पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२२९

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दहका जो कोश पकने के पहले ही वाले जाते है, उनका मूत कच्चा सैर कमा। वैसे,-वे संध्या को नित्य टहलने जाते हैं । ३. मौर निकम्मा होता है। परलोक गमन करना । मर जाना। २ टसर का बुना हुमा कप! संयो० कि०-बाना। टसुपा-सबा ० ० मथु, हि० यासू, मंसुमा पासू । मधु । टहलनी- श्री• [हिं. दहल+नी (प्रत्य॰)]१ टहत करने- पश्चिम) वाची । वा फरनेवाली! दासी । मजदुरनी। लोष्ठी। क्रि० प्र०-वहारा। चाकरानी । उ०--म्हांसी पकि घड़ी टहलनी भेवर कमज फुज बास लुभारे ।धनानंद, पु०३३। २ वह लकड़ी जो बत्ती मुहा०-टसुए बहाना-मूठमूठ मासू गिराना। उकसाने के लिये चिराग में पडी रहती है। टसूत्रा--संज्ञा पुं॰ [सं० पय, हि प्रामु, अम्मा ] दे॰ 'टसुभा' टहलान-यक्षा सौ [हि हपगाहजने मी AT या भाव। मुहा०-टए वहाना- दे० 'टतुए बहाना' 1 उ०-बड़ी वेगम, टहलाना-कि.१० [हिं० टहलना 11 धीरे धीरे चलाना। श्रर टसूर पोछे बहाना । पहले हमारी बात का जवाब दो। घुमाना । फिराया । २. सेर कराना। हपा मिलाना। ३ हटा -फिसाना०, मा०३, पृ. २१५॥ देना। दूर करना । ४.चिकनी चुपको पाकर किसी को टहका--- ० . टरफ ] शरीर के जोड़ों को पीटा। रव अपने साप ये पाना ।। रहकर उठनेवानी पोहा का महा.--हला ले जाना - Bड़ा ले बाना गायब करवा चोरी टहकना--कि. प.वि.टसकना] १ सरहकर दर्द करना । भरमा 11.-पेचकार, हुकूर जूता कोई पात शरीफ टहला पसकता । टोप्स मारना । २. {पी, मोम, परवी पादि फा) ले गए।-फिसाना, भा०३, पु. ४१। पांच खाकर तरल होना वा बहना । पिघलना । टहलि@t-सबा ली [हिं० टहलना] ३० टहल' । ३०-छोट सो मैंस टरकाना-क्रि० स० [हिं० टना] भाव से पिघलाना । सोहने सीगनि टहलि हरनि को गोली जू ।-नंद.०, पृ. ३३७ । टहटह -कि० वि० [२०] स्पष्टतापूर्वक । उ० टहद मू टहलुवा-सा पु० [हिं० टन ] [खौ० टहलुई, वमनी टहल बुल्लिय मोर!-१० सो०, पु० ॥ हरनेवाला । सेवक । नौकर। खिदमतगार। महा-हटा धावनी- निमंमदनी । श्वेत चांदनी। दहलुई-पाचौ.हि. हय] 1. वासी।फिकरी। लोदी। टहटहा-वि० [हिं० टटका ] टटमा । ताजा ! पाकरावी। मजदरनी। गोकरावी। २ वह लकड़ी वो बत्ती उकसाने के लिये चिराम में पड़ी रहती है। साइना'-सश [सं० तनुः (पदलाया परीर)] [बी टहनी] टहलुनी ---सधा बी० [हिं० टहलू ] दे॰ 'टहानी' । उ०-पहले वृक्ष की पतनी शाखा पानी हास। गांव में से एक लकी माई, फिर एक टहलुनी पाई, उसके टाइना-मुघा पुं० [सं० शष्ठीवाद घुटन: । वेहुना। 30-जल पीछे एक और पाई। ठेठ०, पृ. ३०॥ टहुने तक पहुँ गया या दु . ५ टहलवा-सा पु० [वि.]दे० टहलुपा 130-प्रौर सम प्रजवासी टहनी-धरा सोहिं . ना वृक्ष की बढ़त पतषी यासा।। टहलवान को महाप्रसाद लिवायो-दो सौ छावन०, भा०२, पेड़ की गल चोर पर की फोगल, पतली और लपीजी पासा जिसमें पचियो सातो जैसे, नीम की रहनी । टहल-स . वा ] नौसर । पाकर । सेवक । दहरकट्टा--रका [हिं० वर+काट ] काट का टुकड़ा जिसपर टहाका-वि० [२०] दे॰ 'टहाटद'। टकूप या तकले से सारा हुभा मृत लपेटा जाता है। यो०-- हाका प्रजोरिया = निर्मल चादनी । टहरनार-कि, प.[हिं०] दे० 'टहलना'। टहाटहा--वि० [ देश ] निर्मल । घटोला।' टहल-माल सी. हि टहलना १ सेवा । शुषा । खिदमन ।। यौ०--वाद पानी-निर्मल चौदनी। कि.प्र-करना। टरी --सशा खो• [वि. घाट, पात ] मतपय निकालने की बात । यो-टाइल टयं सेवा शुयथा । 30-~कमि हरनो घरनिए कहो । प्रयोषसिदि का ढम ! ता 1 युति । जोर तोड़। मौकरत फिरत निल दहल टई -तुमसो (स.)। मुहा-दही लगाना-जोर सोप लगाया। टही में रहना काम टारटकोर सेवा थपा। विकासने की ताक में रहना । मुहार-इल बजाना सेवा परमा। टामाटारीमको देश] घर ही घर शमा। धुगधखोरी। २. नौकरी पाझरी । काम वा । टएकड़ा-सा पुहि टहूपना ] शब्द । अनि । उ०-फाहा दहलना-कि. घ. [१] १. धीरे धीरे नाना । मद गति से भ्रमण किया टहफा, निद्रा जामीनारि--होसा, दु. ३४५ करना। धीरे धीरे दम ते हा फिरना। टहकना-क्रि०५० [मनु०] मोसना । भावाब करना। उ..... मुहा०-टहल कानाघीरे से सितम जाना । चुपचाप मन्यत्र मोर टहफा सहर पी-पी. रासो, पृ०७०। चला जाता। हट जाना । जान कर उपस्थित न रहना। टहूका-साहिफ या ठहाका १ पहेलो। २. चमरकारपणे २. कंवल जी बदलाने के लिये धीरे धीरे चलना। हुवा खाना। उक्ति । चुटकुला।