पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२१

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जंजीर
जंतु
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फर सी जाती है और यह केवल फसीदे पौर सईकारी में पाट में गुथे होते हैं। कठुला। तावीज । ५ यंत्र जिससे काम माती है । लहरिया। वैद्य या रासायनिक तेल या पासव पादि तैयार करते हैं। क्रि० प्र०-हालना । ६ चतर मंतर | मानमविर । पाकाशलोचन 11७ पस्थर. जजीरि@--वि० [हिं० जजीर+६] जजीरदार। जिसमें अजीर मिट्टी आदि का यहा टोका । ८ वीणा। बीन नामक लगी हो। बाजा। जजीरी-वि० [फा. जजीरी 1१ जजीरेदार। २ जजीर में जंतर मंतर-मा पुं० [हिं० यन्त्र मन्त्र पत्र मत्र। टोना बंषा। वदी (को०] । टोटका । बादू टोना । २ माकाशलोचन । मानमदिर जहाँ मुहा०-जजीरी गोला-तोप के वे गोले जो कई एक साथ ज्योतिषी नक्षत्रों की स्थिति, गति भादि का निरीक्षण जखीर में लगे रहते हैं। ये साधारण गोलों की अपेक्षा अधिक फरते हैं। भयानक होते हैं। जंतरा-साली [सं० पन्त्री ] एक रस्सी जो गाही के ढांचे पर जजीरेदार-वि० [हिं० जजीरा+दार ] जिसमें जजीरा पडा फसी या तानी जाती है । जत्रा। हो । जजीरा डाला हुमा । लहरियादार । जंदरी-सहा श्री० [सं० यन्त्र ] १ छोटा जंता जिसमे सोनार तार विशेष-यह केवल सिलाई के लिये प्रयुक्त होता है। जैसे, जंजीरे- बढ़ाते हैं। वि० दे० 'जता'-२ दार सिलाई। मुहा०-जंतरी में स्वींचना- (१) तारों को जंते में डालकर जट-संका पुं० [म० ग्वाह ठ] बिला मनिस्ट्रेट के नीचे का पता मोर लंगा करना । (२) सीधा करना । दुरुस्त करना। सिवीलियन मजिस्ट्रेट । जंट मजिस्टर। कज निकालना । टेढ़ापन दूर करना । जटिलमैन-सज्ञा पुं० [अ०] १ भलामानुस । सभ्य पुरुष । २. २ पत्र । तिथिपत्र । एक तरह का पचाग । उ०-मेरे यहाँ की अंगरेजी चाल ढाल से रहनेवाला प्रादमी । उ०-सुम लोग सग्रह की जतरियों यादि को देखफर ही यह बात लिखी पनी जटिलमैन से ट्रीट करना बिलकुल नहीं जानता।- है।सुदर० प्र०, मा० १ (जी०) पृ० १२१ । प्रेमघन॰, भा०२, पृ० ७६ । जंतरी-सचा पुं०१ जादूगर । भानमती । २ वाजा बजानेवाला । जंट-सपा पुं० [ देश ] एक जगली पेड जिसे सांगर भी कहते हैं। वाद्यकुशल व्यक्ति । त•-विना जतरी यंत्र वाजता गगन इसकी फलियों का प्रचार बनाया जाता है। उ०-ले, मे। -पलटू., पु०६४ पील, पाक पौर जैट के कुडमुडाए पृक्ष ।-शानदान, जंता-समा पु० [सं० यन्त्र] [सी० जती, जठरी ] १. यंत्र । पृ०१०३। फल । जैसे, जंताघर । २ सोनारो पौर तारकों का एक नंहल'-वि० [हिं० जट+ एल (प्रत्य०) १ प्रधान । वहा । २. भौजार जिसमें सलकर वे तार खींचते हैं। स्वस्थ । तदुरुस्त । हट्टाकट्टा । विशेष-यह पोजार लोहे की एफ लवी पटरी होती है जिसमें जल --सज्ञा पुं० [म. जनरल ] सैनिक अफसर । नायक । बहुत से ऐसे छेद कई पक्तियों में होते हैं जो क्रमश छोटे होते उ०-झलकारी ने टोकने के उत्तर में कहा-हम तुम्हारे जाते हैं। सोनार सोने या चौदी के तारों को पहले बड़े __जल के पास जाता है।-झांसी, पू०४३५। छेदों में, फिर उससे छोटे छेदो मे, फिर और छोटे छेदों में जंत -सचा पुं० [सं० जन्तु ] प्राणी । जीव । जतु । १०- क्रमानुसार निकालकर खींचते हैं जिससे तार पतले होकर कर्महि करि उपजत ये जत । कर्महि करि पुनि सवकों अंत । बढ़ते जाते हैं। -नद० प्र०, पृ० ३०६ ।। जंता-वि० [सं० यन्त्रि (= यता) यत्रणा देनेवाला । दह देनेवाला । यौ०--जीवजत = जीव जतु । उ०-(क) जीवजत धन विधन बन शासन करनेवाला । उ०-साफिनी हाफिनी पूतना प्रेत जीव जीव बल छीन । -पू० रा०, ६ । २२। (ख) जा दिन बैताल भूत प्रथम जूष जता ।-तुलसी प्र०, पृ० ४६७ । जीव जत नहीं कोई। -रामानद, पृ० १२ । चंता-सचा पुं० [सं० यन्ता] मश्वरप का वाहक । सारथी उ०- जन-सा पुं० [सं० यन्त्र, प्रा. जत ] यत्र। तांत्रिक यत्र। जाकी तू भयो जात है जता। प्रठयों गर्भ देरो हता।- जंसर। नद००, पृ० २२१ । यो०-जत मत = जतर मतर जंता -मक्षा पुं० [सं० जनित जनिता ] [स्रो जती ] पिता। जंतर-सक्षा पुं० [सं० यन्त्र, प्रा. जंत्र] १. कल । मौजार । यत्र । २ वाप। __सांत्रिक यत्र जंदी-सपा सी० [हिं० जता] छोटा जता जिससे सोनार बारीक पौ०-जसर मदर। तार खींचते हैं। जतरी । ३. चौकोर या लची ताबीज जिसमें तांत्रिक यंत्र या कोर टोटके जती-संा श्री० [सं० जनित>अनिता, या हि० जनना ] की वस्तु रहती है। इसे लोग अपनी रक्षा या सिद्धि के लिये माता । । पहनते हैं । उ०-जसर टोना मूड हिलावम ता को सांचन जंतु-सपा पुं० [सं०] १. जन्म लेनेवाला जीव । प्राणी।जानवर। मानो।-चरण पानी, पृ० १११। ५ गले में पहनने का यो०-जीवजंतु-प्राणी। जानवर । 'एक महना विसमें चाँदी या सोने के चौकोर या लवे ट्रकडे २. महाभारत के अनुसार सोमक राजा का एक पुष जिसकी चरबी