पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२०४

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मुमबना हो। झोंटेवाला । जटावाला। दे० 'झोटग'। उ०-जोगिनी इसमें पफटने के लिये एक उडी होती है जिसके एक या दोन झुद्र ग मुड मुड बनी तापसी सी तीर तीर वेठी सो समरसरि सिरोपर पोला गोल लट्ट होता है। इसी लट्ट में ककट या खोरि के।-तुलसीप०, पृ० १६५। किसी चीज के छोटे छोटे दाने भरे होते है जिनके कारण उसे मुद्र -सक्षा पुं० [सं० यूप, हि० जुट्ट] गिरोह । । १०- हिलाने या बजाने से मुन अन धन्य होता है। छोही भरि छुट्टे केसो खुट्टे भट्टक मुद्दे भुव लुट्ट।-सुषान, मुनमुनाना'-कि. म. [अनु०] मुन मुन शब्द होना। घर के पृ०३१। जैसा शोसना। मुट्ठा-वि० [हिं० भूठा ] दे॰ 'झूठा'। मुनमुनाना-क्रि० स० अन मुन शन्द उत्पन्न करना । झन झन बन्द मुठकाना-क्रि०स० [हिं० अठ] १ झूठी बात कहकर मपया किसी निकालना। प्रकार (विशेषत बच्चों प्रादिको) धोखा देना। २.० मुनमुनियाँ'-सपा जी [भनु० ] सनई का पोषा। 'झुठलाना'। मुनमुनियाँ२-- सपा स्त्री भनु०] १. पैर में पहनने का कोई मामू- झठलाना-क्रि० स० [हिं० झूठ+लाना (प्रत्य॰)] १, झूठा ठह- पण जो भुन गुन ।न्द करे । २.वेडी। निगह । राना। झूठा प्रमाणित करना । झूठा बनाना । २. झूठ कहकर क्रि०प्र०-पहनना ।-पहनाना। धोखा देना । झुठकाना। मुनमुनी-सपा स्त्री० [हिं० सुनमुनाना ] हाप पा और बहुत देर अठाईए-सा स्त्री० [हि झूठ+पाई (प्रत्य॰) ] झूठापन । तक एक स्थिति में मुड़े रहने के कारण उसमें उत्पग्न एक पसत्यता । झूठ का भाव । उ०—(क) पानि परत नहि साँच प्रकार की सनसनाहट या क्षोभ । २३ 'मुनभुना' । मुठाई धेन चरावत रहे मुरैया । —सूर (शब्द०)। (ख) मुनी-सपा स्त्री [ देश० ] जलाने की पतलो जो ! माघि मगन मन व्याधि विकल वन पचन मलीन झुठाई। मुनुक -सा पुं० [ मनु.] सुन सुन बजने की मावाज। च.- -तुलसी (शब्द०)। अनुक अनुक वह पानि की ओलनि। मधुर ते मधुर सुतुतरी मठाना-क्रि० स० [हिं० झूठ+माना (प्रत्य०) ] झूठा ठहराना। बोलनि । नद०, १०२४५ । मूठा साबित करना । मुठलाना । मुन्नी-सक्षा बी० [मनु.] दे० मनमुनी---21 उ.-पार्यो में मुलामुठी-क्रि० वि० [हि. मठ ] दे० 'झूठामूठी'। मुन्नी पड़ गई।-चिप्सी, पृ. १३० । फठालना-क्रि० स० [हिं०] १. दे० 'झुठलाना'। २.दे० 'जुठारना। मुपपी-सपा मी० [देश॰] दे॰ 'मुरगे'। मन-सञ्ज्ञा सी० [ देश०] 1. एक प्रकार की चिड़िया। २ दे० मुपरी-सबा भी० [देशी झपटा } दे. 'झोपड़ो'। उ०-सापुन 'मुनझुनी'। की सुपरी भली ना साफट को गांव । पदन को कुटकी भसी मुनक -सभा पुं० [ अनु० ] मपुर का शब्द । ना बवूल बनराव-वीर (शब्द०)। अनकना -कि. प्र. [ मनु० ] झन झन सन्द करना। मुन जुन मुप्पा-सया पुं० [ मनु०] १. दे० 'झुवा' । २. दे० 'झुर'। बोलना या बजना। अयमयी-सश [देश॰] एक प्रकार का गहना जो देहाती मनकना -सवा पुं० [अनु० ] दे॰ 'झुनझना। स्त्रियो कान में पहनती है। मनका -संश पुं० [हिं०] १. घोसा । छल । २ दे. 'मुनमुना' ममक-सश [हि.]. "झमर'। 30-पाच रागिनी झमक 30--दुनो मोर झुनका झुन मुन बाजे, ताहाँ दीपक ले पारी। पपीसो, छठप परम नगरिया ।-धरम, पृ० ३४॥ -सं० दरिया, पृ.१०६।। झुमका-सा पुं० [हि. मुमना] १.कान मे पहनने का एक प्रकार अनकार'gt-वि० [हिं० मीता ] [त्री० अनकारी ] झिमरा। का झूलनेवाला गहना पो छोटी गोल कटोरीकेभाकार का पतला। मीना। महीन । चारीक। उ०-मंगिया मुनकारी होता है। उ-सिर पर है चंदवा शीश फूल, कानों में मुमके खरी सितजारी की सेदकनी कुप दू पर लौं।-(शम्द०)। रहे भूल । -प्राम्या, १०४० । मुनकारा-सा की [हिं० झनकार ] दे॰ 'भकार। विशेप-इस कटोरी का मुह नीचे की भोर होता है और इसकी मुनमन-सया पुं० [ मनु.] अन झुन शब्द को नूपुर प्रादि के बजने पंदी में एक कुंदा लगा रहता है जिसके सहारे यह कान में से होता है। उ०-मरुन तरनि नख ज्योति जगप्रगित सुन नीचे की मोर सटकती रहती है। इसके किनारे पर सोने के अन करत पाय पैजनियां। -सूर (शम्द०)। तार में गुये हुए मोतियों मादि की झासर सपो होती है। वह मुनमुना-सा पुं० [हिं० सुन सुन से मनु.] [खो मल्पा० मुनमुनी] सोने, चांदी या पस्पर आदि का पोर सादा तथा जमक भी बच्चो के खेलने का एक प्रकार का खिलौना जो धातु, काठ, होता है । यह अकेला भी कान में पहना जाता है मौर करण- ताट पत्तों या कागज मादि से बनाया जाता है। घुनघुना। फूल के नीचे लटकाकर भी। उ०-कबहुंक ले झुनझुना बजापति मीठी बतियन पोस। २. एक प्रकार का पौधा जिसमें अमके के प्राकार के फूल लगते भारतेंदु ग्रं०, मा० २, पृ० ४६७ । है। ३ इस पौधे का फूल । विशेष—यह कई माकार पर प्रकार का होता है,पर साधारण मदना -क्रि. प० [हिं० झूमना ] दे॰ 'घुमरना'। उ०-रदे