पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१५३

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जोगमाया जोटी उ.07 जोगमाया-मुशा लो० [हिं०] दे० 'योगमाया'। जोगीडा-सा पुं० [हिं० जोगी+ (प्रत्य०)] १ एक प्रकार जोगवना-क्रि० स० [सं० पोग+अपना (प्रत्य॰)] १. किसी वस्तु का चलता गाना जो प्राय बसत ऋतु में ढोलक पर गाया को यल से रखना जिसमें वह नए भ्रष्ट न हो पाए । रक्षित जाता है । २. गाने बजानेवालों का एक समाज । रखना। उ.-जिवन मरि जिमि जोगवत रह । दीप वाति विशेष- इस समाज में एक गानेवाला लड़का, एक ढोलक बजाने- । नहिं टारन कहऊ।--तुलसी (शब्द०)। २ सचित करना । वाला मोर दो सारगी बजानेवाले रहते हैं। इनमें गानेवाले वटोरना। ३ लिहाज रखना। मादर करना। उ०--ता लडके का भेस प्राय योगियों का सा होता है और वह कुछ कुभातु को मन जोगवत ज्यों निज तन मम कुमाउ-तुलसी मलकार मादि भी पहने रहता है। इसका गाना देहातो में (पन्द०)। ४ दर गुजर करना । जाने देना। कुछ ल्याल सुना जाता है। न करमा । १०-खेलत सग मनुज वालक नित जोगवत मनट ३, इस समाज का कोई मादमी। मपात--तुलसी (शब्द॰) । ५ पूरा करना । पूर्ण करना । जोगीश्चर- साहि .1दे० 'योगीश्वर। उ०-काय न कलेस लेस लेत मानि मन की । सुमिरे सकुचि, चि जोगीस्वर --का पुं० [हिं॰] दे० 'योगीश्वर' । 30-जोगी- चचि जोगवत धन को -तुलसी (शब्द॰) । स्वरन के ईस्वर राम! बहुरथो जदपि मात्माराम-नद० जोगसाधना-सपा ० [सं० योगसाधन तपस्या , ग्र०, पु० ३२१ । जोगा-सचा पुं० [ देश अफीम का खूदह। वह मैल जो प्रफीम

  • जोगेश्वर-सञ्ज्ञा पुं० [सं० योगेश्वर ] १ श्रीकृष्ण । २. शिव।

है को छानने से बच रहती है। ३ देवहोत्र के पुत्र का नाम । ४ योग का अधिकारी । योग जोगानल -सया सी० [सं० योगानल ] योग से उत्पन्न भाग। का ज्ञाता । सिद्ध योगी। उ.- हर विरह जाइ बहोरि पितु के जग्य जोगानल जरी- जोगेसर--सज्ञा पुं० [हिं०] 'दे० 'योगेश्वर'। उ०-यू कमज तुलसी (शब्द)। धरे धू मवर । ज्यू गगा मेले जोगेसर ।-रा० रु., जोगिदल-सबा पुं० [सं० योगीन्द्र ] १ योगिराज ! योगिश्रेष्ठ । पू०७६ । २. महादेव (दि०)। जोगेस्वर --सहा पुं० [हिं०] दे॰ 'योगेश्वर'। उ.-जोग मार्ग जोगि-सचा त्री० [हिं० योगी ] दे० 'योगी'। जोगेंद्र जोगि जोगेस्वर जानें। -पोद्दार अभि.प्र०, पृ. ३८४॥ मोगिन-समा स्त्री० [सं० योगिनी ] १ जोगी की थी। २. विरक्त जोगोटा' -वि० [हिं० जोगी ] जोग या योग करनेवाला। स्त्री । साधुनी । ३ पिशाचिनी। ४ एक प्रकार की रणदेवी। जो रण मे फटे मरे मनुष्यो के २ मुडो को देखकर मान- जोगोटा -सज्ञा पुं० [हिं० जोगौटा ] दे॰ 'जोगोटा'। दित होती है मौर मुडो को गेंद बनाकर खेलती है। ५ एक जोगटा-सा पुं० [सं० योगपट्ट ] १. योगी जोगौटा-सा पुं० [सं० योगपट्ट ] १. योगी का वस्ल कौपीन । प्रकार का माड़ीदार पौधा जिसमे नीले रग के फूल लगते हैं। लंगोट । २ झोली । उ-मेखल सिंगी चक्र धारीबोगोटा ६३० योगिनी'। रुद्राख प्रधारी। कथा पहिरि 33 कर गहा । सिद्ध होइ कहे जोगिनिया-सहा त्रो. [ देश ] १. लाल रंग की एक प्रकार की गोरख कहा।-जायसी (गुप्त), पु० २०५। ज्वार । २. एक प्रकार का पाम । ३. एक प्रकार का पान जो जोग्य -वि० [हिं० ] दे॰ 'योग्य' । ' मगहन मे तैयार होता है। जोजन-मचा पुं० [हिं०] दे॰ 'योजन'। उ०-कह मुनि तात भएउ विशेष-इसका चावल वर्षों ठहर सकता है। मंधियारा । जोजय सत्तरि नगरु तुम्हारा ।-मानस, १।१५। जोगिनी-सम [ सं० जोगिनी] १. दे० योगिनी'। उ.- भूमि जोजनगंधाधु-सधा सी० [हिं०] दे० 'योजनगधा' । मति जगमगी जोगिनी सुनि ज़गी सहस फन शेप सो सीस . जोट'+-सा पुं० [सं० योटक ] १ जोहा । जोडी । २. साथी। कांधो ।-सूर (शब्द०)। २ दे० 'जोगिन' । संघाती। जोगिन-सा स्त्री० [सं० ज्योतिरिङ्गण, प्रा. जोइगण ] जगनू। खद्योत। जोट-वि० समान । बरावरी का । मेल का। जोगिया-वि० [हिं० जोगी+इया ( प्रत्य.) १ जोगी सबधी। जाटापु-सहा पु० स० याटक ! १. जोडा । युग। ३०--(क) जोगी का । जैसे, जोगिया भेस । २. गेरू के रग मे रंगा हुमा । ए दोऊ दधारप के ढोटा। बाल मरननि के कल जोटा।- गैरिक । ३ गेरू के रंग का । मटमैलापन लिए लाल रग का। तुलसी (शन्द०)। (ख) सखा समेत मनोहर जोटा । लसेउ जोगिया -सम्मा पु० [हिं०] दे॰ १ 'जोगठा'। दे०२ 'जोगी'। न लखन सघन यन मोटा।-तुलसी (शब्द०)। २. टाट का ३ एक रागिनी। बना हुमा एक बहा दोहरा थैला जिसमें मनाज भरकर वैलों जोगीद -सा ० [सं० योगीन्द्र ] १ योगिराज । बड़ा योगी। पर लादा जाता है । गौना । सुरजी। योगिश्रेष्ठ । २. शिव । महादेव । जोटिंग-सा पुं० [सं० जोटिङ्ग] १ महादेव। शिव । २. प्रत्यत जोगी-सण पुं० [सं० योगिन् ] १ वह जो योग करता हो। योगी। कठिन तपस्या करनेवाला साधक (को०)। २. एक प्रकार के भिक्षुक जो सारगी लेकर भर्तृहरि के गीत जोटी -सश क्षी० [हिं० जोट ] १. जोड़ी। युग्मक । उ. गाते और भीख मांगते हैं। इनके कपड़े गए रंग के होते हैं। काँचो दूध पियावत पधि पचि देत न माखन रोटी। सूरदास