पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१८९

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मसाबोर ११३५ ' का बना हमासाहीकाचौडा अंचल कारोबीउ. मल्लाना, क्रिस: ऐसा काम करता बहुत चिढ़े। झलागेर का 'घांपरा 'घूम धुमाला-तिस पर सच्चे-मोती टके किसी को मल्लाने या चिढ़ने में प्रवृत्त करना। हुए। लल्लू (शब्द०) १३. एक प्रकार की आतिशबाजी - झल्लानी-संग सी. [ देश०, मल्ला । पानी की फुही 130 कोटा माडी ।-५ चमक दमक, 1 2 ... मल्लानी झर फुट्टि, छुट्टि संका सामना । ज्यों लट्ठी पर नारि S" धीग मिल्यो धावता - रा, १२ ३१r मलाबोर-विचमकोला। प्रोपदार- r मलामल' सशसी हि झलझल ( चमक) 1 चमक दमक । झलिका-सा स्त्री[सं०] १. देह पोछने का कपर्डी । अंगोला । ' उ पहुं दिस लगी है बजार अनामत हो रही। अमर होत २. शरीर का वह मैल जो उबटन माद लगाने, किसी चीज से 'अपार पर दोरी लगी-कवीर (शब्द) - मलने या पोछने से निकले । ३. दीप्ति । प्रकाश । ४. सूर्य को फिरणों का तेज। far. 03 - मेलामल.वि चमकीला । चमक दमकवाला प्रोपदार मलारा-वि० ['ज्वत, हि झल, हिमाल, झार तोला। मल्ली--वि० [हिं० झमना ] बानियाँ । गप्पी । वकवादी तेज । मिर्च के स्वादवाना । झालवाला ।।, i. झल्ली-सक्षबी '] हड़क की तरह का एक पापा जिसपर चमड़ा मढ़ा होता है। Dirl मलासी-सया स्त्री॰ [देशी] सूखी हुई पतली लकडी या पतली टष्टनी ३०-सोच विचारकर मैं सूखी - झलासियों से झोपडी मल्ली' मा बी० [हिं० मा बड़ी टोकरी मावा , बनाने लगा। सतरों को काटकर उसपर छाजन महीरे'झल्ली टोकर षो कुछ ला पाता, उसी में गुजारा चल रहा था-अभिशप्त, पं०१३Paper:- मलि-सबसे सुपारी । पूगी फल को मल्लीवाला--सशपु० [वि मल्सा ] माबा"या 'झल्ली होने का काम करनेवासा भैलुसना-किसपेश अथवा' सं० विल से विकसित हि. वहीं" एक झलीवाला रहता है. नामिक धातु ] दे॰ 'झुलसना'। TR BF ज्वाला। प्रमिता २३ins मलूस -बा.हि.] दे० 'जलस।०-सुरगमतुल साज मल्लीसक-स० [सं०] एक प्रकार का नृत्य। --'TERNA ' मलूस सारा मिले छक मिलेस !-रघु-०पृ०.३।। ___ झवकना कि पु. [ देश० ] झलकना । चमकना । उ॰--काया मल्ल'-राश पुं० [सं०] १ प्रात्य प्रति संस्कारहीन क्षत्रिय पौर झाई कुनक जिम सुदर फेहे सुख्ख । ई सुरंगा जिम हुवई । " सवर्ण स्त्री से उत्पन्न वर्गसफर जाति । २ मोड या विदूषक। -F जिण वेही बहु दुरुस । - ढोला०, ०५४६ ।" १३. पटह था हरक नामक बाजा ।४. लपटें | ज्वाला 1 10-- भवरी- 1 हि झगड़ा झगड़ा । " . . बहिन को देखकर उसे 'प्राधिक क्रोष माता, क्योंकि उसकी सवा-सया पुं० [हिं०], दे० झावा | T-पलवेली सुजान के पायनि माखों में से झल्ल सी उठने लगती, जिसे, देखकर हम तीनों पानि पयो न यो मन मेरो झवाज बनानद, पू०,८। ... मयभीत हो जाते,1-मंधेरे, पृ१.२६ 15 -~~ i, मचारि -सशबौहिं ..] दे, झबार-1 TET मल्ला को [ मनु० ] मल्ला होने का भावः। " मेष-संवा पु. ] -मत्स्य। मीन मछली,10--संकूल मरजकंठ-सचा '[ सं मल्लकण्ठ ] परेवा। -- मकर उरग झष पाती। पति धिगाष दुस्तरसच भीती।- म सा कसे "का बना करताले झाम । २. तलसी (शब्द०)। मकर मगरजा, तापगरमी। ४. मंजीरा। जोरी ...5 -- 17 वन ।'५ मीन राशि। ६. 'मीन लग्न । ७. दे० 'ख'। मंल्सकी-सी . सं०] 'झरक्षक 11. .. सी-पु. [ से प+केत(= पताका) दे० 'झष मल्लना-क्रि पर्नु] पंहुत झूठी झूठी बातें करना । बहुत तन' ।३०-हरिहि हेरि ही हरि गर्यो बिसिख लगे म हाछना या गप्प उड़ाना । Ta, झपकेत । पहरि सयत , हेतु, क िडहरि हरि के खेत-- मल्लरा-सा मी [सं०] ० झल्लरी [को॰ji 5, . स० सप्तक, पु०२६१ -7 12. Et मल्लरी- १ क नाम का बाजा । ३ झांझ । झषकेतन--सया पुं० [सं०] . कामदेवु जिसकी, पताका में मीन का . .३ पसीना । स्वेद । ४. पर्सेव५ शुद्धता । सुच्चापन (को०)। ' , चिह्न है । भारत [को०]] २-Fi-

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tipsr. . कंपकेतु-सका पु. [-म० कषकेतु' ] कद, कामदेव Hary मल्ला-संहा [देश॰] साचा । बड़ा टोकरा .३ वर्षा । पुष्टि । ३. मषध्वजमंशा - [सं०] देय. 'झषकेतु [को०] 1. PE ___ चोछार। ४ वे दाने जो पके हुए वमाजू के पत्ते पर पड़ जाते हैं। मपना कि .हि] दे० "झखना' या, 'झीखना माता-वि० [हिं० जल] बहुत तरल या पतला। जिसमें प्रा बहत तरल या पतला। जिसमें प्रधिक पानी झपनिकेत-संम पं० [सं०] १. जलाशय । २ समुद्र ।। मिता हो। जो गाढ़ा न हों। जैसे, झल्ला रस, भल्लो भाग मपराज- सह । २०"मगर । मकर । r मल्लाना 1 पागल | २. बह मयलग्न रुपनग्नः स " देवकूफ । ३ झस्लानेवाला सं०] मौन लग्न स ] मौन लग्न मल्लाना'---कि.म. [ हिं. 'मल्ल बहत पदनाम झवाक-सा.[स१ झपाक) कायदेव । ig "किमिटाना । मुझलाना । झपा-संकलो धानाणवला । गुलसकरी,ini-- . IT- घुघुरासे -- 0I PROMना मल्ला- g