पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२५६

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टोनहा दोर २. चार मात्राओं का एक ताल जिसमें २ प्राघात और २ खाली टोपा.२- पुं० [हिं० तोपना ] टोकरा । + टोपा--सभा पुं० [सं० टङ्कन, हि. तोपना, तुरपना ] टाँका । रहते हैं। इसका तबले का बोल यह है-पिन् षा, गेदिन, गेभा सीवन । मुहा०-टोपा भरना = तागा भरना सीना। बिनता, गेरिन, पा । प्रथषा टोपी--सज्ञा स्त्री० [हि. तोपना (=दाफना)] १. सिर पर का पहनावा । सिर पर ढोकने के लिये बना हुमा प्रान्छादन । घेढोरे, नेदा के है। था। टोनहा-वि० [हि.टोना+हा (प्रत्य॰)] [वि०बी०टोनही] टोना क्रि० प्र०-पहनना ।—लगाना । करनेवाला । बाद मारनेवाला । मुहा०-टोपी उछलना-निरादर होना । वेइज्जती होना । टोपी दोनहाई-सहा खी० [हिं० टोना हाई (प्रत्य॰)] १. टोना करने- उछालना - निरादर करना। वेइज्जती करना । टोपी देना- वानी । जादू मारनेवाली। ३ टोना करने की क्रिया । टोपी पहनना । टोपी बदलना- भाई भाई का सबंध जोड़ना। टोनहाया-सम्रा पुं० [हिं. टोना+राया (प्रत्य॰)] टोना करने- भाईचारा करना। टोपी बदल भाई-वह जिससे टोपी बदल- वाचा मनुष्य । जादू करनेवाला मनुष्य ।। कर भाई का सवष जोडा गया हो । टोना-सह पुं० [सं० तन्त्र मंत्र तंत्र का प्रयोग । जाद। विशेष-लड़के खेल में जब किसी से मित्रता करते है तब मपनी टोपी भी पहनाते मौर उसकी टोपी पाप पहनते हैं। क्रि० प्र०—करना ।-चमाना ।-मारना। २ एकप्रकार का गीत जो विवाह में गाया जाता है पौरजिसमें २. रावमुकुट । ताप। 'होना' शब्द कई बार पाता है। मुहा०-टोपी बदलना=राज्य बदलना । दूसरे राजा का राज्य टोना--सका पुं० [देश॰] एक शिकारी चिड़िया। २०-जुर्रा बाज होना। पासे, कुही, पहरी, मगर लोम टोने जरफटी स्पों सचान ३. टोपी आकार की कोई गोल और गहरी वस्तु । कटोरी। सानवारे है।-रघुराज (चन्द०)। ४ टोपी के भाकार का पातु का गहरा ढक्कन पिसे बंदूक टोना-कि० स० [सं० स्वम् (= स्पर्शद्रिय)+ना (प्रत्य॰)] १ हाप को मिपुल पर चढ़ाकर घोड़ा गिराने से भाग लगती है। से टटोलना । सुना। सुकर मालूम करवा । २०-सांच महै बंदूक का पताका । ५. वह थैली जो शिकारी जानवर के भंघरे को हाथी पोर साँचे है समरे। हाथ की ठोई साषि मुंह पर चढ़ाई रहती है । ६ मि का अग्र भाग । सुपारा। कहत है। मौखिन के मॅपरे । कबीर घ०, मा०१, पृ० ७ मस्तूल का सिरा। -(श०) ! ५४ । २ अच्छी तरह समझना । पनुपव करता । उ०-बग टोपीदार-वि० [Ftटोपी+फा. दार ] जिसपर टोपी लगी में मापन कोई नहीं देखा सब टोई।-संतवाणी०, पृ०४३। हो। जो टोपी लगने पर काम दे। जैसे, टोपीदार बंदूक, टोनाहाई-सहा की.हि. टोना+हाई (प्रत्य॰)] ठोनहा'। टोपीदार तम्चा । टोप-सका हितोपना (-डाकपा)] १.पही टोपी। सिर टोपीवाला-सबा [हि० टोपी१ वह मादमी यो टोपी पहने का बड़ा पहनावा । १०-संवर रोग सराह करि ठोष दियो हो।२ प्रहमदसाह धौर नादिरशाह के सिपाही जो लाल सिर टोप !-सुपर० प्र०, मा०२, पृ.७४० । टोपियाँ पहनकर पाए थे। ये टोपीवाले कहलाते थे। यो०--कमटोप। ३. अंगरेज या यूरोपियन जो हैट पहनते है। ४. ढोपी पने- २ सिर की रखा. मिये लड़ाई में पहनने की मोहकी वाला। टोपी। शिरस्त्राण। पोद । ।३.खोल । गिलाफ ।४. टोम-सबा पु[हिं० शेम टीका। सोपा । 30---बैरिनि भगुरवाना। जीमही टोम द री मन बैरी को जिले मौन घरोगी।- टोप+-सका [पमु० टप टप या म० स्तोक ] दू । कतरा। देव (शम्द०)। यौ०-टोप ठोप = एव । दोभा-सका पुं० [हिं० टोम ] दे० 'टोभ'। टोपन-सहा पुं० [देश॰] टोकरा। टोया-सा पुं० [सं० सोय | गडदा। -(पजाबी)। टोपरा--सबा पुं० [हिं०1०'टोकना। टोर'-सहा श्री० [ देरा०] फटारी । कटार । उ०-तुम सों न पोर टोपरा-सह हिं० दे० 'टोकना। पोर भूपन भोर पकाकरी को चोर फाळ मारो है न टोपरी - कौ• [हिं० टोपर12. 'टोकरी । टोर के। हनुमान (शब्द०)। टोपरी-संशनी [हिं. टोपा] टोप । शिरस्त्राण विशेष 110- टोरम ली० देशी पोरे की मिट्टी का वह पानी जो साधारण फुटत यो सुपोपरी। कि जोग पत्र टोपरी।--पु० रा०५१७७ ॥ नमक की फलमों को छानकर निकाल लेने पर बच रहता है टोपही-बाश्री० [हि. टोप बरतन के साँचे का सबसे ऊपरी मौर जिसे फिर उबाल मौर छानकर शोरा निकाला जाता है। भाग जो कटोरे के प्राकार का होता है। टोर ... सपा पुं० [हि० ठोर] ठोर । मुहै। उ०--लगी टोर टोपा-सम.[हि. टोप ] बड़ी टोपी। निरहट्ट गरवं मिखाय।--प० रासो, पृ. १४१ ।