पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१७६

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१६२१ मेमोरी माक्खना विलव भमरा दसकनि पाइब दुस भकझोरा रे।--तुलसी १०-रुक्यौ साकरे कुजमग करतु झांकि भकुरातु । मद मय (शब्द०)। मास्त तुरंग खुदतु आवतु जातु ।-विहारी (शब्द॰) । भकमोरी--सबा श्री. मनु०] छीनाझपटी । होड़ाहोड़ी। उ०- मकराना'-क्रि० स० झफोरा देना । झूमने में प्रवृत्त करना। भारत में मची है होरी। कोर भाग मभाग एक दिसि मकोर-सका पुं० [मनु०१ हवा का झोंका। पवन को हिलोर । होय रही झकझोरी।--भारतेंदु ग्रं०, मा० २, पृ०४०५। हिलकोरा । 10-(क) चार लोचन हँसि विलोकनि देखिक मकझोलना-क्रि० स० [हिं० झकझोला] 2. 'झकझोरना। चितचोर। मोहनी मोहन लगावत लकि मृकुट भकोर 1--- मकमोखना -कि. म. काँपना। हिलना डुलना। झोंका --सूर (शब्द॰) । (ख) पवि पाहन दामिनी गरज झरि खाना। उ०परयो चीर दुष्ठ दुस्सासन विचक्ष पदन भइ चकोर स्वरि स्वीमि। रोष न प्रीतम दोष लखि तुलसी डोल। राह नीच दिगमाएँ चद्रकिरन झकझोले ।--सूर०, रागाह रीझि।-तुलसी (शब्द॰) । (ग) चारिहुँ भोर तें पौन ११२५६ । झकोर झकोरन घोर घटा घहरानी।-पद्माकर (गब्द०)। झकमोला-मक्ष पुं० [अनु॰] दे॰ 'झकमोरा'180--मोर पौर २. झटका । झोंका। धक्का । तोर देत झकझोला, चलत नेक नहिं जोर ।---तुरसी० भ० मकोरना-क्रि० स० [अनु॰] हवा का झोंका मारना। उ०—(क) पू०७। चहुँ विसि पवन झकोरत घोरत मेघ घटा गंभीर ।-सूर मकमौला--सशा पुं० [अनु०] मायात । धक्का । भाभोरा। उ०-- (शम्द०)। (ख) झझरी के झरोखनि ह के भकोरति रावटी रचना यह परब्रह्म की चौरासी मकझोल !-सुदर० प्र०, हूँ मैं न जात सही।-देव (शब्द०)। भा०१, पृ. ३१५। मकोरा-संज्ञा पुं० [अनु०] हवा का झोंका। वायु का वेग । झकड़-संशपुं० [हिं० का 'झक्कड़, भकोलgf-संज्ञा पुं० मनु०] दे० 'झकोर' या 'झकोरा'। उ०- मकहा-संमा स्त्री० [देश०] सूत सी निकली हुई जड़। (पं. मृदु पदनास मद मलयानिल विलगत शोश निचौल । नील फाइवस ।) पीत सित परुन ध्वजा चम सीर समीर झकोल ।-सुर मकड़ी-सचा मी० [देश॰] वोहनी । दूध दुहने का परवन । (शब्द०)। मकना-कि०म० [अनु॰] १ पक्रयाव करना। व्यर्थ को पातें मकोक्षा-संका पुं० [हिं०] दे० 'कोरा'। उ०-(क) धन भई वारी करना। २ कोष में माकर मनुचित वचन कहना। उ०- पुरुष भए भोला सुरत झकोला खाय ।-कबीर सा० सं०, वेगि चलो सब कहें, झई तिन सौ निज । -नंद. पू०७५ । (ब) उन्हें कभी कोई नौका उमड़े हुए सागर में ०, पृ० २०६।३ झुमलाना। खीमना।-30-हरि को झकोले खाती नजर पाती।-रगभूमि, पृ० ४७६ । नाम, दाम खोटे लौ झफि झकि बारि यौ। -सूर०, झर-वि० [प्रा० जगजग (-चमकना) अथवा अनु.] खूब साफ ११४। ४ पछताना। कुढ़ना। उ.-कधो कुलिश पई भोर चमकतामा । झकाझक! मोपदार। यह छाती। मेरो मन रसिक लग्यो नंदलालहिं झकत रस्त झक-संज्ञा स्त्री. मनु.] दे॰ 'झक' । दिन राती ।-सूर (शब्द०)। भक्तरा-सा पुं० [हिं० झकर दे. "झकर। क्रि० प्र०-घड़ना ।-उतरना। मका-वि० [हिं०] दे० 'झ' । झार-सहा पुं० [अनु॰] तेज पाधी । तूफान । तीव्र वायु । मघट । झकाझक@f-वि० [पनु०] षो खूप साए सोर चमकता हुपा हो। शिव प्र-पाना-उठना-घसना । दकायक! चमकीमा । झलाभल । उज्वलं । जैसे,-सफेदी होने मकड़-वि० [वि. ऋषक (प्रत्य॰)] ६० 'झक्की '। से यह कमरा झकाकक हो गया। उ०-झोंकि प्रीति सौ मका-सबा पुं० [अनु०] १. हवा का तेज भोका।'२ मतकह 1 झीने झरोनि झारि के झाका झकाझक झांकी। -रघुराज भाषी (लश.) (शम्द०)। मका झुक्की-सदा स्त्री० [हिं० झोक झुक] किसी बात को ध्यान मकामक्का -वि० [मनु०] चमकीला। उज्वल । उ--खेंसी है से न सुनकर इसर उपर माकना। बात को गौर से न सुनना। कटारी कट्यो में अग्यारी। मकामा क्वारीदई की सझारी। महटियाना। उ0-घाघ कहै तब पनते विनवै भक्कामुक्की --पधाकर ग्र०, पृ०२५२। करते ।-से० दरिया, पृ० १३५ । झकाझोर--सबा [अनु॰] दे॰ 'झकझोर'। उ.-चहूं पार तो मक्कामोरी-सहा सी० [हिं० भकझोरना] दे० 'झकझोरी'। उ.- चसमान हटे। मकाझोर समसेर की मार बोले ।-हम्मीर, मनकामोरी ऐंचातानी, जहँ तह गए दिलाई।-जग० बानी, पु. १६. पु. ६८। मकाझोरी-सवा सी० [अनु० हिलाने या झकझोरने का क्रिया या मशी-वि० [अनु० या प्रा. मस] १. व्यर्थ की बकवाद करनेवाला । स्थिति। उ.-चोरी हु किसोरी गोरी रोरी रगं शेरी तब. बहुत बक बक करनेवाला। २. जिसे झक सवार हो। जो मची दुई मोर झकामोरी है।-बज० प्र०, पृ० २९ ! मादमी मपनी धुन मागे किसी की न सुने । सनकी। मकराना -कि. #० [हि• कोरा] मकोरा सेना। झूमना। मक्खनाल-क्रि० भ० प्रा० मखरण, झक्लए] दे० 'भीखना ।