पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२५७

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टोरना टोहाटाई टोरना-क्रि० स० [सं० फुट ] तोटना। उ०-(क) रिझरुवार का व्यवसाय करनेवाले या एक बातिवाले लोगों की बस्ती। दुगदेखि मनमोहन की मोर। भौंहन मारत रीमि अनु पैसे, घमरटोला। हारत है तन टोर।-रसनिषि (शब्द॰) । (ख) कोट टोला--सा पुं० [देश॰] बड़ी कौड़ी। कौड़ा । टग्या । कहे टोरन देत न माली । मगिह पर मुरके हम खाली1- टोला-सा पुं० [ देश०] १. गुल्ली पर रोकी चौट । रघुराज (शब्द०)। क्रि०प्र०--गाना। महा--खि टोरखा-सज्जा मावि से दृष्टि हटना या भसग २. गसी को मोडकर पीछे निकली हुई हड़ी से मारने की करना। माख मोड़ना। टि छिपाना। उ०—सूर प्रभु के क्रिया। ठूग। उ.--जो वैष्णव पावै तो ताके मूड में टोला परित सखियन कहत लोचन टोरि-सुर (चन्द०)। देतो 1--वो सौ बावन०, भा. १, पृ. ३३१1 ३. पत्थर या टोरा-सपुं० [देश० ] जुबाहों का सूत तौलने का तराजु । इंट का टुकड़ा रोड़ा। ४. तपादि के मावात का पड़ा टोरा-म•[हिं॰] दे॰ 'टोड़ा। हुमा चिह्न जो कभी लाल भोर कभी कुछ नीलापन लिए होता टोरा-- ० [सं० तोक ] [ मी० टोरी ] लक्षका । छोकड़ा। है । साँट । नील। टोरी-समा स्त्री० [हिं० } २० 'टो । क्रि०प्र०—पड़ना। दोलिया-सा खी० [सं० तोलिका(घेरा, हाता)] टोली। छोटा टोरी-कभी [म.] दे० 'कसरवेटिव' । महल्ला। सोरी-सका श्री० [हिं०] 'टोली' 1 30-दो दो पजे तो कसा ले टोली- सना खी• [सं० तोलिका( = हाता, बाड़ा)]१ छोटा महल्ला। घर या उपर देखिए तो मेरी टोरी कैठी बढ़ बढ़ लात बस्तीका छोटा भाग। उ.-नैन बचाय चवाइन के नहि देती है।—फिसाना, मा० १, पृ० ३। रैन मे हनिकसी यह टोली।-सेवक (शब्द०)। २ समूह । टोरी-संश पुं० [सं० सुवर] घरहर का वह छिलके सहित खडा अट। जत्या । मठली । उ.--इस टोली ते सतगुरु राखे ।- दाना जो बनाई हुई दाल में रह जाय । प्राण०,८८।३. पत्थर की चौकोर पटिया। सिल । ४. एक टोरी-सबा पु० देश०] १. रोग। कंकट । ईट का टुकड़ा । २ जाति का बौस जो पूर्वीय हिमाघय, सिक्किम भौर भासाम की मोर होता है। मड़का। विशेष--इसकी भाकृति कुछ कुछ पेड़ों की होती है और इसमे टोल ---सा श्री तोलिका(-गढ़ के पारौं मोर का घेरा, ऊपर जाकर टहनियां निकलती है। यह बाँस बहुत सीषा वाड़ा)] १ माली। समुह । जत्था । मुंड । उ०—(क) और सुडौल होता है। टोकरे बनाने के लिये यह बस सबसे अपने अपने टोल कहत अपवासी माई । भाव भक्ति ले चलो अच्छा समझा जाता है। यह छप्परों में लगता है मोर सुदंपति पासी माई। पुर (शब्द०)। (ख) टुनिहाई बटाइयां बनाने के काम में भी भाता है। इसे 'नाल' मौर सन टोल में रही जु सोत कहाय । सुतौ ऐंचि तिय माप त्यों 'पकोक' भी कहते हैं। करी पदोखिल भाय।-विहारी (शब्द०)। टोलीधनवा-समा पु० [हिं० टोली+पान] धान की तरह की एक यो०-टोल मटोल- झुद के मुड धास जिसने नरम पत्ते घोड़े पौर घोपाए बड़े चाव से खाते २. मुहल्ला । बस्ती टोला। 30-पाजु भोर तमचुर के रोल । हैं। इसके दानों को भी कहीं कही गरीव लोग खाते है। निंद होत है, मगल धुनि महरान टालापुर, टोपना-क्रि० स० [हिं० ] दे० 'टोना' । २०६४ । ३. घटसार । पाठवाला। टोवा--सपा पुं० [देश ] गलही पर बैठनेवाला यह माझी जो पानी टोल-सम पुं० [ देस०] सपूर्ण जाति का एक राग जिसमें सब की गहराई जाँचता है। शुद्ध स्वर लगते हैं। इसके गाने का समय २५ दंड से २८ दद टोह--सबा स्त्री० [हिं० टोली] १ टटोल । खोज। टूटसाथ। से तक है। पता। टोल- पु. [.टाल] सडक का महसुल । मार्ग का कर। मुहा०--टोह मिलना- पता लगना । टोह मे रहना- तलाश में पुगी। रहना । दूंढते रहना। टोह लगाना या लेना-पता लगाना। यो०-टोल कलेक्टर-कर लेनेवाला । महसूल वसूल करनेवाला सुराग लगाना। टोलना-क्रि० स० [हि दे'टटोलना'। उ.--नो ताली दे २.शबर । देखभाल। बमा खोलिया। तब इस गढ़ महिएको टोलिया ।-प्राण, महा.--टोद्द रखना- खबर रखना । देखभाल रखना। पु.२८। टोहना-कि० स० [हिं० टोह] १. दना। खोजना । २ हाय टोला-सहा पु०सं० तोलिका(=किसी स्तभ या गढ़ के चारों पोर सगाना। ना। टटोपना। उ०--प्रब तनको धीरज का पेरा, पाड़ा)] १ मादमियो की बड़ी बस्ती का एक भाग । लगत हाथ प्रपनो सो मैं बहते टोह्यो ।-घनानद, पु. ३४.। से प्रौर टोला परोसियों के टोहाटाई-सचा ली० [हिं० टोह] १. छानबीन तलाथ। उत्साह भय हो गए।-श्यामा०, पृ०४७ । २. एक प्रकार २. देखभार।