पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२४७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

दूभर टूम-वि० [ देरा०] बह मसहाय पालक जिसकी मां मर गई हो। टका--- पु. [सं० स्तोक ] टुकड़ा। खंड। उ०.--तिहि मारि कर ततकास टुक -ह. रासो, पृ.४८। यौ.--ट्रक का उ.--मन को माल पटकिट्रक टक होड जायकबीर साग, पृ०५५ ॥ मुहा.-दो दुक करना -स्सष्ट करना। किसी प्रकार का भेद न रहने देना ।-दो टुक पवार देना स्पष्ट जवान देना। साफ साफ नकार देना। काल-सा पं० [हिं॰] दे० 'दुका' 1 30-टूकड़ा टूकड़ा होई पाये।कबीर० २०, पृ० २३ । टूकर-सस [हिं॰] दे॰ 'टुका। टूका-संक पुं० [हिं. टूक] १. टुकड़ा। २. रोटी का टुकड़ा। उ.-पिद पर घर मांगहिदका। बासी कुसी खा सका। ---सुंदर० , मा. पृ. ६ ३. रोटी का चौपाई भाग। ४. मिक्षा। भीर। उ०- तन राख लगाय चाह भर,साय परन के टूका। -श्रीनिवास प्र०, पृ.९४! कि.प्र-मांगना । टूकी-संवा सौ. पहि. क] १. दुका खंरा दुकड़ा। २. अंगिया के मुतकट के ऊपर की पकती। ट्क्योल- ० [(f.)] भालु । टूट-सका सी० [सं० त्रुटि, हिं• टूटना] १ वह मथ को टूटकर मलंग हो गया हो । खरा टूटन। संयो० कि०-जाना। योटूटफूट। २. टूटने का भाव । ३. सिमावठ में वह भूल से छूटा हुमा शन्द या वाक्य पो पीछे से किनारे पर लिख दिया जाता है। उ.---प्रो विनती परितन मन भजा। टूट संवारह मेटय? सजा।-बापसी (शम्द०)। टूट-स. टोटा पाटा। कमी। मुहा०-टूट में परना-घाटे में पड़ना। हानि उठाना। कमी होना ।०-ट्रट में जाय पड़ नहीं कोई। टूटकर भी कमर न टूट सके।--पुमते०, पृ. ४७।। दार-वि० [:. टूटना] टूटचेवाला। जोर पर से मुलने पर होने- वाचा ( कुर्सी, टेवुल पादि)। टूटना-कि.प्र. [सं० त्रुट] १. किसी वस्तु का पापात, वाव या झटके के द्वारा दो या कई भागों में एकबारगी विभक्त होना । टुकड़े टुकड़े होना । अहित होना । भन्न होना। वैसे,- छड़ी टूटना, रस्सी टुटना । संयो० क्रि.-जाना। यो-टूटना फूटना। । विशेष-'टूटना' मौर पटना' क्रिया में यह प्रतर है कि फूटना खरी वस्तुओं के लिये बोला जाता है, विशेषत ऐसी जिनके भोवर अवकाश या वाली जगह रहती है। से, धड़ा फूटना, परतन फूटना, खपड़े फटना, सिर फूटना । सकती मादि'चीमढ़ वस्तुणे के लिये 'फटना' का प्रयोग नहीं होता। पर फूटना के स्थान पर पश्चिमी हिंदी में 'ट्रटना' का प्रयोग होता है, जैसे, घड़ा टूटना। २. किसी अंग के जोड़ का राज़ जाना। किसी मंग का घोट खाकर ढोखा मौर काम हो जाना । जैसे,-हाय टूटना, पैर टूटना। ३. किसी लगातार पलनेवाली वस्तु का पड़ जाना। चलते हुए क्रम का भग होना । सिलसिखा पद होगा। जारी न रहना। जैसे,-पानी इस प्रकार पिरामो कि पार न टूटे। ४. किसी भोर एकबारगी बेग से जाना। किसी वस्तु पर झपटना । मुना। ये बीस का मांस पर टूटना, बच्चे का खिलोने पर टूटना। सयो.क्रि.-परना। ५.अधिक समूह मे माना। एकबारपी बहुत सारी पढ़ना । पिस पड़ना। पैसे,दुकान पर ग्राहकों का टूटना, विपत्तिया भापति टूटना। संयो० कि०-पड़ता। मुहा०-टुट टूटकर बरसना=बहुव मधिक पानी बरसना। मुसलाधार बरसना । १. दल बांधकर सहसा भाक्रमण करना। एकबारगी पावा करना । जैसे, फौजका दुश्मन पर टूटना। संयोगक्रि०-पड़ना । ७ मनायास कहीं से मा जाना। मकस्माद प्राप्त होना।से,- दो ही महीने में इसनी ठंपरिकहाँ से टूट पड़ी? उ.-- मायो हमारे मया करि मोहन मोको तो मानो महादिपि ठो।-देव। (शब्द.)15. पुष होना । प्रसग होना। च्युत होना । मेल में न रहना। से, पंक्ति से टूटना, गवाह का टूठ जाना। संयो०क्रि--पाना। ९. सबंध घटना । लगायम रह पाना । जैसे, नाता टूटना। मित्रता टुटना। संयो० क्रि०-पाना। १०, दुर्बल होना। कुश होना। दुषमा पड़ना क्षीण होना। से,—(क) वह जाने बिना टूट गया है। (3) उसका सारा बस टूट गया। संयोकि०--जाना। मुहा०-(कुएँ का) पानी टूटना-पानी कम होना। नहीन होना। कंगाल होना । बिगर जाना । जैसे,—इस रोजगार में बहुत से महाजन टूट गए। संयो०क्रि०-बाना। १२. पलठा न रहना। बंद हो जाना। किसी सस्था, कार्यालय मादि का न रह जाना । जैसे, स्कुल टना, बाजार टूटना, कोठो टूटना, मुकदमा टूटना सयो०क्रि-जाना।