पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१८८

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मसापोरी मलफला--सा पं० प्रा० झलहल] उजियाला । द 'झलमल" झमहल तीर तरवारि परपी देखि काररे काचा:-स्ट वीर मलमल- सझा पुं० [सं० ज्वल ( दीक्षिी "मधेरै के बीच थोडा : तुपकं मर गोला घाव सहे मुख साँचा । सुदरमा -२, ...थोडा उजाला । हलका प्रकाश । २. मधेरा' (कहारों की पू०,९८५ - - -- -परित)। ३ मा परि०) । ३ घुमक दमक। , मलहलना-क्रिम. [मनु०] 'धमकना । दमकना, उ-तुप मलमल कि० वि० दे० 'झलझल' । । 5 } तेज पुष झलहलत तह, दरसन ते पातक, सुपर।-हरासो, मलमलताई-सहा स्त्री० [हिं० झलमल + ताई (प्रत्य॰)] चमक । पृ० १०। . - झलमलाहट । उ-दुति तिय तन, पस दोन्हि दिखाई। मलहला--सभा को [ मा मलहन.] उजियाना झलमल ।।.. र । सरव चंद पल झलमलताई। नंद १०, पृ. १२४ ।' मलहाया-सा ५० [हिं०, झल+ हाया (प्रत्य॰)] [स्त्री० झलहाई] वह झलमला-वि० [हिं० झजमलाना ] चमकीला। चमकता हुमा । जो गह करता हा.हसद करनेवाला मादमी । ईर्ष्यालु व्यक्ति । ०मोर मुकुट मति सोहई श्रवणनि वर कुडल। ललित झलहाला-सा पु... [पनु०], झलमलाहट , प्रकाश की मद तेज - कपोलान,झलमले सुदर-मति निमल।-सुर (शब्द॰) । चमक । उ०-यन दामिनी होतं झलहाला । पाछे नहीं मलमलाना'-कि०म० [हिं० झनमल] १. रह रहकर चमकना । पनिल उजियाला । कबीर सा०, पृ. Eti रह रहकर मद' पौर, तीव,प्रकाश होना । चमचमाना। २. मजा --सञ्ज्ञा पुं० [हिं झड]. १. हलकी वर्षा । २. झालर, ज्योति का मस्थिर होना। मस्थिर ज्योति निकलना । तोरण या बंदनवार प्रादि । ३ पखा। वोजना । ब्रेना।। ठहरकर बराबर एक तरह न जलना या चमकना । निकलते समूह। उ०-झलकत पावै झुइ झिलिम झलानि झप्यो, 1. , हुए प्रकाश का हिलना डोलना। जैसे, हवा के झोंके से दीए .. तमकत मावै तेगवाही प्रो सिलाही है। -पाकर (शब्द०) का झलमलाना । उ०—(क) मैया री मैं पद लहोगी। कहा ' ५. तीन वर्षा । झड़ी लगना । - 9:---- फरौं बलपुट भीतर को बाहर व्योंकि गहोंगी। यह तो मला-संघा स्त्री॰ [सं०] भातप। धूप । चिलचिलाती धूपं । धमका। झलमलात झकझोरत फैसै फै जु लहाँगों। -सुर०, १०।१६४। २. पुत्री कन्या । बैटी (को०)। ३ झिल्ली। झीगुर (को०)। (ख) श्याम मलक विच मोती मगा।' मानहु झलमलति सीस मला -सञ्ज्ञा पुं० [सं० ज्याला अपवा झल ] १ क्रोध । गुस्सा। गगा।-सूर (पान्द०)। (ग) बालकेखि बातरस- झलकि .. २. जलन । दाह। झलमलत सोभा की दीटि मानो रूप दीप दियो है।- मनाई-सबा सी-[हिं० झला + ई (प्रत्य॰)] दे॰ 'झनाई। तुलसी न० पृ. २७३। । .... मलाई-सत्रा जो हिं०/ झल+भाई (प्रत्य॰)] पंखा झलने झलमलाना-क्रि० स., किसी स्थिर ज्योति या लो को- हिलाना ... का काम-या उसकी मजदूरी। , . इलाना। हवा के झोंके मादि से प्रकाशको मस्थिर या बुझने फलामल-वि० [अनु.] खूब झमकलाता या चमचमाता हुमा। के निकष्ट करता। घमाधम । २०-(क).छोटी छोटी-झंगुली झलाझल मलमलित-वि० [हिं० झलमलाना] झलमलाता हुमा r हवा में , झनकवार छोटी सी छुरी को . लिये छोटे राज ढोटे हैं।- हिलता हुमा। उ०-घरनी जिव झलमलित दीप ज्यो होत रघुराज (शब्द०)। (ख) कचन कलस भराए भूरि पन्नन अधार करो प्रेषियारी ।-घरली. बा०पू० २६ । के ताने तुग तोरन तहाई झलामल के पद्माकर (शब्द॰) । झलरा-सा पुं० [हिं० झालर] १ एक प्रकार का पकवान -जिसे मलाझलिहु-वि० [हिं०] दे॰ 'झलझली'। उ०-नस सिस ले "। 'झालर' भी कहते हैं। " ... -- - --- सर मुखन बनाई।बसन झवाझलि पेथे माई।-स० दरिया, मलराल+-ससा सी० दे० 'झालर"। , - झलराना+-क्रि० म० [हिं० झालर फैलकर छाना,। बढ़ना। भलामली'-वि० [मनु०] चमकीला। चमकदार। झनाझल । 7 झालरना। - - .: उ०-चिन्हें बखे-झनाझली हुलाहली हिये, खजे गोपाल मलरिया -सहा श्री. [हिं० झालर] १. झाल" .-वह ... (शम्द०)। "1, ....... . , . दिस लायी झलरिया, तो लोक भसंख हो । परम.पू.४। wi मलामली-सकाली झलझिल होने की क्रिया या भाव । मलरी'-सहा श्री० [सं०] १ हरक नाम का...बाबा। २. बजाने मलाना-कि.म- [मनु झनझन]- हड्डी, बोड़, या. नस् मादि की झांकी ME ":"पर एकबारगी चोट लगने के कारण एक विशेष प्रकार की भलरी-समा श्री [हिं० झलरा या साजर का.मल्पा० साJ स्वेदना होना। सुन्न सा हो जाना--जैसे-ऐसी ठोकर लगी कि पैर,झलाया। 1 'झार" m 1s Fip-.. - संयो-क्रि-उठना -बाना। - - मलवाना---fre,Aprहिं० झलना), झलना का प्ररणार्यक रूप । मलने काम दूसरे से कराना मलाना कि स० [ हि झालना' ] दूसरे से झोलने का काम मिलवाना-क्रि० स० झालना, का मेरणार्थक रूप । झालने का काम करावा । झालने में किसी को प्रवृत्त करना। दूसरे से करावा । मलाना -कि 'स० [हिं० झलना-३० १झलवाना" मलहल–सम स्त्री॰ [ प्रा० महल ] दे॰ 'झमझम"। 80- मेलाबोर सीहि झन झन ( चम) ] १. फलायत्त