पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२७६

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ठिनकना १९२२ ठोकर ठिनकना-त्रि.. [अनुध्व.] १ बच्चो का रहकर रोने का सा ठिहारी-सा बी० [हिं० ठहरना] ठहराव । निश्चय । करार । शब्द निकालना। २. ठसक से रोना। रोने का नखरा करना। उ.-जैसी हुती हुमते तुमते मब होयगी वैसियै श्रीति विहारी। (स्त्रि०)। चाहत जो चित में हित ठो जनि बोलिय कुजन कुंजबिहारी। ठिया -सहा पुं० १० स्थित]१. गांव की सीमा का चिह्न हद सुंदरीसर्वस्व (शब्द०)। का पत्थर या लट्ठा । २. घाँट।थूनी । ३. दे० 'ठीहा'। ठींगा-वि० [हिं० धींगा] जबर्दस्त । बलवान् । उ.-सीह थयो ठिर-शा खी० [सं०स्थिर वा स्तब्ध 11. गहरी सरदी। कठिन बन सहिबी, ठीगारी सॅकरांत बांकी. प्र., भा. १, शीत | गहरी ठह । पाला! क्रि० प्र०पढ़ना । ठीक-वि० [सं• स्थितिक या देश. ] १. जैसा हो वैसा। यथार्थ । २. शीत से ठिठुरने की स्थिति या भाव। सघ । प्रामाणिक । जैसे,—तुम्हारी बात ठीक निकली। २. जैसा होना चाहिए. वैसा । उपयुक्त । पच्छा । भला । उचित । क्रि० प्र०-जाना। मुनासिव । योग्य । जैसे,-(क) उनका बर्ताव ठोक नही ठिरना-सचा लो. [हिं०ठिर ] दे० 'ठरन', ठिठरन'। होता। (ख) तुम्हारे लिये कहना ठीक नहीं है। ठिरता--क्रि० स० [हि.ठिर] सरदी से ठिठुरना। पड़े से मुहा०---ठीक लगना- भला जान पड़ना। पकड़ना। ३. जिसमें भूल या पशुद्धि न हो । शुद्ध । सही। जैसे,--माठ में से ठिरना-क्रि० भ० गहरा जाहा पड़ना । भत्यत ठढ पडना । तुम्हारे कितने सवाल ठीक हैं ? ४. जो विगड़ा न हो। जो ठिलना-क्रि० स० [हिं० ठेलना] १. ठेला जाना। ढकेला जाना। 'मच्छी दशा में हो। जिसमे कुछ त्रुटि या कसर न हो। दुरुस्त । चलपूर्वक किसी मोर खिसकाया या बढ़ाया जाना। 30-फिरें अच्छा । जैसे,—(क) यह घड़ी ठीक करने के लिये भेज दो। धर वज्जिय झार करार । ठिलें न ठिलाइन मन्निय हार।- (ख)-हमारी तबीयत ठीक नहीं है। पृ० रा०, १९२२१ । २ बलपूर्वक बढ़ना। बेग से किसी यौ०-ठीक ठाक । और झुक पड़ना । घुसना। सना । उ०-दक्खिन ते उमड़े ५ जो किसी स्थान पर मच्छी तरह बैठे या अमे। जो ढोला या दोउ भाई । ठिले दोह वल पुहिम हिलाई।-साल (शब्द०)। कसा न हो । जैसे,—यह जूता पैर में ठीक नहीं होता। ३ बैठना । जमना। स्थिर होना। मुहा०-छोफ माना = ढोला या कसा न होना। ठिलाठिना--क्रि० वि० [हिं० ठिलना] एक पर एक गिरते हए। धक्कमधरका करते हुए । घने समूह और बड़े बैग के साथ। ६ जो प्रतिकूल माचरण न करे । सीषा । सुष्टु । नम्र । जैसे,-- उ.-झिलझिल फौज टिसाठिल धावै। चर्ह दिस छोर छुवन (क) वह बिना मार खाए ठीक न होगा। (स) हम सभी तुम्हे भाकर ठीक करते हैं। नहि पाये। लाल (शब्द॰) । मुहा०-मेक बनाना = (१) दर देकर सीधा करना। राह पर ठिलाना-कि० अ० [हिं० ठिलना ] ठेला जाना । हटाया जाना । लाना। दुरुस्त करना। (२) तग करना। दुर्गति करना । उ.-फिरै घर बज्जिय झार करार । ठिले न टिलाइन दुर्दशा करना। मन्निय हार ।--पृ० रा०, १९२२१ । ७ जो कुछ मागे पीछे, इधर उधर या घटा बढ़ा न हो। जिसकी ठिलिया-संक्ष स्त्री॰ [सं० स्थाली, प्रा० ठाली (-हँडिया)] छोटा मांकृति, स्थिति या मात्रा प्रादि मे कुछ अतर न हो। किसी घडा । पानी भरने का मिट्टी का छोटा धरतन । गगरी। निर्दिष्ट प्राकार, परिमाण या स्थिति का। जिसमें कुछ फर्क ठिलया-वि० [हि निठल्ला निठल्ला निकम्मा। वेकाम । जिसे न पड़े। निर्दिष्ट । जैसे,—(क) हम ठीक ग्यारह बजे भावेंगे। कुछ काम घषा न हो। २०-बहुत ठिलुए अपना मन बहलाने (ख) चिड़िया ठीक तुम्हारे सिर के ऊपर है। (ग) यह पोज फे लिये प्रोरों को पचायत ले बैठते हैं।-श्रीनिवास दास ठीक वैसी ही है। (शब्द०)। मुहा०--ठीक उतरना - जितना चाहिए : उतना ही ठहरना। ठिल्ला-सबा पुं० [हिं० ठिलिया] [बी० ठिलिया, ठिल्ली] घड़ा। जांच करने पर न घटना न बढ़ना। जैसे,—पनाज वौलने पर पानी भरने या रखने का मिट्टी का बड़ा वरतन । मड़ा गगरा। ठीक उतरा। ठिल्ली-सका स्त्री० [हिं०] दे० 'ठिलिया। ८ ठहराया हमा। नियत। निश्पिद । स्पिर। सका । है। ठिकही-संशश बी० [हिं०] दे० 'ठिल्ली'। जैसे, काम करने के लिये मादमी ठीक करना, गाड़ी ठीक ठिवना -क्रि० स० [सं० स्थापय, प्रा. ठठव] ठोकना । 3.- करना, भाडा ठीक करना, विवाह ठीक करना। सिषराल बंस दूजो सिपर उरस ठिवतो मावियो।-शिखर०, क्रि०प्र०—करना । होना। पृ०७७। यौ०-ठीक ठाक। ठिहार-वि० [सं० स्थिर मथवा हिं०ठीहा] १ विश्वास करने ठीकर-क्रि.वि. जैसे चाहिए वैसे। उपयुक्त प्रणाली से। जैसे, ठीक योग्य । एतबार के लायक । २. निवास योग्य । स्थिर होने चलना, ठीक पौंडता। 30-(क) यह घोड़ा ठीक नहीं योग्य। चलता। (ख) यह बनिया ठीक नहीं तौलता।