पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२५१

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टेटका , किसी पोज को पढ़ाने या पामने के काम में प्राता है। बिगड़ना। देवी सोपी सुनाना-कैची नीषी सुनाना । बरी -( ब)। खोटी सुनाना। भला बुरा कहना । टेढी सुनाना-३'टेदो टेटका-सं ० [सं० ताटक ] कान में पहनने का एक गहना। सीधी सुनाना। टेटुआ-सं• [हिं॰] दे० 'टेंटुवा' । उ०प्रजी अब बनाने टेढ़ाई-सा सो• [हिं० टेढ़ा ] टेढ़ा होने का भाव । टेढ़ापन । को मात तो मार है पूरी दास्तान भी नहीं सुनी और टेटुए टेढ़ाान- पुं० [हिं० टेढ़ापन (प्रत्य॰)] टेढ़ा होने का पर चर बैठे।-फिसाना०, मा० ३, पृ० १६६ । भाव। टेडही -सभा सी० [हिं• टेढा ] टेढ़ी लफडी की छडी । ३०- टढामेदा-वि० [हिं० टेदा+अनु. मेढ़ा ] जे सीमा न हो। लिये हाय में ढाल टेड्डी ।-प्राम्या, पृ० ४४ । टेढ़ा । वक्र टो-सकबी. [हिं० टेढ़ा] १. टेढ़ापन । वऋता। २.प्रका टेढ़े-क्रि० वि० [हिं० टेढ़ा ] सीधे नहीं। घुमाव फिराव के साथ। ऐंठ 1 उबडपन । नटखटी। शरारत । जैसे-वह टेढ़े जा रहा है। महा.--टेढ़ की खेना-नटखटी करना ।शरारत करना। मुहा०-टेढ़े टेढे जाना-इतराना। धर्मट करना। 30--(क) कबहूँ कमला चपल पाय के टेढ़े टेढ़े जात । कबहुंक मग मग घूरि उजडपन करना। टटोरत, भोजन को बिललात-सूर (शब्द)। (ख) टेद-वि० ० "देड़ा। जो रहीम प्रोयो बढे तो पति ही इवरात | प्यादा सो फरजी टेदविडंगा-वि० [हिं० टेढ़ा+वेढंगा] टेढ़ामेढ़ा। टेढ़ा और वेढगा। भयो टेदो टेको जात ।-रहीम (चन्द०)। देखील। टेना-क्रि० स० [हिं० टेव+ना (प्रत्य॰)] १ किसी हपियार को टेदा-वि०सं० तिरस् (=टेवा)1 [वि०स्त्री टेढी] १ जो लगातार धार को तेज करने के लिये पत्थर मादि पर रगड़ना । उ०- एक ही दिशा को न गया हो। इधर उधर मुका या घूमा कुबरी करी कुबलि कैकेई । कपट छुरी उर पाहन देई ।-तुलसी इमा । फेर खाकर गया हमा। जो सीषा न हो । वक्र । टिल ( चन्द.)। २. मुंछ के बालों को खडा करने के लिये से, देदो खकीर, दैदी छड़ी, टेढ़ा रास्ता । ऐंठना । जैसे, मुंछ देना। यो-टेढा मेढा-जो सौषा और सुडौल न हो। टेडा चौका- टेना@-सशपुं० [हिं०] दे॰ 'टेनी'। नोक झोक का।बना टना । दैल चिकनिया। महा.---टेना मारना-दे० 'टेनी मारना। उ.--करे विवेक मुहा०-टेढी चितवन-तिरछी चितवन । भावमरी दृष्टि । दुकान ज्ञान का लेना देना। गादी हैं संतोय नाम का मारे २. वो अपने मापार पर समकोए बनाता हुमान गया हो। टेना !-पलटू०, भा० १, पृ० १०.। जो समानांतर न गया हो। तिरछा । ३.जो सुगम न हो। टेनियाgt--संक खी० [हिं० टेनी+इया (मत्य० ) दे० 'टेनी'। कठिन । बस। फेरफार का। मुश्किल । पेंचोला । जैसे, उ.- काहे की रंडी काहे का पलरा काहे की मारी टेनिया । टेढा काम, टेड़ा प्रश्न, टेढा मामला। ३०-मगर घरों का कबीर १०, भा॰ २, पृ० १५ । मुकाबिला जरा टेढ़ी खीर है।-फिसाना०, भा. ३, पृ. २४ टेनिस-सपा पु० [म.] गेंद का एक प्रकार का अंगरेजी खेल। मुहा०--टेढी खीर-मुश्किल काम । कठिन कार्य । दुष्कर देनी-सकसी० [देश॰] छोटी उंगली । कार्य। महा.--टेनी मारना-सौदा तौलने मे उँगली को इस तरह विशेष---इस मुहासवष में लोग एक कृपा कहते है। एक धुमाना फिराना कि चीज कम चढ़े। ( सौदा) कम तौलना । मादमीने एक से पूछा 'खीर खायोगे? | मध ने पूछा टेलेंट-मा पु[मं०] १. किराएदार । २. पसामो। पहरेदार । 'खीर कैसी होती है ? उस मादमी ने कहा 'सफेद'। फिर रैयत। प्रधे ने पूछा 'सफेद कैसा? उसने उत्तर दिया 'जैसा बगला टेप-मश पुं० [.] फोता। होता है?' इसपर उस पारमी ने हाथ टेढ़ा करके बताया। यौ०-टेप रिकार-रिकार्ड करनेवाला वह यत्र जो बैटरी से प्रवे ने कहा-'यह तो टेढ़ी खीर है, न खाई वायगी। चालित होता है और प्रवचनों को फोते पर रिकार्य करने ४ जो शिष्ट या नम्र न हो। उक्त । स उजड्ड । दुःशील । काम पाता है। कोपवान् । जैसे, देदामादमी, देदो पात 130-टे प्रादमी से टेपारा-सहा पुं० [हिं॰] दे० 'दिपारा' । उ.--मरुन मति बलिव कोई नहीं बोलता।-(धन्द)। भाल पटिल लाल टेपारो- नद०, प्र.पु. ३६५। मुद्दा--टेढा पाना या होना=(१) उग्र रूप धारण करना । टेवलेद-सका पु०म०] १.छोटी ठिकिया । जैसे. wिare जैसे,-कुछ टेढ़े पदोगे तभी रुपया निकलेगा, सीधे से मांगने से २.परयर, हासे प्रादि का फलक जिसपर किसी की स्मृति नहीं। (२) मझबनाऐंठना । टर्राना । जैसे,--बह जरा सी में कुछ लिखा या खुदा रहता है। जैसे,-किसान सभा ने रान पर टेढ़ा हो जाता है। टेढ़ी अखि से देखना-फर दृष्टि उनके स्मारक स्वरूप एक टेवलेट लगाना निश्चित किया है। करना । शत्रुता की दृष्टि से देखना। प्रनित करने का विचार करना वश ठावदार करने का विचार करना। रेढी पाखें टेबिल-सपा पुं० [म टेवुल ] मेज । उ०--अंगरेजों माय टेदित पर खाना न खाएंगे।--प्रेमपन, भा॰ २, पृ०७। करना- कुपित इष्टि करता। क्रोष की प्राकृति बनाना। ?' इसपर उसमीर है, न खाय दुःशील