पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

टपरा १८७२ टर टपरा"---सका पु० [हिं० तोपना] [स्त्री-टपरी, टपरिया ] १ +१३ एक प्रकार का ठेका जो सिलवाहा वान पर बजाया छप्पर घावन । २ झोपडा। जाता है। १४. एक प्रकार का हक या काँटा। टपरा-सहा पुं० [हिं० टप्पा 1 छोटे छोटे खेतों का विभाय। टब'-सधा पुं० [म.] पानी रखने के लिये नाद के प्राकार का टपरियाg+-सका वी० [हि. टपरा] झोपड़ी। मईया। घास- खुला बरतन । फूस का मकान । टब-हा पुं० [सं०] जलाने का एक प्रकार का लप जो छत या टपाक@+-वि० [हि. टप टप से। शीघ्र। उ०-ऐसे तोहि काल किसी दूसरे ऊँचे स्थान पर लटकाया जाता है। माइ लेगी टपाकि दै।-सुदर प., भा॰ २, पृ० ४१२ । टबलना -सधा पु० [?] चताचली की स्थिति । भहाप्रयाण की टपाटप-फि० वि० [मनु, टपटप ] १. लगातार टपटप शब्द के स्थिति होना। उ०-खार जुदाई धवला, अब तो इधर भी साप ( गिरना )। बराबर बूंद बूद करके ( गिरना )। टवखा । ब्रज० प्र०, पृ० ४३। जैसे,-छाते पर से टपाटप पानी गिर रहा। २ भट पट। टबूकना-कि० म० [हिं० टपकना ] टपकना । टप टर करके जल्दी जल्दी। एक एक करके शीघ्रता से । जैसे,--बिल्ली गिरना। उ०-हियडर बादल छाइयत, नयण टबूकई मेह। चूहों को टपाटप ले रही है। -डोला०, दू० ३६०। टपाना-क्रि० स० [हिं० तपाना] १.बिना दाना पानी के रखना। टब्बर-सक्षा पुं० [सं० कुटव ] फुटुब । परिवार । (पजाब)। बिना खिलाए पिलाए पढ़ा रहने देना। २ व्यर्य आसरे रमकना-कि०म० [हिं० टमकना ] बजना। शब्द करना । में रखना । निष्प्रयोजन बैठाए रखना । व्यर्थ हैरान करना । उ०-टमकत तवल टामक विहद्द। ठमकंठे टाम विनु भुव टपाना-क्रि० स० [हिं० टाप ] कुदाना । फंदाना । गरद्द । -सुजान०, पृ० ३८ । टप्पर-सहा पु० [हिं० ठोपना ] १ छप्पर । छाजन । स्मकी---सक्षा श्री० [ सै० रहार छोटा नगाड़ा जिसे बज कर किसी मुहा०-टप्पर उलटना-दे० 'टाट उलटता'। प्रकार की घोषणा की जाती है। डगडगिया। २. दे॰ 'टापर'। टमटम-सज्ञा बी० [सं० टम ] दो ऊंचे ऊँचे पहियो की एक खुली हुलकी गाडी जिसमे एक घोडा लगता है और जिसे टप्पा--सज्ञा पुं० [सं० स्थापन, हि० थाप, टाप], किसी सामने फेंकी हुई वस्तु का जाते हुए बीच बीच में भूमि का स्पर्श । सवारी करनेवाला अपने हाथ से होता है। उछल उछकर जाती हई यस्तु का बीच में टिकान। पैसे,- टमठी-संज्ञा स्त्री॰ [देश० ] एक प्रकार का बरतन । उ०-गष्ण गेंद कई टप्पे खाती हुई गई हैं। अरु माधार भतं के बहुत खिलौना । परिया टमटी असरदान मुहा०-टप्पा खाना=किसी फैकी हुई वस्तु का बीच में गिरकर रुपे के सोना ।-सुदन (शब्द॰) । जमीन से छू जाना और फिर उछलकर मागे पढना। टमस-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [म० तमसा ] टोस नदी । तमसा । २ उतनी दूरी जितनी दूरी पर पर कोई फेंकी हुई वस्तु जाफर टमाटर- सद्या पुं० [अ० मेटो ] एक प्रकार का फल जो पड़े। किसी फेंकी हुई चीज की पहूंच का फासला । जैसे, गोली गोलाई लिए हुए चिपटा तथा स्वाद में खट्टा होता है। का टप्पा । ३ उछाल । कूद । फाँद । फलाँग । विलायती भटा। मुहा०-टप्पा देना= लवे लंबे डग वढ़ाना । कूदना । विशेष-यह कच्चा रहने पर हरा और पकने पर लान हो जाता ४ नियत दूरी । मुकरर फासला। ५ दो स्थानों के बीच पढ़ने- है तथा तरकारी, चटनी, जेली आदि के काम प्राता है। वाला मैदान । जैसे,—इन दोनो गाँवों के बीच में बाल टमुकी-सम खी० [हि.] दे० 'टमकी' । का बडा मारी टप्पा पडता है।६ छोटा भूविभाग जमीन टर--सञ्चा स्त्री॰ [ अनु० ] १ कर्कश शब्द । कर्कश वाक्य । करणंकटु का छोटा हिस्सा। परगने का हिस्सा। ७ मंतर। वीच । __ वाक्य । अप्रिय शन्द। कहुई बोली। फर्क। उ०-पीपर सूना फूल चिन फल बिन सूना राय । यौ०-टर टर। एकाएकी मानुषा टप्पा दीया प्राय । कबीर (शब्द०)। मुहा०-टरटर करना=(१) ढिठाई से वोजते जाना । प्रतिवाद महा-टप्पा देना = मतर डाखना । फर्क गलना। में बार बार कुछ कहते जाना । जवानदराजी करना । दूर दूर की भद्दी सिलाई। मोटी सीवन (स्त्रि.)। जैसे,-टर 'टर करता जायगा, न मानेगा। (२) पकवाद मुहा०—टप्पे डालना, भरना, मारना-दूर दूर बखिया काना । करना। टर टर लगाना व्यर्थ बकवाद करना । झूठमूठ मोटो भौर भद्दी सिनाई करना । लंगर गलना। बक बक करना। इतना भौर इस प्रकार बोलना जो अच्छा ६ पालकी ले जानेवाले कहारों को टिकान जहाँ कहार बदले जाते न लगे। हैं। पालकीवाली की चौकी या डाक। १० डाकखाना। २ मेढ़क की बोली। पोस्ट प्राफिस । ११ पाल के जोर से चलनेवाला वेदा । यो०-टर टर। १२. एक प्रकार झा चलता गाना जो पंजाब से चला है। ३ घमंड से भरी बात । भविनीत वचन और चेष्टा । ऐंठ।