पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२४६

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दुटनी १८८३ . . . दृधनो-सबा बी०[हि. टोंटी ] झारी या गड़वे की पतली नली। दुनाका-साली [सं०] तालमूली। छोटो टोंटी। दुनियाँt-सा श्री. [सं० तुएड ] मिट्टी का टोंटीवार बरतन । दुटपुजिया-वि० [हि. टूटी+पूषो] थोडी पूंजी का। जिसके दुनिहाई-सक्षा श्री० [हिं०] दे० 'टोनहाई'। उ०-दुनिहाई सब पास किसी काम में लगाने के लिये बहुत थोड़ा धन हो। टोर में रही जुनौति कहाय । सुती चि पिय माप त्यों करो दुटरूँ-सक्षा पं० [ मनु० ] छोटी पटुको । छोटी फास्ता । भदोखिल प्राइस-बिहारी (पन्द०)। मुहा०-टुटर साम्पमा । एकाकी। दुनिहाया-सबा पुं० [हिं०] ३० 'टोनहाया। टर -संक्षा बी. [धनु.] पडफो के बोत्तमे का चन्द । उकी टन्ना-सा पुं० [सं० एड] वह नाल जिसमे फल लगते हैं और या फास्ता की धोनी । लटकते हैं। पैसे, कद का टुया । -वि०१ पला । एकाकी। जैसे,-सब लोग अपने अपने टपकना- किप० [अनु.]१ धीरे से काटना या मारना। घर पए है, मैं ही टुटहूं रह गया हूँ। २. मुबला पतला।। २ किसीसे विरत धीरे से कुछ कह देना। मुगवी गाना। कमजोर । जैसे,—-धारे टुटर ९ मावमी कहाँ तक करें। पर्वाचित पसे बीच में पड़ना । टहा-वि० [हिं० टूटना] [वि० श्री हुटही दूग हुमा । २. संयो० कि०-देना। टूटे (हाय मादि ) पाला। २ वातिवहिष्कत। दुबी-सभा सी० [हिं० टूबना ] गोता। सुनी। उ०-टुबी देई टटाना-पि. EिO टूटमा का प्रेरणा.] टूग्वे के विपे प्रेरित पाण में, ठिो इंझेई।-वाद०, पृ. ६७ करमा। दुरावा देना। ३० बर को वारण पपई, काजे दुमकना-कि० म. [ मनु.] दे० 'टपकना'। वारे को दटा दिया ।-मना, १०३८ । दुम्मा--सबा पुं० [ देश.] रुपए पाने की एक गैरमामूली रसीव । टुटाना-सश श्री. देश०] चमड़ा मढ़ा हुमा एक. बाजा। दरन -कि. अ० [पं.दुर ] चलना । उ०-शिवशति सरोवरि दुटियन-वि० [हि टूट+इयस (मस्य०) ] 1. टूटा फूटा हुमा या संत समाने, फिरन टुरन के गवन मिटाने ।-प्राण, पृ०६५। टूटने फूटनेवाला । जीर्णशीर्ण। २.कमजोर । निर्बल । दर्रा-सपु.[१] १. टुफड़ा। उली। दाना। रवा । कण। २. टुहार-संक्षा पुं० [देश॰] एक चिड़िया का नाम । मोटे अनाज का दाना । ज्वार, बाजरे मादि का दाना। टुटेला-वि० हिं० टूट+पला (प्रत्य॰)] टूटा मा ।-(लश०)। टुलकना-कि०म० [हिं० ] दे॰ 'दुलकना'। टूटना -क्रि० प्र० [हिं०] दे० 'टूटना। उ०-पामो पहारे पूहदि टुलड़ा-था. { देश०] एक प्रकार का बांस जो पूरवी बंगाल फप्प गिरि सेहर इट्टइ। -कीति, पृ० १०२। पौर मासाम में होता है। टुही-संवा स्त्री० [हिं० तुडि ] १. नामि ३२ ठोढ़ी। टुसकना-क्रि० . [ हिं. ] दे॰ 'टसकना'। दही-सबा बी.[हिं० टुकड़ी] टुकडी।वी। हूँ-समी० [ मनु० ] पादने का शब्द । टनकी-मश पुं० [ देश ] बार बार मत्रस्राव होने पर उसके टूका -सबा पुं० [हिं०] दे० 'टुक' । साप धातु पिरने हा रोग। ट्रॅगना-कि० स० [हिं० टूगना] १. (चौपापों का) टहनी के सिरे टुनका-संश बी• [ देय 1 एक परबार कौडा बो धार को हामि की कोमल पत्तियों को दात से काटना । कुठरना । २. पोड़ा सा पहुँचाता है। फाहकर वानर । कुतरकर जाना। टनगा-साम [सं० तमु (= पतपा)+पम(=पमना)-सन्वा] संयो.कि-बापा!-सेना। [स्त्री० टनगी ] बाल सा टहनी के सिरे का भाग जिसकी हँगाल-वि० [.तुङ्ग] ऊंचा। पत्तिपा छोटी और कोमन होती है। रहवी का प्रपमा भाग। टाल-वि० [वि.] जिसके हाप टूटे हुप पा खराब हों। उ.-- दनगो-संवा स्त्री० [हिं० टुनपा ] अम या टहनी सिरे परका टूटा परि उठावै पर्वत पंगुल कर नस्य पहनाव।-सुपर भान जिसकी पत्तियां छोटी पौर कोमम होती है। हनी का ०, भा॰ २, पृ० १०८ । अगला भाम। -सका पुं० [सं०तुएJी . मल्पा० ट्रेशी] १. मण्या, दनदना-सहा पु० [विस०] मैदे का षषा हुमा एक ममकीन पकवान मरची, दिहे पावि कीड़ों के मुह पागे रिक्रमी हुईबाम ही जो मैदे की चिकनी लकी वसिषों को घी में तुमकर मनापा तरह दो पसली मधियां जिन्हें फंसाकर वे रक्त मावि चूसते है। २.पी, गेहूँ मादिकी नाल में दाने के कोश के सिरे बाता है। पर विकमा हुमा पास की तरह का पतला नुकोखा अवयव । दनदनाना-कि.प.हि. टुनटुन घटियों पजने की मावाज। सींग सीगुर। टुनटुन की ध्वनि । उ.-पौर ध्वनि? कितनी न जाने ट्रॅदी-सबा खी० [सं० तुएउ १ जी, गेह, पान मादि की बाल में घटियो, टुनटुनाती पी, न जाने शंख फिनने ।-हरी पास दानों के खोलों के ऊपर निकली हुई बाल की तरह पतली पृ.२.। नोस । सीगा । २. ढोढ़ी । नाभि । ३. गाजर, मूषी भादि की टुनहाया-संज्ञा पुं० [हिं०ी टुनहाई ] दे० 'टोनहाया। नोक । ४ किसी वस्तु की दूर तक निकली हई नो।