पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२४५

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टुटना १८६१ टुकड़ागदा -साकेत, . . -,' प्रत्य) पू०४०६ . पृ० ४०६। र कुर देखना। ३. रोटी का हुन् । सदा इकड़गदा--सक पुं० [हिं० टुकडा+फा० गदा] वह भिखमगा जो घर टुकनी-संशा स्त्री० [हिं०] दे.. टोकनी'। भर रोटी का टुकहा मांगकर खाता हो । भिखारी। मैंगता। टुकनी---सन स्त्री० [हिं. दक+नी (प्रत्य॰)] छोटा टुका। .. टुकलगदा-वि० १ तुच्छ । २ अत्यंत निधन । दरिद्र । कंगाल। टुकरिया-सहा स्त्री० [हिं० टुकड़ा ] छोटा टुकड़ा । "टुकली। टुकड़गदाई --संशा [हि. टुकड़ा+फा० गदा+हि. ई (प्रत्य॰)] खड। टुक । 'उ०-दरजी "मोर जे नाहि, यह बांस की दे० 'टुकड़गदा'। टुकरिया ।बज० प्र०, पृ० ५१। टुकड़गदाई-समाली टुकहां मांगने का काम । टुकरी'---सन स्त्री० [देश॰] सत्यम की तरह का एक टुकहा। - टुकड़तोड़-सधा पुं० [हिं० टुकड़ा+तोड़ना ] दूसरे का दिया हमा करो.--सका स्त्री० [हिं०] ० 'टुकड़ो।' टुफड़ा खाकर रहनेवाला भादमी । दुसरे का माथित मनुष्य। टुकुर टुकुर-क्रि० वि० [मनु०] निनिमेष । विना पलक गिराए हए । टुकड़ा-सा ० [सं० स्तोक (-थोडा), हिं० टुक, टुक + डा (प्रत्य॰)। उ.--उडुगण अपना रूप देखते टुदुर टुकुर थे।-साकेत, [स्त्री० पल्पा० टुकडी] किसी वस्तु का वह भाग जो उससे टूट फूट या कट छटकर मलग हो गया हो। खंड चिन्न मुहा०-टुकुर टुकुर ताफना= दे० 'टुकर कर देखना'। 3-चिडि- प्रश। रेजा। जैसे, रोटी का टुकड़ा, फागज या कपड़े का। याएं सुख से घोंसलों में बैठी टुकुर टुकुर ताकती।-प्रेमधन टकहा, पत्थर या ईट का टुका।। भा० २, पृ० १९ । टुकुर टुकुर देखना सखचाई हुई दृष्टि से मुहा०-टुकड़े उड़ाना-काटकर कई भाग करना । ट्रफर करना - या विवशता के साथ किसी वस्तु या व्यक्ति की पोर देखना।। काटकर या तोड़कर की भाग करना। खड करना। टुकडे टुक्का -सम पुं० [हिं० टुकड़ा ] १ टुकड़ा।२ पौधाई भाग । टुकड़े उहाना-काटकर खड खंड करना। (किसी वस्तु को) २०-दुइ टुक्क होइ भुमि पद्ध, काय । -ह. रासो, - टुकडे टुकड़े करना इस प्रकार सोहना कि कई खह हो जायें। पूर घूर करना । खबित करना! " । टुक्कड़ा-सा पुं० [सं० स्तोक ] 'टुकडा' -- - - २ चिह्न प्राधिके द्वारा विभक्त प्रश। भाग। वैसे, खेत का टुक्करा-सधा पु० [सं० स्तोक ] दे० 'टुकड़ा।" दका। ३. रोटी का टुकड़ा। रोटी का तोड़ा हमा प्रश। दुका-सम पुहि .11 'दृकता। .. पास। कोर। मुहा०-टुक्का सा जवाब देना= दे० 'टुकड़ा सा जवाब देना। मुद्दा०-(दुसरे का)टुकडा तोहना-दूसरे की दी हुई रोटी खाना। २ चौथाई भाग या प्रशा"; .. ! .T -11- दूसरे दिए हुए भोजन पर निर्वाह करना। जैसे-वह ससुराल का टुकड़ा तोडता है । टुकडा तोड़कर जवाब देना- टुक्की-सधा श्री [हिं॰]१ छोटा टुकहा। चौथाई प्रण। दे० टकडा सा जवाब देना' टकडा देना - भिखमगे को रोटी टुगर टुगर -क्रि.वि. हि.1 2 या खाना देना। (दूसरे के टुकड़ों पर पड़ना-दूसरे की दी गर वेस्या करें सु दर बिरहा ऐन ।-सुदर० प्र०, मा०.१ हईवाकर रहना। दूसरे के यहाँ के भोजन पर निर्वाह करना। पृ० ६८३। । . . "पराई कमाई पर गुजर करना। जैसे,-वह ससुराल के टुकड़े टुघलाना-क्रि०म० [देश॰]१. चुमलाना मह में रखकर धीरे पर पड़ा है। टुकडा मांगना-भीख मांगना । टुका सा जवाब धीरे धना।२ जुगाली करना। सपना २ जुगासा करना। ".. " देनाभट और स्पट चब्दो में अस्वीकार करना । सकाच टूचकारा-सपा पुं० [हिं० टुच्चा ] निंदा । दृच्ची बांत अपव्य । नही करना । साफ इनकार करना। लगी लिपटी न रखना। उ०-तब अपने 'मुहल्ले में लौटती समय कई मसखरियां, कोरा जवाब देना। टकटा सा टोटकर हाय में देना-दे. चोलीठोली पोर टुचकारे उसे सुनने पठते । पभिशप्ता,

