जैसे, जैयद २ जितना। जिस परिमाण का या मात्रा का। जिस कदर । बेवकूफ बैयद मालिम । ३ बहुत धनी। पारी मालदार । (इस अर्थ में केवल विशेषण के साथ प्रयुक्त होता है। जैसे,- वैसे, जैयद प्रसामी। धेसा प्रच्छा यह पडा है, वैसा वह नही है । जैल-मसा पुं० [५० जैल ] १ दामन । २ नीचे का स्थान। विशेष-सबंध पूरा करने के लिये जो दूसरा वाक्य माता है वह निम्न भाग। ३ पक्ति। सफ। समूह । ४ इलाका। हलका। वेसा शब्द के साथ प्राता है। यो०-जेलदार । ३ समान । सदृश'। तुन्य । बराबर । जैसे,—उस जैसा प्रादमी जैल-अध्य० नीचे। हूढे न मिलेगा। जैलदार--सा [प्र. जैन-फादार (प्रत्य॰)] वह सरकारी जैसा--फि० वि० [हिं०] जितना । जिस परिमाण या मात्रा में । पोहदार जिसके अधिकार में कई गांवो का प्रबंध हो। जैसे,--जैसा इस लडके को याद है वैसा उस लड़के को नही। जैव--वि० [सं०] १ जीवघी 1 २ बृहस्पति सबधी। जैसी-वि० [हिं०] 'जैसा' का सी० दे० 'जैसा ।