पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२५०

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टेपिन टेकना या वगल मे सगाईपाय। पढ़कन । रोका जैसे,-पढ़ेक टेकली-स . [हि.टे सीपको उठाने या मिराने नीचे टेकन पपा दो। कामौतार।-(.)। कि०प्र०-लगाना। देकान- पु. [वि. टेकना] १. टेक। वह मा पो किसी _गिरनेवासी परन पाप पारिको मानने के लिये उसक टेकना-कि० स० [हिं० टेक] । ससदे या बैठे बैठे धमके नीष पाहीकर दो पाती है। पी। २. अंधावरा या अपने लिये हरीर के शेझ यो किसी वस्तु पर पोग बहुत समा असार मापासे पपना पो पाकर मोकी और डालना। सहारे के लिये किसी पस्तुको शरीर से गाय सुस्ता है। परम दोहा।। भिमाना। सहारा लेना। डायना सेना । पाषय बनाना। टेकाना-कि.म.हि. टेरना] १ किमी कोहीबाने पैसे, दीवार पा समा टेफकर पड़ा होना। में सहायता देने के लिये पकाना। नहाकर बाने में महाप संयो। क्रि०-लेना। देने के लिये पामना । रो-पारपाईको देकर लो, भोवर २. किसी अंग को सहारे पादिके लियेही टिकाना। ठहराना या रखना। संयोजि०-ना। लेना। मुहा०-पुटने टेकना-पराजय स्वीकार करना। हार मानना। २. जठन नेपाल फिरने में सहायता देने के नियामना। माया टेकना-प्रणाम करना । दस्पद करना। ये,-ये इवने कमजोर हो गप कि दो मादी टैकार ३. पलने, पढ़ने, चठने बैठने पादि में परीर का मुध मार देने उन्ह भीतर सहरसा . से बिये किसी वस्तु पर हाप रसना पा उसको हार टेफानो-धो देकना] पहिए को रोकने की कोला पकाना। सहारे के लिये कामना। पैसे, पारपाई देशकर उठना बैठना, साठी टेककर पसना। 10-(क) गर मनु कर सेज टेकत कबई टेकत हरि -मूर (स.)। (५) टेको- पु.f.201ो शव पर शमा रहनेवाला। नापत गावत गुन को सानि। समित भए त पिय पवित्रा पररुनेराना।२ पलेवाना हो। तुराबहो। पानि । —सूर (सन्द.)। ४. पसने में पिरने पाने में जिरी । ३. पापारा टेक ! यहारा। 3.-कहिलीको सपने के लिये किसी का हाप पारना। हाप का सहारा पुनो, कवि पारो भी है।-राम• , सेना। उ.--गृह गृह गृहद्वार फिरपो तुमको प्रभु पाँ। मंघ मष टेकि पले क्यों न परे गाढ़े।-मुर (चन्द०)। टकुमा'- कुक, प्रा. सम] पसेका नापिy. t@५ टेक करना। हठ करना । ठानना। उ-खोर पर सूट काटकर सपेटा जाता है। गुमा। गोसाईजेनिषि गति की। सफर कोटारि टेक पो टेको। टेकुमा- हि.टेक. टिकाया मानेको वस्तु । --तुलसी (पन्द०)। ६ किसी को कोई काम करते हए अपन। २. सहारे को बहू सरडी को एक पहिमा विकास बीच में रोकना। पकड़ना। उ०-(क) रोवहि मातु पिता सेने पर गाय को कार ठहराए रखने के लिये नगाई पो भाई। कोउ न टेक मोकंत पनाई।-चायसी (नस)। पाती है। (ख) पनई पौटि के मिलि गए उस दुनो भए एक। रूपन टेकरा-ung.[दरा०] पान । कसत कसौटी हाथ न कोक टेक-जायसी (धन्द०)। टेकरी-साखी. [. हि. देवमा] १. फिरकी सगा हमा टेकना-यश पुं० [देश॰] एक प्रकार का जगली धान । पनाय। सुपा जिसके पुमने से फंसोई का मृत तर निसटता ठेकनी- श्री. [हिं. टेफना] टेकने का माधार, पड़ी पादि। जाता है। सुख कावने काकता। २.बारको एक उ०-उन्हीं की टेफनी के सहारे ने पल सकते है।-प्रेमपन०, पोर पर मामगाकर बनाई हुई जुत्ताहों को फिरको जिसमें मा०२,१० ३७३ । रेशम फेंगापा रहता है। ३. रस्सी बटने का कक्षा पा टेकनी-सचा स्त्री॰ [हिं० टेकन+ (प्रत्य॰)] दे० 'टेकन'। पौजार ४मारों का सूमा जिसरे तागासीनते भोर निकालते हैं। ५. मोप नामका गहना बनाने के लिये मुनारों टेकर-सा पु० [हिं० टेक] [स्त्री टेकरी] १ टीता। उठी हा को सनाई बिससे वार सीकर फंदा दिया जाता है। सुमि । २, घोटी पहाड़ी। मूर्ति बनानेवायों का पिपटो पार का एक मौजार शिसते ये टेकरा-सा पुं० [हिं० टेक] ० 'टेकर। मूर्ति का उस साफ भौर निकना करते है। टेकरी-सक्षा श्री. [हिं०] दे० 'टेकर'। उ०-यमुना मपनी पोती टेकवाल-संधo fr.1. टेकुमा। 3.--टेडवा सापत को लेकर बजरे से उतरी मोर पातु की एक जची टेकरी पनि पाये, महगे मोष विपाय।-बीर श. भा. २, कोने में चली गई:-ककाप, पु० ८६ पु. ४८1 टेकला - खी० [हिं० टेक] धुन । रद। उ०पन बन टपरना--13. प. टेपरना-मि . [हिं०] दे. 'टिपसना'। ह°1. पुका एकता, डारू गले विष मेंखला। एक नाम की है टेचिन-संचाई मं० स्टिरिंग] एक प्रकार का कोटा जिसके एक देकला, सोहबत की नई मैं क्या कह-कबीर (न्द०)। पोर माषा होता है और दूसरी भोर शिबरी होती है। पर