  • 'टुकड़ा सा जवाब देना'। टुकड़े टुकड़े को मुहताज होना

पु. १२७ ।' “मत्यात दरिद्रावस्था को पहुंच जाना। 30-मगर जए की टुच्चा--वि० [अ० तुच्छ, या देस०] १. तुच्छ ।' मोचा। नीष । सत थी सब दौलत दांव पर रख दी तो टुकड़े टुकडे को नीनाशय । छिछोरा। शुद्ध प्रकृति का। कमीना । शोहवा । --' मुद्दताज' करें तो क्या करें।-फिसाना०, भा० ३, पृ० ६२ । जैसे, टुच्चा पादमी । २ छोटा या बेनाप का (कपड़ा)। टुकड़ी-सका स्त्री० [हिं० टुकडा १ छोटा टुकड़ा। खड। टुटका-सहा (० [हिं॰] दे॰ 'टोटका'। जैसे, एक टुकष्ठी नमक, काँच की टुकडी । २. थान । कपडे चा खा[ मनु.] चिहियो मेसो ... काटुकमा ३ समुदाय । मउली। दल। वैसे, यारों की टुटुट्स की ध्वनि । उ०-है चहक रही चिड़िया टी वी 'टी-दृटुट् । टुकडी। ४. पशु पक्षियों का दल । अँड । गोल । जत्या। युगात, पृ०१६। जेसे, कबूतरों की टुकडी। ५ सेना का एक प्रश। हिस्सा। कपनी। लियो का लहंगा। ७ कार्तिक के स्नान का टुटना -क्रि० प्र० [हिं०1 दे० 'टटना'। .... मेला। चितु उत ही रहतु टुटी लाज की लाव। अंग अग छजि मौर टुकना-सदा पुं० [हिं०] दे० 'टोफनी'। मैं भयो भौंर की नाव ।-विहारी र०, दो० १०॥ टुकना-सा पु० हि टुकाना (प्रत्य०) ] टुकड़ा । टुका। टुटना-वि० [हि] [वि॰ स्त्री टुटनी ] टूटनेवाला।