पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

टोकनी १६०१ टोदी पानी रखने का धातु का एक बड़ा परतन। एक प्रकार मोड़ी देर भी न बैठना। तुरत बमा जाना । जैसे,—पोड़ा का हडा । बैठो, क्या टोटका करने भाईबी? -स्त्रि.)। टोटका टोकनी-संशा खो [हिं. टोकना] १. टोकरी। अलिया। उ०- होना-किसी बात का पटपट हो जाना। किसी बात का प्राज के दिन छोटी छोटी टोकनियों में अनाज बोया जाता ऐसी जल्दी हो जाना कि देखकर पाश्चर्य हो। है मौर देवी के गीत गाए जाते हैं। शुक्ल• पनि २.काली हाड़ी जिसे खेतों में फसल को नजर से बचाने के लिये पृ० १३८।२. पानी रखने का घोटाहा। ३. बटलोई। रखते हैं। देगची। टोटकेहाई-सज्ञ सी० [हिं० टोटका+ हाई (प्रत्य॰)] टोटका करचे- टोकरा-मध पु० [३] [ो टोकरी बांस की चिरी हुई फट्टियों, वाली । टोना या जादू करनेवासी। टोटल- सम पु००] बोड़ा ठीक । मोबान । हमा गोल और गहरा बरतन जिसमें पार, तरकारी, फल पाधि रखते हैं। छावड़ा ।रला । झापा । खाँचा । मुहा०--टोटल मिलाना-जोड़ ठीक करना । मुहा०-टोकरे पर हाय रहना- इज्जत बनी रहवा । परदा टोटा-सधा पुं० [सं० तुएर १ बाँस मादि का कटा हुमा कहा। नसुखना । मरम बना रहना। २. मोमबत्ती का जलने से बचा हुमा टुकड़ा। ३ कारतूस । ४. एक प्रकार की मातशबाजी। टोकरियाई-सको हि० टोकरी का पल्पा०] दे० टोकरी'। टोटा-सा पुं० [हिं० टूटना, टूटा] १. घाटा । हानि। उ०- टोकरी-सका स्त्री.हि. टोकरा] १. छोटा टोफरा। छोटा उखा लेन न देन दुकान न जागा । टोटा करज ताहि कस वागा |- या छाबड़ा । झापी । झपोली। २. देगची । बटलोई। घट, पृ० २७५। टोकवासका ० देरा०] पाती लड़का । नटखट लड़का । क्रि० प्र०-नठाना ! -सहना। टोकसी-तमा बी० देश०] नरिपरी। नारियल की प्राधी सोपड़ी। मुहा०-टोटा देना मा भरना=नुकसान पूरा करना । घाटा टोका-सकस दिश०] एक कीड़ा जो उद की फसल को नुकसान पूरा करना। हरजाना देना। पहुंचाता है। २. कमी । मभाव । जैसे,—यहाँ कागज का क्या टोटा है। टोका-सबा पुं० [हिं०] दे० टोंका। क्रि०प्र०--पड़ना। यो०-टोकाटोको - बापा । टोकटाक। टोटि -सबा की० [हिं०] श्रुटि । गलती। उ.--कोटि विनायक टोकाना+-क्रि० स० [हिं० दे० 'टिकाना-४'। उ०-इहि विधि जो लिखें, मदि से कागर कोटि। ता परि तेरे पीय के गुन पारिटकोर टोकावै।--कवीर सा०, पृ० १५८४ । नहिं पावै टोटि ।-नद००, पु.९१ टोकारा-सा पुं० [हि. टोक] वह सकेत का शब्द जो किसी को टोड़ा-सबा पुं० [सं० तुएड] चोंच के प्राकार का गढ़ा हुमा काठ कोई बात चिताने या स्मरण दिलाने 2 लिये कहा जाय। का टेढ़ हाथ लंचा टुकड़ा जो घर की दीवार से बाहर की इचारे के लिये मुंह से निकाला हुमा शब्द । मोर पक्ति में बढ़ी हुई छाजन को सहारा देने के लिये बयाया टोट-- ० [हिं०] दे. 'टोटा'। उ०-रोम रोम पूरि पीर, जाता है। टोंटा। न्याकुल सरीर महा, धुमै मति गति प्राम, प्यास की न टौठ । छ टोडी-सहा स्त्री० [स० त्रोटकी] १. एक रागिनी जिसी गाने का है।-धनानंद, पृ०६६ । समय १० दर से १६ दर पर्यंत है। टोटक -संज्ञा पुं० [सं० त्रोटक दे० 'टोटका' -स्वारय के विशेष-इसका स्वरमाम इस प्रकार है-सरे ग म प ध नि स साचिन तज्यो तिजरा को सो टोटक, भौचट उलटि न हेरो। सनि प म ग ग रे सा रे सा नि स नि ध नि से -तुलसी प्र०, पृ. ५६३ । गरे सनि स नि ध प ग ग मरे गरे स रे नि सनि टोटका-सा त्रोटक] किसी बाधा को दूर करने या ५ स रे ग म प ध प प। मग म ग रेस नि स रे रे । किसी मनोरथ को सिद्ध करने के लिये कोई ऐसा प्रयोग जो नि घ घ घ निस। हनुमत मत से इसका स्वरग्राम पह किसी प्रलौकिक या दैवी शक्ति पर विश्वास करके किया है-म प ध नि सरे गम पपवा स रेप म पनि । जाय 1 टोना । यंत्र मंत्रातात्रिक प्रयोग । षटका 130-तन यह संपूर्ण जाति की रागिनी है। इसमें शुद्ध मध्यम और की सुधि रहि जात जाय मन अते अटका । बिसरी भूख तीन मध्यम के पतिरिक्त बाकी सब स्वर कोमच होते है। पियास किया सत्पुर टोटका।-पलटू, भा०१, यह भैरव राग की स्त्री मानी जाती है मौर इसका स्वरूप पृ. ३२। इस प्रकार कहा गया है-हाप में वीणा लिए हुए, प्रिय क्रि०प्र०करना होना। के विरह में गाती हई, श्वेत वस्त्र धारण किए और सुपर नेत्रोंवाली। मुहा०-टोटका करने माना-प्राकर कुछ भी न ठहरना। ४-३१