पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१९५

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झाड़ा माय माय भाड़ा-संवा पुं० [हि.भारना] १.भार क२ तलाशी।३ मुहा०-झापड़ कसना। झापड़ देना। झापर मारना थप्पड़ सितार के सब तारो (विशेषतः वाजे का तार पोर चिकारी मारना। उ०—पदि कोई बोली वो बिना एकाप झापड़ का वार) को एक साथ बजाना। झाला। ४. मला झारे मानते भी नहीं।-प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ०६७। गुह । मैसा। झापा -संवानी प्रा. झंप, हिं. मापना. झपकी । तंद्रा । महा.-मादा फिरनामलोत्सर्ग करना । हगना। भाग २. कमबोरी। शिथिलता। उ०-कहा होई जो त्री दुख फिराना हगाना । छोटे बच्चों को मलत्याग कराना। तापा । सूखे जीम दाइ पो झापा ।-इंद्रा, पृ० १५१ । ५.मलोस्सगं का स्थान । पाखाना । टट्टी। साबर'-कंवा [?] दलदमी भूमि। क्रि० प्र०-जाना। मावर--संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'झाबा' । १०-पुनि झाबर पैमावर फाढ़ी-सबा खी० [हिं० झार] १. छोटा झाड़। पौधा । २ बहुत पाई। पिरित खार का कहीं मिठाई।-जायसी (शम्ब०) । से छोटे छोटे पेड़ों का समूह या मुरमुट । ३. सुमर के वालो की कूची । बौछी। झाबा-सबा पुं० [हिं. झापना (= ढाकना)] १. टोकराखाँची। हठ्ठका बड़ा दौरा।-उ०-हम लोग दो रोटी के लिये सिर माड़ीदार-वि० [हि झाड़ी+फादार ] झाड़ी की तरह का। पर झाबा रखे तरकारी बेचते फिरें।-फूलो०, पृ.११२. छोठे झाड़ का सा। २. कॅटीला । कोटेदार। घी, तेस पावितरल पदायों रखने का चमड़े का टोटीदार माद-सका बी० [हिं० झाड़ना] १. बहुत सी लंबी सीर्को मादिका परतन । ३. चमड़े का बना इमा पोल थाल जिसमें पंजाब में समूह जिससे जमीन, फर्श मादि झाड़ते हैं। कुंचा । बोहारी। खोग पाटा छानते हैं। इसे सफरा कहते हैं। ४ रोपनी का सोहनी । बढ़नी। झार जो लटकाया जाता है। ५ दे० 'मबा'। मुहा०-झार देना % (१)मार की सहायता से कूड़ा करकट मावी-सक सी० [हिं. झाबा ] छोटा झापा । टोकरी। साफ करना । (२) दे. 'भाड़ फेरना' 1 झाड फिरना-सफाया। झाम -सस पुं० [देश॰] १. झम्बा । गुन्या । उ०-सुंदर दसन हो जाना। कुछ न रहना। झाइ फैरना-बिलकुल नष्ट कर पिबुक मति सुंदर हृदय विराजत दाम । सुदर मुजा पीत पट देना । झाड़ मारना%3D (१) घृणा करना। (२) निरादर सुबर कनक मेखला झाम !--सूर (शब्द०)। २ एक प्रकार करना । (स्लि)। की बड़ी कुदाल जिससे कुएं की मिट्टी निकालते हैं। ३. धुड़की। २.पुच्छउ तारा : कतु । दुमदार सिधारा। डाठ उपट । ४. धोखा । छल । कपठ। माइकश-सहा पुं० [हिं० झाड़+फा० कश ] 1. झाड देनेवाला। मामक-सहा . [सं०] जली हुई ईटा झावा। झाड़, बरदार । २. भगी। मेहतर । चमार । झामर'-सा पुं० [सं०] १. टेकुमा रगड़ने की सान । तकंशाण। भाइ दुमा-सदा पुं० [हिं० झाडून दुम ] वह हाथी जिसकी दुम सिल्ली । २ स्त्रियों का पैर में पहनने का एक गहना जो पेजनी झाद की तरह फैली हो । ऐसा हायी ऐबी गिना जाता है। की तरह का होता है। भाड़,यरदार-सञ्ज्ञा पुं० दि. झाड+फा० बरदार १ वह जो झाड़, देता हो । २. चमार । भगी। मेहतर। झामर-वि० [सं० प्रयामल, प्रा. भामर] मलिन । सांवला। झांवर | उ.--एव भेल विपरीत झामर देहा। दिवसे मलिन मारवाला-संश पुं० [हिं० झाड़+ वाला ] १. वह जो झाद देता जनु चाँदक रेहा ।-विद्यापति, पू. १३३ । हो । झाडू बरदार । २ भगी, मेहतर या चमार। झाए-सहा पुं० [९० ध्यान, प्रा० माण] १. प्रत करण मे उप- मामरम्मरकु.-सच्चा श्री० [अनुध्व.] चमक दमक। धूमधाम । कामरफूमर-स स्थित करने की क्रिया या भाव । मानसिक प्रत्यक्ष । ध्यान। भूठा प्रपच । ढकोसला । 10---दुनिया झामरझमर मरुझी। -कबीर० स०, पृ.४१। २. हठयोग के अनुसार वह साधना जिसमें घरीर के भीतरी पाच वरवों के साथ पचमहाभूता का ध्यान करके उन्हें मध्वं मामलि -वि० स्त्री० [सं० श्यामल, पा० झामर] दे० कामर'। में स्थित किया जाता है। उ.--सामरि हे झामरि तीर देह, की कह के सयं लाएलि माठी-समा धी० [सं० ध्यातृ, प्रा. माती या देष] ध्यान नेह-विद्यापति, मा०२, पृ० ५६ । करनेवाला । पितक। उ०-खटित निदा मल्प पहारी। मामा- पु.10 श्यामल, प्रा. मामल] भावा' । उ०-गरीर भाती पावै भनने बारी-माण, पृ. ८। का पसीवा शरीर पर सूख कैदियों की स्वचा कड़ी भौर झामे झापा -सझा पुं० [हिं० कोपना ] गोपन । छिपाव। उ०- को तरह खुरदुरी हो गई।--भस्मापुत०,५०२०। मातर दुतर नरि, से कह जएवह तरि, प्रारति न कर मामी-वि० स० [हिं० झाम ] धोखेबाज । चाखाकात। भाप ।-विद्यापति, पृ. १५८ । जिन मत्र न फोक झानी। झूठिन वादि न परतिय- क्रि०प्र०करना। गामी । --पाकर (शब्द)। मापद-सश गुं० [सं० चपेटा थप्पड़ । पाका । लप्पड । तमाचा माय माय-यश श्री. [ मनु० ] १ झनकार । झन् झन् शब्द। फि०प्र०--मारना ।—लगाना । २. सन्नाटे में हवा का सन्द । वह शब्द जो किसी सुनसान