पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२६०

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टा १०६ हो । गुप्ती मार । (जैसे, लात घूसो मादि को) 1 ठंढी मिट्टी = मुहा०-ठढे ठढे - हंसी खुशी से। कुशल मानद से। ठढे ठंढे (१) ऐसा शरीर पो बल्दो न बढ़े। ऐसी देह जिसमें जवानो घर माना=बहुत तृप्त होकर लौटना (मर्थात् प्रसतुष्ट होकर के चिह्न पस्थी न मालूम हों। (२) ऐसा शरीर जिसमे कामो या निराश होकर लौटना (व्यग्य)। ठढे पेटों-हसी खुशी दोपन न हो। ठढी सांस - ऐसी सांस जो दुसया शोक के से। प्रसन्नता से । बिना मनमोटाव या लड़ाई झगड़े के। सीधे पावेग के कारण बहुत खींचकर ली जाती है। दुख से भरी से। ठढा रखना=माराम चैन से रखना। किसी बात की साँस । योकोच्छ्वास । माह । तकलीफ न होने देता। सतुष्ट रखना। ठढे रहो - प्रसन्न मुहा०-ठढो सांस लेना या परना = दु.ख की सांस लेना। रहो। खुश रहो। (लियों द्वारा प्रयुक्त एव पाशीर्वादात्मक )। २. जो पलता हुपा या दहकता हुमा न हो। वुझा हुमा । बुता ६. निश्चेष्ट । जह । मत । मरा हुमा। हुमा। वैसे, ठढा दीया। मुहा०-ठढा होना - मर जाना । ताजिया ठढा करना ताजिया दफन करना। (मूर्ति या पूजा की सामग्री मादि कि.प्र.-करना होना। को) ठठा करनाल में विसर्जन करना। माना। ३.पो उद्दीप्त न हो। जो सद्विग्न न हो। जो भडका न हो। (किसी पवित्र या प्रिय वस्तु को ठढा करना = (१) जल उद्गाररहित । जिसमे पावेश न हो। थात। जैसे, क्रोष में विसर्जन करना। बुबाना । (२) किसी पवित्र या प्रिय ठढा होना, जोश ठढा होना। वस्तु को फेंकना मा तोड़ना फोहना । जैसे, चूड़ियाँ ठढी विशेष- इस मथं में इस शब्द का प्रयोग भावेश घोर भावेश करना। धारण करनेवाले व्यक्ति दोनों के लिये होता है। जैसे, क्रोष १०. जिसमें पहल पहल न हो। जो गुलजार न हो। बेरोनक । ठढा पड़ना, उत्साह ठढा पना, कुद्ध मनुष्य का ठढा पड़ना, मुहा०-बाजार ठढा होना बाजार का चमठा न होना। उत्साह में माए हुए मनुष्य का ठढा पडना, प्रादि । बाजार मे लेनदेन खूब न होना। क्रि०प्र०—करना ।-पडना ।—होना । ठढाई-सका श्री० [हिं० ठढा + ई (प्रत्य॰)] १ वह दवा या मुहा०-ठढा करना=(१) क्रोध थात करना । (२) ढाढ़स मसाला जिससे शरीर की गरमी शात होती है और ठढक देकर शोक कम फरना । ढाढ़स बंधाना । तसल्ली देना। माती है। माता या शीतला ठढी करना- शीतला या चेचक के अच्छे होने पर शीतला की प्रतिम पूजा करना। विशेष-सौंफ, इलायची, कासनी, कष्डी, कद्दू, खरबूजे पादि ४ जिसे कामोद्दीपन न होता हो। नामर्द । नपुंसक । ५ जो के बीज, गुलाब की पंखडी, गोल मिर्च पादि को एक में पीसकर प्राय ठदाई बनाई जाती है। उद्वेगशील या चचल न हो । जिसे जल्दी क्रोध मादि न २. ऊपर लिखे मसालो से युक्त भाग या पर्वत । माता हो। धीर। शात । गभीर । ६ जिसमे उत्साह या तमग न हो। जिसमें तेजी या फुरती न हो। विना जोश का । क्रि० प्र०-पीना।-लेना। धीमा। सुस्त ! म । उदासीन । उढा मलम्मा-सा पु० [हिं० ठढा+० मुलम्मा] बिना याच के यौ०----ठढी गरमी-(१) ऊपर की प्रीति । वनावटी स्नेह का "सोना चाँदी चढ़ाने की रीति । सोने चांदी का पानी जो आवेश। (२) वातों का जोश। उ०-बस बस यह ठढी बैटरी के द्वारा या तेजाब की लाग से चढ़ाया जाता है। गरमियों हमे न दिखाया करो।-सैर०, पृ० १४ । ठठा पद, ठढी'--वि० बी० [हिं०] दे॰ 'ठढा' भोर उसके मुहा० । ठढी लड़ाई-माधुनिक राजनीति में दौर च की लड़ाई। ठढी--सबा खी० शीतला । चेचक (स्त्रि.)। इसे शीत युद्ध भी कहते हैं। यह अग्रेजी शब्द कोल्ड यार का महा०-ठढी लगना = धोतला के धानो का मुरझाना। चेचफ अनुवाद है। का जोर कम होना। ठडी निकलना-शीतला के दाने शरीर ७. जो हाथ पैर न हिलाए। जो इच्छा के प्रतिकूल कोई पात पर होना । शीतला या चेचक का रोग होना। होते देखकर कुछ न बोले। चुपचाप रहनेवाला। विरोध न भनी-सक० [सं० स्तम्मन, प्रा० ठमन ] रुकने की स्थिति । करनेवाला । जैसे,-वे बहत इधर उधर करते थे पर जब रुकावट । १०-धिन यो ठमन जग माही, एक हरि बिन खरी खरी सुनाई तब ठंढे पड़ गए। दुजा नाही।-राम. धर्म०, पृ० २५३ । कि०प्र०-पड़ना ।-रहना । ठसरी-सका खी [सं०] एक प्रकार का तंत्रवाद्य (को०)। मुहा०-ठडे र=नुपचाप। बिना किए । बिना विरोध या ठ:-सा पुं० [सं० अनुध्व.] एक ध्वनि जो क्सिी घातुपात्र के कड़ी प्रतिवाद किए। जमीन या सीढ़ियो पर गिरने से मत में होती है [को०)। ८ जो प्रिय वस्तु की प्राप्ति वा इच्छा की पूर्ति से संतुष्ट हो। ठ-सचा पु० [सं०] १ शिव। २. महाघ्वनि। ३ चद्रमडल या सूर्य- तृप्त । प्रसन्न । खुप । जैसे,-लो, मान वह पला जायगा, मन मडल । ४. मंडल । घेरा। ५ शून्य । ६ गोचर । इद्रियग्राह्य तो ठो हुए। वस्तु। क्रि० प्र०-होना। ठई-सक्षा की हि• ठह>ठही] स्थिति 1 याह । भवस्या ।