पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२५२

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टेबुल' • टेलिफोन टेजल-सश ० [40] 1 मेज । पायो । तब यह सावधान ह्व विचार करने लाग्यो !--दो सौ यौ०-टेबुल क्लाय-मेजपोध । बावन, भा० १,१० २३२ । २. नकशा। ३. वह जिसमें बहत से खाने या कोष्ठक बने हों। टेराकोटा-सबा पुं० [अ०] १. पकी हुई मिट्टी जिससे मतियां. नकया। सारिणी। इमारतों में लगाने के लिये बेलबूटे, पादि बनते हैं। २.पकी टेम-सस बी हि० टिमटिमाना] दीपशिखा । दिए फी ली। हुई मिट्टी का रग। इंटकोहिया रग । दीपक की ज्योति । लाट । १०-श्यामा की मुरति दीप की टेरिऊल-सज्ञा पुं० [म.] टेरिलिन पौर ऊन के मिश्रित धागे या सनसे टेम में दिखाने लगी।-श्यामा०, पृ० १५६ । चना वल। टेरिकाट-सबा पुं० [4. टेरिकॉट ] टेरिलिन मौर सूत के पागे या टेमर-स ० [मं• टाइम ] समय । वक्त । उनसे बना हुआ वल। टेमन--संज्ञा पुं० [देश॰] एक प्रकार का साँप । टेरिटोरियल फोर्स-सानी [अं॰] वह सैन्यदल जिसका संबष टेमा-सा पुं० [देश॰] कठे हुए चारे की छोटी अँटिया । अपने स्थान से हो। नागरिक सेना। देवरक्षिणी सेना । टेरे-सका स्त्री० [सं० तार ( =संगीत में ऊंचा स्वर)]. गाने में देशरक्षक सेना। ऊंचा स्वर । तान | टोप । विशेष-इन्हें साधारणत: देश के बाहर लड़ने को नहीं जाना क्रि० प्र०-लवाना । पड़ता। २. बुलाने का ऊंचा शब्द । पुकारने की मावाज । बुलाहट। टेरिलिन-सा पुं० [मं०] एक प्रकार का कृत्रिम रेशा या उन रेखों पुकार । हाँक । उ०-(क) टेर लान सुनि विकल जानकी से बुना हुमा वस्त्र । मति मातुर ठिधाई।—सूर (शब्द०)। (ख) कुश के टेर टेरी'- श्री. देिश- टहनी । पतली शाखा । जैसे, नीम की टेरी। सुनी बवै फूलि फिरे शत्रुघ्न । केशव (शब्द०)। टेरो-सम श्री० [हि. टेकुरी ] दरी बुनने का सूजा। देर-सा श्री० [सं० तार(= करना)] निर्वाह । गुजर। टेरो-सखी दिश०१. एक पौधा जिसकी कलियां रंगने पौर मुहा०-टेर फरवा- गुजारना। विताना। काटना। जैसे,-- चमड़ा सिझाने में काम भावी है। इसे 'बखेरी' और 'ती' जिंदगी टेर करना। भी कहते हैं । २. बक्कम की फली। टेर-वि० [सं०] तिरछी निगाह का । ऐंचाताना [को०] । टेरो-सबा खी० [देश०] सरसों का एक भेद । उलटो। टेरक-वि० [सं०] ऐंचाताना [को०] टेलपेल-सबा बी० [मनु० ] ठेवठाल। धक्कामुक्की । उ०-हम टेरना-क्रि० स० [हिं० टेर+ना (प्रत्य॰)] १. ऊंचे स्वर से लोग भी टेल पेलकर रेल पर चढ़ बैठे।-प्रेमपन, मा०,२ गाना। ताम लगाना । २. बुलाना । पुकारना । होफ लगाना। पु० ११२। 30--(क) भई सांझपनमी टेरत है कहाँ गए पारो टेलर'-वि० [?] नाम मात्र को। कहने भर के लिये । उ०—उन्हें भाई।-सूर (पम्द०)। (ख) फिरि फिरि राम सीय तन देलर हिंदू कहलाने की अपकीति से बचाना-प्रेमघन०, मा. हेरत । तृषित जानि जल लेन लखन गए, भुज उठाय के चे २, पृ०२५७ । चढ़ि टेरत-तुलसी।-(धन्द०)। टेलर-सबा पुं० [म दर्जी। सीने का काम करनेवाला। टेलिग्राफ-सहा पुं० [भ] तार जिसके द्वारा खबरें भेजी जाती हैं। टेरना-क्रि० स० [सं० तीरण ( = करना)] १. करना। चलता दे० तार'। करना । निवाइना । पूरा करना । जैसे,—पोडा सा काम मौर टेलिग्राम-सवा पु० [अ०] तार से भेजी हुई खबर । तार । रह गया है किसी प्रकार टेर ले चलो। २ बिताना। गुजारता । काटना। पैसे,—वह इसी प्रकार जिंदगी टेर से ट टेलिपैथी-सच बी० [१०] वह मानसिक क्रिया जिसके द्वारा दूसरों की भावनामो का ज्ञान होता है। जायगा। टेलिप्रिंटर-सहा पुं० [अ०] विद्युत् सचालित वह टाइपराइटर या सयोकि०-- चलना 1 -ले जाना। टकण यत्र जिसमें तार द्वारा प्राप्त समाचार मावि अपने माप टेरनि -सा पी.हिटेरना] टेर। पुकार । उ०-हरि को ठकित होते हैं। सो गारनिवेरवि टेरनि बर झेरनि । द. पं०, पू० २६ । १६. टेलिफोटोग्राफी--सबा श्री० [म.] दरवीक्षण यंत्र द्वारा फोटो लेना। सो रेखा-सबा पु० [देश॰] हक्के को नली जिसपर चिलम रसो टेलिफोन-सा [म.] वह यत्र जिसके द्वारा एक स्थान पर जाती है। कहा हुमा शब्द कितने ही कोस दूर के दूसरे स्थान पर सुनाई टेरा सम ?] १. ढेरा। पंकोल का पेड़। २. पेड़ों का धड़। पडता है। सदा। वृक्षस्तमा पैसे, केले का टेरा। ३. शाखा । जैसे- विशेष-इसकी साधारण युफियह है कि दो पोंगे लो जिनका छापी के लिये टेरा काटना है। नह एक मोर कागज, चमड़े भावि से मढ़ा हो तथा दूसरी टेरा-वि० [सं० टेर] पेंचाताना । टेपरा । भेगा। मोर खुला हो। मढ़े हुए चमड़े के बीचोबीच से लोहे का देरा--सच पुं० [हिं० टेरवा ] बुसावा। उ०-पाछे टेरा एका सार ले जाकर दोनों पोंगों के बीच सगा दो। ठाकत